पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के रिशड़ा निवासी बीएसएफ कांस्टेबल पूर्णम कुमार साहू के परिवार को उस समय राहत की उम्मीद जगी जब भारत और पाकिस्तान के डीजीएमओ (DGMO) स्तर की बातचीत हुई. साहू 23 अप्रैल को गलती से अंतरराष्ट्रीय सीमा पार कर पाकिस्तान चले गए थे, जिसके बाद पाकिस्तान रेंजरों ने उन्हें हिरासत में ले लिया. वे पंजाब के फिरोजपुर सेक्टर में तैनात थे.
यह घटना जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के अगले दिन हुई थी. इसके बाद भारत ने 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए. पाकिस्तान ने भी जवाबी हमले किए, जिससे तनाव बढ़ गया. ऐसे में साहू के परिवार की चिंता और भी बढ़ गई.
राजनी, साहू की पत्नी ने बताया कि 20 दिन बीत चुके हैं और अब तक कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली है. उन्होंने बताया कि वे पठानकोट और फिरोजपुर जाकर बीएसएफ अधिकारियों से मिलीं, लेकिन अब तक किसी प्रकार की राहत नहीं मिल सकी.
राजनी ने उम्मीद जताई कि डीजीएमओ की बातचीत में साहू के मुद्दे को भी उठाया जाएगा. उन्होंने कहा, 'जब भारतीय सेना ने 3 मई को एक पाकिस्तानी रेंजर को राजस्थान में हिरासत में लिया, तब लगा था कि शायद मेरे पति को भी छोड़ा जाएगा. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. अब DGMO वार्ता से नई उम्मीद जगी है.'
राजनी ने यह भी बताया कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रविवार को उन्हें फोन किया और हरसंभव मदद का आश्वासन दिया. मुख्यमंत्री ने उनके ससुरालवालों की चिकित्सा सहायता की भी बात कही.
साहू का परिवार एक मानवीय दृष्टिकोण की उम्मीद कर रहा है और चाहता है कि सरकार जल्द से जल्द कोई ठोस कदम उठाए जिससे जवान की सकुशल वापसी हो सके. भारत-पाकिस्तान के बीच 10 मई को सीमा पर सभी सैन्य कार्रवाई रोकने की सहमति बनी है, जिससे साहू के परिवार को अब उम्मीद है कि जल्द ही खुशखबरी मिलेगी.