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भारतीय रेलवे का नया कदम: हाथियों की जान बचाने के लिए चक्रधरपुर मंडल में AI तकनीक, 15 करोड़ की योजना

दक्षिण पूर्व रेलवे के चक्रधरपुर रेल मंडल ने हाथियों को ट्रेन हादसों से बचाने के लिए AI आधारित इंट्रूशन डिटेक्शन सिस्टम स्थापित कर रही है. 15 करोड़ रुपये की इस परियोजना में प्रेशर-वेव सेंसर, ऑप्टिकल फाइबर और AI एल्गोरिद्म का इस्तेमाल किया जाएगा, जो हाथियों की गतिविधि 200 मीटर पहले पहचान कर स्टेशन मास्टर व कंट्रोल रूम को अलर्ट भेजता है.

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रेलवे का बड़ा फैसला, AI से बचाई जाएंगी हाथियों की जान
रेलवे का बड़ा फैसला, AI से बचाई जाएंगी हाथियों की जान

दक्षिण पूर्व रेलवे का चक्रधरपुर रेल मंडल हाथियों को ट्रेन हादसों से बचाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठा रहा है. मंडल के विभिन्न एलीफैंट कॉरिडोरों में अब अत्याधुनिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित इंट्रूशन डिटेक्शन सिस्टम लगाया जा रहा है. इस परियोजना पर रेलवे करीब 15 करोड़ रुपये खर्च कर रही है.

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हाथियों की सुरक्षा के लिए तकनीकी पहल

यह इंट्रूशन डिटेक्शन सिस्टम प्रेशर-वेव सेंसर, ऑप्टिकल फाइबर केबल, और एआई एल्गोरिद्म के संयोजन से काम करता है. यह तकनीक ट्रेन की पटरियों के आसपास हाथियों की हलचल को लगभग 200 मीटर पहले ही पहचान लेती है. जैसे ही सिस्टम हाथियों की उपस्थिति दर्ज करता है, यह तत्काल सिग्नल नजदीकी स्टेशन मास्टर और ट्रेन कंट्रोल रूम तक पहुंचाता है. इससे लोको पायलटों को समय रहते अलर्ट मिल जाता है और ट्रेन की गति को कम कर दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है.

परीक्षण के लिए जामनगर से लाया गया हाथी

इस स्मार्ट सिस्टम की दक्षता जांचने और ग्राफ डेटा तैयार करने के लिए रेल मंडल ने खास कदम उठाया है. गुजरात के जामनगर स्थित उद्योगपति मुकेश अंबानी के बेटे अनंत अंबानी के वन्यजीव अभयारण्य "वनतारा" से एक प्रशिक्षित हाथी मंगवाया गया है. यह हाथी दो दिनों तक चक्रधरपुर में रहेगा और सिग्नल व टेलीकॉम विभाग द्वारा सिस्टम की सटीकता जांचेगा. हाथी को पटरियों के पास से गुजारकर डेटा तैयार किया जाएगा, जो एआई सिस्टम में फीड कर भविष्य की मॉनिटरिंग को और बेहतर बनाएगा.

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इन रेलखंडों में होगा सिस्टम का इस्तेमाल

यह सिस्टम चक्रधरपुर मंडल के मानीकुई-चांडिल, धुतरा-बागडीह, कुनकी-चांडिल, और जराईकेला-महादेवशाल रेल खंडों में लगाया जा रहा है. सभी खंडों में इंस्टॉलेशन का काम अंतिम चरण में है.

हादसों से सबक और नई शुरुआत

चक्रधरपुर रेल मंडल, जो कि झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती घने जंगलों जैसे सारंडा, पोड़ाहाट, कोल्हान, और दलमा जैसे क्षेत्रों से गुजरता है, में हाथियों की रेल दुर्घटनाओं में मौत एक बड़ी समस्या रही है. वन विभाग भी पहले कई बार इस पर आपत्ति जता चुका है. अब यह नया तकनीकी उपाय वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक मजबूत कदम माना जा रहा है.

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6 दिनों की यात्रा के बाद पहुंचा हाथी

वनतारा से आए इस हाथी को चक्रधरपुर तक लाने में 6 दिन का समय लगा. सड़क मार्ग से विशेष वाहनों के जरिए हाथी को सुरक्षित तरीके से यहां तक पहुंचाया गया. अब इस हाथी के सहयोग से रेलवे की यह हाईटेक योजना जमीनी हकीकत बनती दिख रही है.

रेलवे का यह इनोवेटिव प्रयास केवल हाथियों की जान बचाने की दिशा में ही नहीं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और तकनीक के जिम्मेदार उपयोग की मिसाल भी पेश करता है. चक्रधरपुर रेल मंडल इस बदलाव का केंद्र बनकर एक नई शुरुआत की कहानी लिख रहा है.

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