कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने सीमावर्ती क्षेत्रों में नागरिकों को हथियार लाइसेंस वितरित करने के फैसले के लिए असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की कड़ी आलोचना की है. उन्होंने इस फैसले को अराजकता और जंगल राज की ओर बढ़ाया गया एक खतरनाक कदम बताया है. गोगोई ने इस कदम की निंदा करते हुए एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि असम के लोग बंदूकें नहीं बल्कि नौकरी, किफायती स्वास्थ्य सेवा, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के हकदार हैं.
उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस और सीमा सुरक्षा बलों को सशक्त बनाने के बजाय असम सरकार भाजपा-आरएसएस समर्थकों और स्थानीय आपराधिक तत्वों को हथियार देने पर आमादा है. उन्होंने चेतावनी दी कि सरकार का यह फैसला गैंगवार और वेंडेटा क्राइम (प्रतिशोधात्मक अपराध) को बढ़ावा दे सकता है. गौरव गोगोई ने आगाह किया कि सीमावर्ती क्षेत्रों में नागरिकों को हथियार उपलब्ध कराने का असम सरकार के फैसले के कारण स्थानीय व्यापारियों और कारोबारियों को उत्पीड़न का सामना करना पड़ सकता है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की सरकार का यह निर्णय लोगों की सुरक्षा की चिंता नहीं, बल्कि चुनावी चिंता के कारण लिया गया प्रतीत होता है.
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उन्होंने इस नीति को तत्काल वापस लेने की मांग करते हुए मुख्यमंत्री सरमा से जिम्मेदार नेतृत्व के माध्यम से जनता का विश्वास बहाल करने पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा कि यह शासन नहीं है, यह अराजकता और जंगल राज की ओर एक खतरनाक कदम है. बता दें कि मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने 28 मई को कहा था कि असम सरकार असुरक्षित और दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों में सुरक्षा की भावना पैदा करने के लिए उन्हें हथियार लाइसेंस देगी. गुवाहाटी में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री सरमा ने कहा था कि इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की मांग की समीक्षा के बाद राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में यह निर्णय लिया गया.
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उन्होंने कहा, 'असम एक बहुत ही अलग और संवेदनशील राज्य है. कुछ इलाकों में रहने वाले असमिया लोग असुरक्षित महसूस कर रहे हैं और वे लंबे समय से हथियार लाइसेंस की मांग कर रहे हैं. बांग्लादेश में हाल के घटनाक्रमों और विदेशी घुसपैठियों के खिलाफ राज्य सरकार के हालिया अभियान की पृष्ठभूमि में, ऐसे क्षेत्रों के स्वदेशी लोगों को लगता है कि उन पर हमला हो सकता है.' असम के मुख्यमंत्री ने कहा था कि सरकार पात्र लोगों को हथियार लाइसेंस देने में नरमी बरतेगी, जो मूल निवासी होने चाहिए और राज्य के संवेदनशील और दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले स्वदेशी समुदाय से संबंधित होने चाहिए. इससे उन्हें अतिरिक्त साहस मिलेगा और वे सुरक्षित महसूस करेंगे.