महाराष्ट्र में स्कूलों के लिए लागू की गई नई भाषा नीति पर सियासत गरमा गई है. राज्य सरकार के शिक्षा विभाग ने एक नया शासन निर्णय (GR) जारी किया है, पहले कक्षा 1 से 5 तक के छात्रों के लिए हिंदी को तीसरी भाषा (थर्ड लैंग्वेज) के रूप में शामिल किया गया था. हालांकि अब इसमें संशोधन करते हुए छात्रों को हिंदी के बजाय कोई दूसरी भारतीय भाषा चुनने की छूट दी गई है, बशर्ते किसी एक कक्षा में कम से कम 20 छात्र उस भाषा को चुनें. उस स्थिति में स्कूल को उस भाषा का शिक्षक रखना होगा या ऑनलाइन पढ़ाई की सुविधा देनी होगी.
बता दें कि मराठी भाषा सभी स्कूलों में अनिवार्य रहेगी. अन्य माध्यम के स्कूलों (जैसे उर्दू, गुजराती आदि) में कक्षा 1 से 5 तक तीन भाषाएं पढ़ाई जाएंगी. स्कूल का माध्यम, मराठी और अंग्रेज़ी. जबकि कक्षा 6 से 10 तक राज्य पाठ्यक्रम के ढांचे के अनुसार पढ़ाई होगी.
इस नीति पर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) चीफ राज ठाकरे ने कड़ी आपत्ति जताई है. उन्होंने हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में थोपे जाने का विरोध करते हुए स्कूल प्रमुखों, संपादकों, लेखकों और अभिभावकों से मराठी संस्कृति की रक्षा के लिए आगे आने की अपील की. राज ठाकरे ने कहा कि जब गुजरात में हिंदी अनिवार्य नहीं है, तो महाराष्ट्र में ऐसा क्यों?
वहीं, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राज ठाकरे के बयान का जवाब देते हुए कहा कि उन्होंने खुद ठाकरे से इस विषय पर बात की है. फडणवीस ने स्पष्ट किया कि राज ठाकरे सिर्फ दो-भाषा नीति के पक्षधर हैं. उन्होंने यह भी कहा कि यह तीन-भाषा नीति केंद्र सरकार की नई शिक्षा नीति (NEP) का हिस्सा है, जिसे सभी राज्यों को लागू करना है.
फडणवीस ने बताया कि तमिलनाडु ने इस नीति को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन उसे राहत नहीं मिली. उन्होंने कहा कि नई नीति बच्चों की मानसिक और बौद्धिक विकास के अध्ययन के आधार पर बनाई गई है. उन्होंने सवाल उठाया कि जब मराठी भाषा सुरक्षित है, तो किसी अन्य भारतीय भाषा को सीखने में क्या दिक्कत है?
वहीं, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाळ ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह नीति मराठी भाषा और पहचान को कमजोर करने की साजिश है. उन्होंने दावा किया कि फडणवीस, शिंदे और अजित पवार दिल्ली के इशारे पर काम कर रहे हैं और महाराष्ट्र के हितों की अनदेखी कर रहे हैं.
शिक्षा मंत्री दादा भुसे ने भी स्पष्ट किया कि हिंदी अनिवार्य नहीं है, लेकिन मराठी सभी स्कूलों में जरूरी है. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर किसी स्कूल ने नियमों का पालन नहीं किया तो उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.