पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान से आए नागरिकों के लिए वापस जाने की आज 27 अप्रैल तक की डेडलाइन तय की थी. इस आदेश के तहत झारखंड में भी कार्रवाई शुरू हो गई है. रांची में 4 और जमशेदपुर में 3 पाकिस्तानी नागरिकों की पहचान की गई है. पुलिस ने इन सभी को केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों की सूचना दे दी है.
जानकारी के अनुसार, रांची के डोरंडा इलाके के मनीटोला स्थित तिकोनिया कॉलोनी में 2012 में तीन बहनों की शादी पाकिस्तान के तीन भाइयों से हुई थी. शादी के बाद तीनों बहनें टूरिस्ट वीजा पर पाकिस्तान चली गई थीं, लेकिन उन्होंने वहां की नागरिकता नहीं ली. वीजा समाप्त होने के बाद वे भारत लौट आईं और रांची में अपने माता-पिता के साथ रहने लगीं. इसी दौरान तीनों बहनों को बच्चे हुए, जिनकी उम्र अब 2 से 10 साल के बीच है.
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समस्या यह है कि इन बच्चों की नागरिकता जन्म से पाकिस्तान की है. अब सरकार के निर्देश के मुताबिक, उन्हें भारत छोड़ना होगा. पुलिस ने उनके परिवारों को औपचारिक सूचना दे दी है. बच्चों की माताएं भारतीय हैं, जबकि उनके पिता पाकिस्तानी नागरिक हैं. इस स्थिति ने परिवारों के सामने मुश्किल खड़ी कर दी है, क्योंकि भारतीय माताएं बच्चों को पाकिस्तान नहीं भेज सकतीं और पाकिस्तानी पिता को भारत में प्रवेश की अनुमति नहीं मिल सकती.
पूरे मामले को लेकर क्या बोले डीजीपी?
इस मुद्दे पर झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता ने आजतक से बातचीत में स्पष्ट किया कि इस तरह के मामलों में राज्य सरकार के पास कोई निर्णय लेने का अधिकार नहीं है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के गाइडलाइन का पालन अनिवार्य है. रांची के एसएसपी एवं डीआईजी चंदन सिन्हा ने भी आजतक से बात करते हुए कहा कि सभी पाकिस्तानी वीजा धारकों को भारत सरकार के निर्देशों के पालन के लिए सूचित कर दिया गया है.
परिवारों के लिए यह स्थिति बेहद चुनौतीपूर्ण है. एक फैमिली के दादी-दादा ने आजतक से नाम न छापने की शर्त पर बातचीत में कहा कि समस्या बड़ी है, लेकिन कोई विकल्प नहीं बचा है. बच्चों को पाकिस्तान जाना ही होगा.
गौरतलब है कि भारत सरकार ने सभी पाकिस्तानी वीजा धारकों को देश छोड़ने का निर्देश दिया है. मेडिकल वीजा धारकों को 29 अप्रैल तक का समय दिया गया है, जबकि अन्य वीजा धारकों को आज 27 अप्रैल तक भारत छोड़ना अनिवार्य है. इस फैसले से पूरे देश में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों में हड़कंप मचा हुआ है.