देवघर को हृदयपीठ भी कहते हैं. यहां माता सती का हृदय गिरा था. देवघर की शक्ति साधना में भैरव की प्रधानता है और बैद्यनाथ स्वयं यहां भैरव हैं. इनकी प्रतिष्ठा के मूल में तांत्रिक अभिचारों की ही प्रधानता है. तांत्रिक ग्रंथों में इस स्थल की चर्चा है. देवघर में काली और महाकाल के महत्व की चर्चा तो पद्मपुराण के पातालखंड में भी की गयी है.
देवघर के उत्तर में भागलपुर, दक्षिण-पूर्व में दुमका और पश्चिम में गिरिडीह है. कहते हैं कि बाबाधाम मंदिर का कुछ अंश 1596 में गिधौर महाराजा के पूर्वज पूरनमल ने बनवाया था. मंदिर के शिखर पर सोने का कलश भी उन्होंने ही रखवाया था.
देवघर की राजनीतिः तीन बार से हर चुनाव में बदल रहे विधायक और पार्टियां
देवघर की जनता और मतदाता इतने सजग हैं कि अगर किसी नेता या पार्टी ने काम नहीं किया तो अगली बार दूसरे को मौका. कम से कम पिछले तीन बार के विधानसभा चुनावों को देखकर तो यही लगता है. 2005 में यहां पर जदयू के कामेश्वर नाथ दास विधायक बने. इसके बाद 2009 में देवघर की जनता ने राजद के सुरेश पासवान को मौका दिया. 2014 में भारतीय जनता पार्टी के नारायण दास चुनकर आए और विधायक बने. इन्होंने राजद के सुरेश पासवान को 45152 वोटों से हराया था. यहां के जरमुंडी विधानसभा सीट से कांग्रेस के विधायक बादल पत्रलेख हैं. मधुपुर सीट से भाजपा के विधायक राज पालीवार हैं और सारठ से भाजपा के रणधीर सिंह हैं. दोनों ही भाजपा सरकार में मंत्री हैं.
देवघर की आबादी 14.92 लाख, साक्षरता दर 64.85 फीसदी
2011 की जनगणना के अनुसार देवघर की कुल आबादी 1,492,073 है. इनमें से 775,022 पुरुष हैं और 717,051 महिलाएं हैं. जिले का औसत लिंगानुपात 925 है. जिले के 17.3 फीसदी आबादी शहरी और 82.7 प्रतिशत लोग ग्रामीण इलाकों में रहते हैं. जिले की औसत साक्षरता दर 64.85 फीसदी है. पुरुषों में शिक्षा का दर 63.2 फीसदी है, जबकि महिलाओं में 42.35 फीसदी है.
देवघर की जातिगत गणित
देवघर की कुल आबादी में से 551,467 लोग किसी न किसी तरह के रोजगार में शामिल हैं. इनमें से 53.9 फीसदी या तो स्थाई रोजगार में हैं या साल में 6 महीने से ज्यादा कमाई करते हैं.
बाबाधाम मंदिर के अलावा त्रिकुट पहाड़ देवघर में सबसे रोमांचक पर्यटन स्थलों में से एक है. यहां आप ट्रेकिंग, रोपवे, वाइल्डलाइफ एडवेंचर्स और प्रकृति का आनंद ले सकते हैं. यहां प्रसिद्ध त्रिकुटाचल महादेव मंदिर और ऋषि दयानंद आश्रम है. ठाकुर अनुकुलचंद्र द्वारा स्थापित सत्संग आश्रम भी विख्यात धार्मिक स्थल है. आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देने के लिए देवघर में 1946 में इस आश्रम को स्थापित किया था. यहां मौजूद नंदन पहाड़ पर नंदी मंदिर है. यह बाबाधाम मंदिर से 3 किमी दूर है. यहां बाबाधाम से 1.5 किमी दूर है नौलखा मंदिर जहां भगवान श्रीकृष्ण और राधा की पूजा होती है. मंदिर के निर्माण में 9 लाख रुए खर्च हुए थे. इसे रानी चारूशिला ने बनवाया था. इसलिए इसका नाम नौलखा मंदिर हो गया. इसके अलावा यहा भगवान शिव का बासुकीनाथ मंदिर है. बाबाधाम की यात्रा अधूरी मानी जाती है अगर भक्त बासुकीनाथ मंदिर न जाए.