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Pahalgam हमले के बाद जम्मू कश्मीर में रह रहे 59 पाकिस्तानियों को देश छोड़ने का आदेश, शौर्य चक्र से सम्मानित कॉन्स्टेबल की मां भारत में ही रहेंगी

shaurya chakra awardee mudasir ahmad shaikh: जम्मू-कश्मीर से 59 पाकिस्तानी नागरिकों को वाघा बॉर्डर के ज़रिए वापस भेजा जा रहा है. इनमें शौर्य चक्र से सम्मानित शहीद कॉन्स्टेबल मुदासिर अहमद शेख की मां का नाम नहीं है. शमीमा अख्तर 45 वर्षों से भारत में रह रही थीं.

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पाकिस्तान जाने के लिए रवाना होते समय एक पाकिस्तानी नागरिक महिला भावुक हो गई, अटारी-वाघा सीमा चौकी पर उसके भारतीय नागरिक पति को अधिकारियों ने उसके साथ जाने से रोक दिया.
पाकिस्तान जाने के लिए रवाना होते समय एक पाकिस्तानी नागरिक महिला भावुक हो गई, अटारी-वाघा सीमा चौकी पर उसके भारतीय नागरिक पति को अधिकारियों ने उसके साथ जाने से रोक दिया.

जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने मंगलवार को 59 पाकिस्तानी नागरिकों को उनके देश वापस भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. पहले इन लोगों में शौर्य चक्र से सम्मानित कॉन्स्टेबल मुदासिर अहमद शेख की मां शमीमा अख्तर का नाम भी शामिल था, लेकिन बाद में उनका नाम हटा दिया गया. उनके बेटे ने आतंकवादियों से लड़ते हुए मई 2022 में शहादत दी थी. पहले 60 पाकिस्तानी नागरिकों को उनके देश वापस भेजने की खबर आई थी, लेकिन बाद में मुदासिर अहमद शेख की मां शमीमा अख्तर का नाम लिस्ट से हटा दिया गया. शमीमा के बहनोई मोहम्मद यूनुस ने कहा कि शहीद मुदासिर की मां घर लौट आई हैं, क्योंकि उन्हें निर्वासन के लिए नहीं ले जाया गया. यूनुस ने कहा, 'हम भारत सरकार के आभारी हैं.'

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वाघा बॉर्डर पर पाकिस्तानी अधिकारियों को सौंपा जाएगा
इन सभी लोगों को कश्मीर के विभिन्न जिलों से इकट्ठा कर पंजाब ले जाया गया, जहां इन्हें वाघा बॉर्डर पर पाकिस्तानी अधिकारियों को सौंपा जाएगा. केंद्र सरकार ने हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले के बाद यह निर्णय लिया था. साथ ही, भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित करने, पाकिस्तान के साथ कूटनीतिक संबंधों को घटाने और अल्पकालिक वीजा पर आए पाकिस्तानियों को 27 अप्रैल तक देश छोड़ने का आदेश दिया था. 

इन 59 लोगों में से अधिकतर पूर्व आतंकवादियों की पत्नियां और बच्चे हैं, जो 2010 की पुनर्वास नीति के तहत वापस आए थे. 

1990 में हुई थी शादी
शमीमा अख्तर की शादी मोहम्मद मकसूद नामक पुलिस अधिकारी से हुई थी, ये 1990 से पहले की बात है. शमीमा पिछले 45 वर्षों से भारत में रह रही हैं. उनके बेटे मुदासिर अहमद शेख ने विदेशी आतंकियों से मुठभेड़ में जान गंवाई थी और उन्हें मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया.

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मुदासिर के चाचा मोहम्मद यूनुस ने कहा, 'मेरी भाभी पाक अधिकृत कश्मीर से हैं, जो हमारा ही हिस्सा है. उन्हें पाकिस्तानियों की श्रेणी में नहीं रखा जाना चाहिए.' उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से अपील की कि शमीमा को भारत में रहने दिया जाए. बारामूला के मुख्य चौक का नाम भी शहीद मुदासिर के नाम पर रखा गया है.

पाकिस्तानियों को भारत से भेजने का सिलसिला लगातार जारी है. अलग-अलग राज्यों से पाकिस्तानी नागरिक भेजे जा रहे हैं. सरकार ने देश छोड़ने के लिए 27 अप्रैल की डेडलाइन तय की थी. मेडिकल वीजा वालों के लिए समयसीमा 29 अप्रैल रखी गई थी.

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