कांग्रेस ने शनिवार को गाजा में संघर्ष विराम के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव पर मतदान से दूर रहने के लिए केंद्र की मोदी सरकार पर हमला किया है. पार्टी ने आरोप लगाया कि भारत की विदेश नीति खस्ताहाल है. विपक्षी दल ने सरकार से यह भी पूछा कि क्या भारत ने युद्ध, नरसंहार और इंसाफ के खिलाफ अपने सैद्धांतिक रुख को त्याग दिया है.
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, "अब यह साफ हो रहा है कि हमारी विदेश नीति खस्ताहाल है. शायद, प्रधानमंत्री मोदी को अब अपने विदेश मंत्री की बार-बार की गई गलतियों पर विचार करना चाहिए और कुछ जवाबदेही तय करनी चाहिए. गाजा में युद्ध विराम के लिए यूएनजीए प्रस्ताव के लिए 149 देशों ने मतदान किया, जबकि भारत उन 19 देशों में से एक था, जिन्होंने मतदान में भाग नहीं लिया. हम इस कदम से अलग-थलग पड़ गए हैं."
कांग्रेस अध्यक्ष ने उठाया सवाल
खड़गे ने आगे कहा कि कांग्रेस ने 8 अक्टूबर 2023 को इजरायल के लोगों पर हमास द्वारा किए गए हमलों की निंदा की है. हमने लगातार अंधाधुंध कार्रवाइयों की निंदा की है, जिसमें गाजा पट्टी की घेराबंदी और उसमें बमबारी शामिल है. 60,000 लोग मारे गए हैं और व्यापक और भयावह मानवीय संकट है. क्या हमने मध्य पूर्व और पश्चिम एशिया में युद्धविराम, शांति और बातचीत की वकालत करने वाले भारत के लगातार रुख को छोड़ दिया है?
'भारत एकमात्र देश है...'
AICC महासचिव, संगठन, केसी वेणुगोपाल ने कहा कि भारत हमेशा शांति, न्याय और मानवीय गरिमा के लिए खड़ा है. लेकिन आज, भारत दक्षिण एशिया, ब्रिक्स और एससीओ में एकमात्र देश है, जिसने गाजा में युद्ध विराम की मांग करने वाले यूएनजीए प्रस्ताव पर अपना पक्ष नहीं रखा. 60 हजार लोग मारे गए, उनमें से ज्यादातर महिलाएं और बच्चे थे, हजारों लोग भूख से मर रहे हैं. एक मानवीय तबाही सामने आ रही है.
प्रियंका गांधी ने मोदी सरकार से पूछे सवाल
वायनाड से कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी संयुक्त राष्ट्र में भारत के रुख पर निराशा जताई. उन्होंने कहा, "यह हमारी उपनिवेशवाद विरोधी विरासत का दुखद उलटफेर है. यकीनन, हम न केवल नेतन्याहू द्वारा पूरे देश को नष्ट किए जाने पर चुप हैं, बल्कि हम उनकी सरकार द्वारा ईरान पर हमला किए जाने और उसकी संप्रभुता का घोर उल्लंघन करते हुए उसके नेतृत्व की हत्या किए जाने पर भी खुशी मना रहे हैं, और सभी अंतरराष्ट्रीय मानदंडों का पूरी तरह उल्लंघन कर रहे हैं."
प्रियंका ने आगे कहा, "हम एक राष्ट्र के रूप में अपने संविधान के सिद्धांतों और अपने स्वतंत्रता संग्राम के मूल्यों को कैसे त्याग सकते हैं, जिसने शांति और मानवता पर आधारित अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र का मार्ग प्रशस्त किया?"
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'चौंकाने वाली नैतिक कायरता...'
एआईसीसी मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने यह भी कहा कि गाजा युद्ध विराम पर भारत का संयुक्त राष्ट्र में बहिष्कार "एक चौंका देने वाली नैतिक कायरता का कार्य है, जो हमारी उपनिवेशवाद विरोधी विरासत और हमारे अपने स्वतंत्रता संग्राम के मूल्यों के साथ एक शर्मनाक विश्वासघात है."
उन्होंने याद दिलाया कि कैसे भारत एक बार फिलिस्तीन के लिए खड़ा था और 1974 में फिलिस्तीन मुक्ति संगठन (PLO) को मान्यता देने वाला पहला गैर-अरब राज्य बन गया, जिसने 1983 में नई दिल्ली में आयोजित 7वें गुटनिरपेक्ष आंदोलन (एनएएम) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए यासर अराफात को आमंत्रित किया और 1988 में औपचारिक रूप से फिलिस्तीनी राज्य को मान्यता दी.
उन्होंने कहा, "हम इंसाफ के पक्ष में रणनीति के रूप में नहीं, बल्कि सिद्धांत के रूप में खड़े थे लेकिन आज, वह गौरवशाली विरासत खंडहर में पड़ी है."
भारत का 12 जून, 2025 को संयुक्त राष्ट्र में गाजा युद्धविराम पर मतदान से दूर रहना एक चौंका देने वाली नैतिक कायरतापूर्ण कृत्य है. यह हमारी उपनिवेशवाद विरोधी विरासत और स्वतंत्रता संग्राम के मूल्यों के साथ शर्मनाक विश्वासघात है।
— Pawan Khera 🇮🇳 (@Pawankhera) June 14, 2025
कभी भारत ने फिलिस्तीन के लिए मजबूती से खड़ा होकर…
प्रस्ताव के पक्ष में कितने वोट पड़े?
193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा ने स्पेन द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव को भारी बहुमत से पारित कर दिया, जिसमें तत्काल, बिना शर्त और स्थायी युद्ध विराम की मांग की गई थी. भारत उन 19 देशों में शामिल था, जिन्होंने मतदान में हिस्सा नहीं लिया, जबकि 12 देशों ने प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया, जबकि प्रस्ताव के पक्ष में 149 वोट पड़े. संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत पर्वतनेनी हरीश ने कहा कि यह प्रस्ताव गाजा में बिगड़ती मानवीय स्थिति की बैकग्राउंड में आया है.