ईडी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है और बॉम्बे हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें आईएएस अधिकारी अनिल कुमार पवार की गिरफ्तारी को गैरकानूनी बताया गया था. ईडी ने सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटीशन (SLP) दाखिल की है. पवार वसई-विरार सिटी म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन (VVMC) के पूर्व कमिश्नर हैं और उन पर सरकारी जमीन पर 41 अवैध इमारतों के निर्माण से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में आरोप है. सुप्रीम कोर्ट में ईडी की याचिका पर सुनवाई शुक्रवार सुबह हो सकती है.
सूत्रों के अनुसार, ईडी अफसरों ने गिरफ्तारी से पहले सारे कारण बताए थे. जब उन्होंने पवार के घर पर तलाशी की तो वह अंदर होते हुए भी दो घंटे तक दरवाजा नहीं खोल रहे थे और इस दौरान वह मोबाइल से सबूत मिटाने की कोशिश कर रहे थे.
बुधवार को बॉम्बे हाईकोर्ट ने ईडी को बड़ा झटका देते हुए कहा कि अनिल कुमार पवार की गिरफ्तारी “गैरकानूनी” थी. चीफ जस्टिस श्री चंद्रशेखर और जस्टिस गौतम ए. अंकाड की बेंच ने कहा कि एजेंसी के पास गिरफ्तारी को सही ठहराने के लिए ठोस सबूत नहीं थे. कोर्ट ने कहा, “यह याचिका सफल होती है,” और स्पेशल कोर्ट के आदेश रद्द करते हुए गिरफ्तारी को अमान्य घोषित किया.
सुनवाई के दौरान ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह से अदालत ने पूछा कि गिरफ्तारी किस आधार पर की गई थी. अदालत ने यह भी पूछा कि क्या पूरा केस सिर्फ गवाहों के बयानों पर टिका है, जो मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत दर्ज किए गए हैं. इस पर सिंह ने कहा कि पवार और नगर नियोजन विभाग के डिप्टी डायरेक्टर व को-एक्यूज्ड वाई.एस. रेड्डी के बीच व्हाट्सएप चैट हुई थी, जिसमें साजिश का जिक्र था. साथ ही, कुछ बिल्डरों और आर्किटेक्ट्स के बयान भी हैं जिनसे साजिश साफ होती है.
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लेकिन बेंच इससे सहमत नहीं हुई. चीफ जस्टिस ने कहा, “आप अदालत से यह नहीं पूछ सकते कि और क्या चाहिए. आपके पास सिर्फ 50(1) PMLA के तहत बयान और चैट्स हैं, कोई ठोस सबूत नहीं मिले.”
बाद में ईडी ने कहा कि गिरफ्तारी में कोई गैरकानूनी बात नहीं थी, और रेड्डी से मिली रकम पवार की पत्नी के अकाउंट में ट्रांसफर होने के सबूत हैं. लेकिन अदालत ने इसे पर्याप्त नहीं माना और कहा कि किसी की आज़ादी छीनने के लिए इतने कमजोर आधार काफी नहीं हैं.
कोर्ट ने गिरफ्तारी को “अनुचित” बताया और पवार की कानूनी टीम—सीनियर वकील राजीव शकधर, करण खेतानी और उज्जवलकुमार चव्हाण—को निर्देश दिया कि पवार सबूत से छेड़छाड़ या गवाहों को प्रभावित न करें, इसका लिखित आश्वासन दें.
इस केस में ईडी ने 300.92 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में चार्जशीट दाखिल की है, जिसमें से करीब 169 करोड़ रुपये की रकम अनिल पवार से जुड़ी बताई गई है.