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'EVM पूरी तरह सुरक्षित, विश्वसनीय और पारदर्शी', तुलसी गबार्ड के बयान के बाद चुनाव आयोग की दो टूक

चुनाव आयोग में उच्च पदस्थ तकनीकी विशेषज्ञ सूत्रों के मुताबिक विशिष्ट क्षमता वाली EVM न तो किसी प्रकार के नेटवर्क (जैसे इंटरनेट, वाई-फाई या इन्फ्रारेड) से जुड़ी होती है, न ही इनमें किसी बाहरी प्रणाली से संपर्क का कोई माध्यम होता है. ये मशीनें एक सरल और सुरक्षित कैल्कुलेटर की तरह काम करती हैं, जिनमें डेटा हैकिंग या किसी प्रकार की बाहरी छेड़छाड़ की कोई संभावना ही नहीं होती.

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चुनाव आयोग ने EVM की विश्वसनीयता और पारदर्शिता की बात दोहराई है
चुनाव आयोग ने EVM की विश्वसनीयता और पारदर्शिता की बात दोहराई है

हाल के दिनों में अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग सिस्टम की विश्वसनीयता को लेकर उठे सवालों के बीच भारत निर्वाचन आयोग ने एक बार फिर स्पष्ट किया है कि भारत में इस्तेमाल हो रही इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें (EVM) पूरी तरह सुरक्षित, विश्वसनीय और पारदर्शी हैं. चुनाव आयोग का कहना है कि भारतीय EVM प्रणाली को विदेशी संदर्भों से जोड़कर देखना भ्रामक और अनुचित है.

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चुनाव आयोग में उच्च पदस्थ तकनीकी विशेषज्ञ सूत्रों के मुताबिक विशिष्ट क्षमता वाली EVM न तो किसी प्रकार के नेटवर्क (जैसे इंटरनेट, वाई-फाई या इन्फ्रारेड) से जुड़ी होती है, न ही इनमें किसी बाहरी प्रणाली से संपर्क का कोई माध्यम होता है. ये मशीनें एक सरल और सुरक्षित कैल्कुलेटर की तरह काम करती हैं, जिनमें डेटा हैकिंग या किसी प्रकार की बाहरी छेड़छाड़ की कोई संभावना ही नहीं होती.

चुनाव आयोग ने कहा कि भारत की EVM की पूरी प्रणाली को कई बार सुप्रीम कोर्ट ने वैधानिक रूप से स्वीकार किया है. इनके संचालन की प्रक्रिया को सभी प्रमुख राजनीतिक दलों की उपस्थिति में कई बार पारदर्शी रूप से सुनिश्चित किया जाता है. मतदान से पहले हर पोलिंग स्टेशन पर मॉक पोल होता है, जिसमें राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि भी मौजूद रहते हैं. अब तक 5 करोड़ से अधिक VVPAT पर्चियों का सत्यापन मतगणना के दौरान किया जा चुका है, जिनमें मतपत्र और ईवीएम वोटिंग पैटर्न के बीच 100% मेल पाया गया है.

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निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया कि भारत में EVM प्रणाली पर मतदाताओं को पूरा विश्वास होना चाहिए. विदेशी परिस्थितियों या अन्य देशों में प्रयुक्त इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग प्रणालियों की समस्याओं को भारत की प्रणाली से जोड़कर देखना भ्रामक और अनुचित है.

बता दें कि अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड के इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग सिस्टम पर की गई टिप्पणियों से इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVMs) की विश्वसनीयता को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहस तेज हो गई है. तुलसी गबार्ड ने सामान्य इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग सिस्टम पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा कि उनके पास ऐसे साक्ष्य हैं, जो दिखाते हैं कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग सिस्टम हैकिंग और वोटों में हेरफेर के लिए लंबे समय से असुरक्षित रहे हैं. 

गबार्ड ने कहा कि हमारे पास प्रमाण हैं कि ये इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग सिस्टम लंबे समय से हैकर्स के लिए आसान रहे हैं. इनके जरिए  मतदान के परिणामों में हेरफेर किया जा सकता है, यह इस बात को और मज़बूती देता है कि पूरे देश में पेपर बैलेट की व्यवस्था लागू की जाए, ताकि मतदाता चुनावों की पारदर्शिता और ईमानदारी पर विश्वास कर सकें. इससे पहले अमेरिकी करोड़पति कारोबारी एलन मस्क ने भी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों की आलोचना और पेपर बैलेट की वकालत की थी.

वहीं, निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में भी यह स्पष्ट किया कि चुनावों के दौरान विभिन्न चरणों पर राजनीतिक दलों द्वारा इन EVM की जांच की जाती है. निर्वाचन आयोग ने यह भी बताया कि अब तक 5 करोड़ से अधिक VVPAT पर्चियों का EVM के आंकड़ों से मिलान किया जा चुका है. उनमें कोई गड़बड़ी नहीं पाई गई है. 

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