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मुंबई: फेक करेंसी मामले में NIA कोर्ट का बड़ा फैसला, जेल से साजिश रचने वाला इशाक खान दोषी करार

जांच के दौरान NIA को दस्तावेज़ी और डिजिटल साक्ष्य, जैसे कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDRs) भी मिले, जिससे आरोपियों के बीच संचार की पुष्टि हुई. जनवरी 2021 में NIA ने सभी तीन आरोपियों के खिलाफ पूरक चार्जशीट दाखिल की.

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फेक करेंसी मामले में एनआईए कोर्ट का अहम फैसला (प्रतीकात्मक फोटो)
फेक करेंसी मामले में एनआईए कोर्ट का अहम फैसला (प्रतीकात्मक फोटो)

ठाणे जिले के मुंब्रा में वर्ष 2019 में सामने आए नकली करेंसी मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की विशेष अदालत ने बुधवार को मुख्य आरोपी इशाक खान को दोषी ठहराते हुए 5 साल की सश्रम कैद और ₹10,000 का जुर्माना सुनाया है. सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी.

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यह मामला ₹500 के नोटों में ₹82,000 मूल्य की फर्जी भारतीय मुद्रा (FICN) की बरामदगी से जुड़ा है, जो मुंब्रा निवासी आरोपी जसीम उर्फ वसीम सलीम शेख के घर से बरामद की गई थी. मुंब्रा पुलिस द्वारा की गई पूछताछ में पता चला कि इस गिरोह से जुड़ा एक अन्य आरोपी राधाकृष्ण अडप्पा कर्नाटक से था, जिसे बाद में गिरफ्तार किया गया. दोनों को अगस्त 2019 में पुलिस ने चार्जशीट किया.

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बाद में इस मामले की जांच NIA ने अपने हाथ में ली और IPC की धारा 120B, 489B, 489C और 34 के तहत मामला फिर से दर्ज किया गया. जांच में खुलासा हुआ कि जसीम को फर्जी नोटों की डिलीवरी इशाक खान ने कोलकाता जेल से रहते हुए करवाई थी, जहां वह एक अन्य अपराध में बंद था. अक्टूबर 2020 में NIA ने इशाक़ को इस मामले में गिरफ्तार किया.

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जांच के दौरान NIA को दस्तावेज़ी और डिजिटल साक्ष्य, जैसे कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDRs) भी मिले, जिससे आरोपियों के बीच संचार की पुष्टि हुई. जनवरी 2021 में NIA ने सभी तीन आरोपियों के खिलाफ पूरक चार्जशीट दाखिल की. हाल ही में, इशाक़ ख़ान ने अदालत में दोष कबूल कर लिया, जिसके बाद उसे सजा सुनाई गई है, जबकि बाकी दो आरोपियों के खिलाफ सुनवाई अभी जारी है.
 

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