बाला साहेब ठाकरे द्वारा 1966 में स्थापित की गई पार्टी शिवसेना (जो 2022 में विभाजित हो गई थी) के नाम और उसके धनुष-बाण चिन्ह को लेकर उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच चल रहे विवाद पर आज सुप्रीम कोर्ट में अंतिम सुनवाई होगी. उद्धव ठाकरे गुट की याचिका पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट का फैसला तय करेगा कि धनुष-बाण चिन्ह पर किसका अधिकार होगा. क्या यह चिन्ह एकनाथ शिंदे गुट के पास बना रहेगा या उद्धव ठाकरे को वापस मिलेगा.
पूरे महाराष्ट्र की नजर इस ऐतिहासिक सुनवाई पर टिकी है, जो 2022 के दल-बदल संकट से उपजी इस राजनीतिक जंग का अंतिम अध्याय होगा. सुप्रीम कोर्ट की पीठ, जिसमें जस्टिस सुर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची शामिल हैं, आज मूल याचिका और अंतरिम आवेदन पर अंतिम दलीलें सुनेगी. वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल सुप्रीम कोर्ट में उद्धव गुट का प्रतिनिधित्व करेंगे. उद्धव गुट ने अपनी याचिका में जोर दिया है कि महाराष्ट्र में अगले साल जनवरी में होने वाले स्थानीय निकाय चुनावों से पहले इस मामले का निपटारा होना जरूरी है.
साल 2022 के दल-बदल में है इस विवाद की जड़
इस विवाद की जड़ साल 2022 के उस दल-बदल में है, जब शिवसेना में फूट पड़ गई थी. एकनाथ शिंदे ने 40 विधायकों के साथ तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत कर दी थी. इस कारण तत्कालीन महा विकास अघाड़ी (शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस का गठबंधन) सरकार अल्पमत में आ गई थी और उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था. एकनाथ शिंदे ने 40 विधायकों के साथ बीजेपी के समर्थन से सरकार बनाई और मुख्यमंत्री बने. इस सरकार में महाराष्ट्र के मौजूदा मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस डिप्टी सीएम थे.
चुनाव आयोग ने शिंदे गुट को दिया है धनुष-बाण
चुनाव आयोग (ईसीआई) ने फरवरी 2023 में शिंदे गुट को आधिकारिक शिवसेना मानते हुए धनुष-बाण चिन्ह आवंटित कर दिया था. इसके बाद महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर राहुल नार्वेकर ने जनवरी 2024 में शिंदे गुट के 16 विधायकों को अयोग्य घोषित करने की याचिका खारिज कर दी. उद्धव गुट ने इन फैसलों को 'अवैध और पक्षपाती' बताते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. उद्धव ठाकरे ने अपनी याचिका में कहा है, 'शिवसेना बालासाहेब ठाकरे की विरासत है. उनका बेटा होने के नाते पार्टी पर मेरा हक है.'
उद्धव ने आयोग के फैसले को दी है SC में चुनौती
वहीं, शिंदे गुट के वकील मुकुल रोहतगी और नीरज किशन कौल ने दलील दी कि 2022 के दल-बदल के दौरान विधायकों का बहुमत जिसके साथ था, वही असली शिवसेना पार्टी मानी जाएगी. यह मामला केवल पार्टी के चिन्ह तक सीमित नहीं है. इससे महाराष्ट्र की राजनीति पर गहरा असर पड़ेगा. स्थानीय निकाय चुनावों में चिन्ह का असर प्रत्यक्ष होगा, जहां शिवसेना-यूबीटी (UBT) को 'जलता हुआ मशाल' जैसे वैकल्पिक चिन्ह का इस्तेमाल करना पड़ रहा है, वहीं शिंदे गुट की शिवसेना धनुष-बाण चिन्ह के साथ चुनाव मैदान में उतरेगी. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला दल-बदल विरोधी कानून की विस्तृत व्याख्या करेगा.