छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश की सीमा पर मारेडूमिल्ली जंगलों में आंध्र प्रदेश ग्रेहाउंड्स, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) और राज्य पुलिस ने ज्वाइंट ऑपरेशन में तीन शीर्ष नक्सलियों को ढेर कर दिया है. वहीं, सुरक्षाबलों ने छत्तीसगढ़ के सुकमा सीमा के पास एक समानांतर मुठभेड़ में जोनल कमेटी मेंबर अरुण समेत दो नक्सलियों को ढेर कर दिया
नक्सलियों के खिलाफ शुरू किए ज्वाइंट ऑपरेशन की जानकारी देते हुए पुलिस ने बताया कि मंगलवार शाम को इलाके में नक्सलियों की मौजूदगी की खुफिया इनपुट मिला था. जानकारी मिलने के बाद आंध्र पुलिस ने मारेडूमिल्ली जंगलों में सर्च ऑपरेशन शुरू किया. बुधवार सुबह 8:30 बजे से पहले कोंडामोडालु गांव के पास नक्सलियों ने ग्रेहाउंड्स पर गोलीबारी कर दी. इस मुठभेड़ में तीन नक्सली मारे गए और मौके से तीन एके-47 राइफलें बरामद की गईं. मारे गए नक्सलियों के शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है.
तीन शीर्ष नक्सली ढेर
पुलिस ने बताया कि बुधवार सुबह कोंडामोडालु, अल्लूरी सीताराम राजू जिलें में हुई मुठभेड़ में तीन शीर्ष नक्सली- गजरला रवि उर्फ उदय (सेंट्रल कमेटी मेंबर और AOBSZC सचिव), रवि वेंकट चैतन्य उर्फ अरुणा (दक्षिण जोनल कमेटी मेंबर और हाल ही में मारे गए सेंट्रल कमेटी मेंबर चाल पति की पत्नी), और अंजू (एरिया कमेटी मेंबर, AOBSZC) को मार गिराया है. इन नक्सलियों के मारे जाने से इलाके में AOBSZC और नक्सलियों के लिए एक महत्वपूर्ण झटका है.
पुलिस सूत्रों के अनुसार, इलाके में 16 नक्सलियों के एक समूह के देखा गया था. सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच लगभग 25 मिनट तक मुठभेड़ हुई. सुरक्षा बलों ने घटनास्थल से तीन शव बरामद किए हैं और शेष नक्सली के फरार होने के बाद सर्च ऑपरेशन जारी है.
साथ ही छत्तीसगढ़ के सुकमा सीमा के पास एक समानांतर मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने जोनल कमेटी मेंबर अरुण समेत दो नक्सलियों को ढेर कर दिया. सुरक्षाबलों ने नक्सलियों के पास से दो एके-47 राइफलें बरामद कीं हैं. ये ऑपरेशन अभी-भी जारी है.
कौन है गजरला रवि
गजरला रवि, जिसे उदय के नाम से भी जाना जाता था. वह तेलंगाना के भूपलपल्ली जिले के वेलीशला गांव का रहने वाला था. वो इस इलाके में शीर्ष नक्सली नेताओं में से एक था और उसपर सुरक्षाबलों ने 25 लाख का इनाम घोषित किया हुआ था. वह न केवल सेंट्रल कमेटी मेंबर था, बल्कि आंध्र-ओडिशा बॉर्डर स्पेशल जोनल कमेटी (AOBSZC) के सचिव भी था.
रवि ने 1992 में 23 वर्ष की उम्र में नक्सली आंदोलन में कदम रखा और जल्द ही अपनी रणनीति कुशलता के कारण शीर्ष नेतृत्व तक पहुंच गया.
2004-05 में उसने वाई.एस. राजशेखर रेड्डी सरकार के साथ शांति वार्ता में पीपुल्स वॉर ग्रुप के प्रतिनिधि के रूप में हिस्सा लिया था. वह मलकानगिरी-कोरापुट-श्रीकाकुलम जैसे डिवीजनों के सचिव रहे और पूर्वी क्षेत्रों में नक्सली गतिविधियों का समन्वय कर रहा था. उनकी रणनीति और सैन्य योजना, विशेष रूप से गुरिल्ला युद्ध और आईईडी (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) के इस्तेमाल में, नक्सलियों के लिए महत्वपूर्ण थी.
कौन हैं अरुणा
अरुणा हाल ही में मारे गए शीर्ष नक्सली चलपति की पत्नी और साउथ जोनल कमेटी मेंबर (SZCM) की सदस्य थी. वह विशाखापत्तनम जिले काराक वाणी पालम की रहने वाली थी. सुरक्षाबलों ने उसके ऊपर 20 लाख रुपये का इनाम घोषित किया हुआ था. अरुणा ने नक्सलियों की महिला विंग और सैन्य ऑपरेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.