मध्य प्रदेश के इंदौर जिले के महू विधानसभा क्षेत्र के रोचक चुनावी मुकाबले में भाजपा प्रत्याशी उषा ठाकुर ने मंगलवार को कांग्रेस उम्मीदवार अंतरसिंह दरबार को 7,157 मतों के अंतर से हराया. उषा को 97,009 मत मिले, जबकि दरबार के हिस्से में 89,852 वोट आए.
Election Results 2018 Live Updates: आज फैसले का दिन
इंदौर जिले की अंबेडकर नगर महू सीट पर पिछले दो चुनावों से बीजेपी को जीत मिली है और यहां से कैलाश विजयवर्गीय दो बार विधायक रहे हैं. इस सीट पर करीब ढाई लाख मतदाता वोट करते हैं.
बीजेपी महासचिव और मध्य प्रदेश में पार्टी के कद्दावर नेता कैलाश विजयवर्गीय साल 1990 से लगातार विधायक हैं. लंबे वक्त तक वे इंदौर की अलग-अलग सीटों से चुनाव लड़ते रहे हैं, लेकिन 2008 से वे महू सीट से लड़कर जीतते आ रहे हैं.
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2013 महू चुनाव के नतीजे
पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी से कैलाश विजयवर्गीय ने 89848 वोटों के साथ जीत दर्ज की थी. वहीं कांग्रेस से अंतरसिंह दरबार 77632 वोटों पर सिमट गए थे.
2008 महू चुनाव के नतीजे
साल 2008 में कैलाश विजयवर्गीय ने कांग्रेस के अंतरसिंह दरबार को मिले 57401 वोटों के मुकाबले 67192 वोट पाकर 9791 वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी.
2013 में राज्य में क्या थे चुनावी नतीजे
मध्य प्रदेश में कुल 231 विधानसभा सीटें हैं. 230 सीटों पर चुनाव होते हैं जबकि एक सदस्य को मनोनीत किया जाता है. 2013 के चुनाव में बीजेपी को 165, कांग्रेस को 58, बसपा को 4 और अन्य को तीन सीटें मिली थीं.
इस बार की वोटिंग में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी
निर्वाचन आयोग के मुताबिक इस बार मध्य प्रदेश में 75.05 फीसदी मतदान हुआ. जबकि 2013 में 72.07 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था. इस बार महिलाओं का मतदान प्रतिशत पिछले चुनाव के मुकाबले करीब 4 फीसदी बढ़कर 74.03 प्रतिशत रहा. 2013 में महिलाओं का मतदान प्रतिशत 70.11 प्रतिशत रहा था.
कितने लोगों ने किया मताधिकार का प्रयोग
निर्वाचन आयोग के मुताबिक 2013 में मध्य प्रदेश में कुल 4,66,36,788 मतदाता थे जिनमें महिला मतदाताओं की संख्या 2,20,64,402 और पुरुष मतदाताओं की संख्या 2,45,71,298 और अन्य वोटर्स 1088 थे. 2013 में 72.07 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था.
इसके पहले कैसा रहा है वोटिंग का प्रतिशत
मध्य प्रदेश में 1990 में स्व. सुंदरलाल पटवा के नेतृत्व में भाजपा मैदान में उतरी और 4.36 फीसदी वोट बढ़ गए. तत्कालीन कांग्रेस की सरकार को हार का सामना करना पड़ा था. इसके बाद 1993 में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस चुनाव में उतरी तो 6.03 प्रतिशत मतदान बढ़ा और बीजेपी की पटवा सरकार हार गई थी.
वहीं, 1998 में वोटिंग प्रतिशत 60.22 रहा था जो 1993 के बराबर ही था. उस वक्त दिग्विजय सिंह की सरकार बनी. लेकिन 2003 में उमा के नेतृत्व में भाजपा सामने आई और दिग्विजय सिंह की 10 साल की सरकार सत्ता से बाहर हो गई. उस वक्त भी 7.03 प्रतिशत वोट बढ़े थे.
पिछले तीन बार से शिवराज सूबे के मुख्यमंत्री
2003 में मुख्यमंत्री बनी उमा भारती के इस्तीफे के बाद सूबे के वरिष्ठ नेता बाबूलाल ने 23 अगस्त 2004 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. बाबूलाल गौर के 29 नवंबर 2005 को पद छोड़ने पर शिवराज ने प्रदेश की बागडोर संभाली और 2008 और 2013 का विधानसभा चुनाव भी जिताने में सफल रहे. पिछले 13 वर्षों से राज्य में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड शिवराज के नाम दर्ज है.
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