
Doctor's terror network busted: देशभर में पिछले हफ्ते हुई गिरफ्तारियों ने सफेदपोश आतंकी नेटवर्क का खुलासा किया है. यूपी, हरियाणा, गुजरात और जम्मू-कश्मीर में चार डॉक्टरों और उनके साथियों को गिरफ्तार किया गया है, जिन पर आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप लगे हैं. अब आतंक की जड़ें आम पेशेवर तबके तक पहुंच चुकी हैं. हैरानी की बात यह है कि ये लोग पढ़े-लिखे और समाज में सम्मानित पेशे के लोग हैं, लेकिन आतंक के लिए काम कर रहे थे.
पुलिस की कार्रवाई दो अलग-अलग मामलों में हुई. पहला मामला उत्तर प्रदेश, हरियाणा और जम्मू-कश्मीर का है, जहां 2,900 किलो से ज्यादा विस्फोटक पदार्थ, राइफलें और पिस्तौलें बरामद की गईं.
दूसरा मामला गुजरात का है, जहां ज़हर बनाने वाले केमिकल और हथियार मिले. दोनों गिरफ्तारियां एक ही दिन के भीतर हुईं, लेकिन अब तक सुरक्षा एजेंसियों ने यह नहीं बताया कि दोनों नेटवर्क आपस में जुड़े हैं या नहीं.
जांच में यह सामने आया कि इन डॉक्टरों का संपर्क पाकिस्तान और दूसरे देशों में बैठे आतंकी सरगनाओं से था, जिनका रिश्ता आईएसआईएस, जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और अंसार गजवात-उल-हिंद (AGUH) जैसे संगठनों से जुड़ा है. अधिकारियों का कहना है कि ये लोग देश के अलग-अलग इलाकों में रासायनिक और हथियारों से हमले की तैयारी कर रहे थे.
जम्मू-कश्मीर का डॉक्टर आदिल अहमद राठर
पहली गिरफ्तारी डॉ. आदिल अहमद राठर की हुई, जो अनंतनाग मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर थे. उसके लॉकर से पुलिस को AK-47 राइफल मिली. रदर का संबंध जैश-ए-मोहम्मद और अंसार गजवात-उल-हिंद से पाया गया.

यह कार्रवाई तब हुई जब श्रीनगर में जैश समर्थित पोस्टर मिले और सीसीटीवी जांच में रदर उस गतिविधि से जुड़ा पाया गया. बाद में उसे 6 नवंबर को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से गिरफ्तार किया गया. उसके खिलाफ UAPA और आर्म्स एक्ट के तहत केस दर्ज हुआ है.
हरियाणा में पकड़ा गया डॉ. मुझमिल शकील
दूसरी अहम गिरफ्तारी हरियाणा के फरीदाबाद से हुई. यहां डॉ. मुझमिल शकील नाम का कश्मीर का डॉक्टर पकड़ा गया, जो अल-फलाह यूनिवर्सिटी में पढ़ाता था. उसके पास से 360 किलो अमोनियम नाइट्रेट मिला, जो बम बनाने में इस्तेमाल होता है. मुझमिल के दूसरे ठिकाने से 2563 किलो विस्फोटक बरामद किया गया.
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फरीदाबाद पुलिस ने बताया कि शकील का भी संबंध जैश जैसे प्रतिबंधित संगठनों से है और वह भी पहले श्रीनगर में आतंकी पोस्टर लगाने में शामिल रहा था. उसकी पहचान अदील रदर से जुड़ी जानकारी के बाद हुई.
महिला डॉक्टर की गिरफ्तारी
इसी ऑपरेशन में अल-फलाह यूनिवर्सिटी की एक महिला डॉक्टर को भी 7 नवंबर को गिरफ्तार किया गया. उसकी कार से 'कैरोम कॉक' नाम की असॉल्ट राइफल मिली. पुलिस अभी यह पता लगाने में जुटी है कि उसका इस पूरी नेटवर्क में क्या रोल था. फिलहाल उसकी पहचान सार्वजनिक नहीं की गई है.
गुजरात से ड्र. अहमद सैयद की गिरफ्तारी
गुजरात एटीएस ने 7 नवंबर को अहमद मोहियुद्दीन सैयद नाम के डॉक्टर को पकड़ा. यह डॉक्टर हैदराबाद का रहने वाला है और चीन से पढ़ाई कर चुका है.
जांच में पता चला कि वह 'रिसिन' नाम के बेहद जहरीले ज़हर की तैयारी कर रहा था, जो अरंडी के बीजों से बनता है. उसने दिल्ली के आज़ादपुर मंडी, अहमदाबाद के नरोडा फ्रूट मार्केट और लखनऊ के आरएसएस कार्यालय जैसी भीड़भाड़ वाली जगहों की कई महीनों तक रेकी की थी.

सैयद के पास से दो गन (ग्लॉक), एक बेरेटा पिस्तौल, 30 कारतूस और चार लीटर अरंडी का तेल भी मिला. पुलिस के मुताबिक, वह आईएसआईएस-खोरासन प्रांत के आतंकी अबू खादिम के संपर्क में था. उस पर भी UAPA, आर्म्स एक्ट और आईपीसी की धाराओं में केस दर्ज हुआ है.
पढ़े-लिखे आतंकियों का नया पैटर्न
इन चार डॉक्टरों की गिरफ्तारियां दिखाती हैं कि अब आतंकवाद सिर्फ जंगलों या सीमाओं तक सीमित नहीं रह गया है. यह अब देश के प्रतिष्ठित शिक्षित वर्ग में भी अपनी जड़ें जमा रहा है. अधिकारी इसे “व्हाइट कॉलर टेरर नेटवर्क” कह रहे हैं - मतलब वो आतंक जो दिमाग से चलाया जा रहा है, बंदूक से नहीं.
ये सारे डॉक्टर न केवल आतंकी संगठनों के संपर्क में थे, बल्कि खुद हथियार और ज़हरीले केमिकल तैयार कर रहे थे. यह साफ इशारा है कि आतंकवाद का चेहरा बदल रहा है — अब यह सिर्फ बंदूक चलाने वालों का नहीं रहा, बल्कि लैब में बैठने वालों का भी हो गया है.