प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने हिमाचल प्रदेश के असिस्टेंट ड्रग कंट्रोलर (मुख्यालय) निशांत सरीन को मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत गिरफ्तार किया है. 9 अक्टूबर 2025 को उनकी गिरफ्तारी भ्रष्टाचार, जालसाजी, धोखाधड़ी, आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने और आपराधिक षड्यंत्र से संबंधित मामलों की जांच के दौरान की गई.
ED ने ये जांच हिमाचल प्रदेश पुलिस के स्टेट विजिलेंस और एंटी करप्शन ब्यूरो द्वारा दर्ज FIR के आधार पर शुरू की थी. निशांत सरीन उस समय बद्दी में असिस्टेंट ड्रग कंट्रोलर के पद पर तैनात थे. उन्हें पहले स्टेट विजिलेंस और एंटी करप्शन ब्यूरो ने गिरफ्तार किया था और उनकी सहयोगी कोमल खन्ना के साथ आरोप पत्र दाखिल किया गया था.
इसी मामले से जुड़े एक अन्य मामले में हरियाणा की पंचकूला पुलिस ने एक FIR दर्ज की. इसमें आरोप लगाया गया है कि निशांत सरीन और कोमल खन्ना ने पंचकूला स्थित झेनिया फार्मास्युटिकल्स के एक साझेदारी डीड में फर्जीवाड़ा किया. आरोप है कि कोमल खन्ना की हिस्सेदारी 50% से बढ़ाकर 95% कर दी गई थी.
इसके अलावा सितंबर 2025 में हिमाचल के राज्य औषधि एवं औषधि ब्यूरो ने निशांत सरीन के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज की. इसमें आरोप था कि उन्होंने अप्रैल 2002 से अगस्त 2019 के बीच हिमाचल प्रदेश में औषधि निरीक्षक और बाद में सहायक औषधि नियंत्रक के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान कथित रूप से 1.66 करोड़ रुपए से अधिक की आय अर्जित की.
ईडी के अनुसार जांच में पता चला कि निशांत सरीन ने अपने अधिकार क्षेत्र में काम करने वाली दवा कंपनियों के मालिकों और प्रबंधकों से रिश्वत और व्यक्तिगत लाभ लेने के लिए अपने पद का दुरुपयोग किया. जांच से यह भी सामने आया कि सरीन ने धोखाधड़ी, जालसाजी और भ्रष्टाचार के जरिए अवैध धन कमाया, जिसका इस्तेमाल बाद में शानदार जीवनशैली जीने और अपनी ज्ञात आय के सोर्स से परे संपत्ति अर्जित करने में किया गया.
इससे पहले जून और जुलाई 2025 में ईडी ने इस मामले में तलाशी अभियान चलाया था. इस दौरान महत्वपूर्ण संपत्तियों को ज़ब्त और फ्रीज किया गया, जिसमें 32 लाख मूल्य की 2 लग्जरी गाड़ियां, 65 लाख का गोल्ड और ज्वैलरी, 48 बैंक खाते और एफडीआर शामिल थी. इन सभी संपत्तियों की कुल कीमत लगभग 2.23 करोड़ थी. ये निशांत सरीन और उनके परिवार के सदस्यों से जुड़ी थीं.
ईडी ने बताया कि निशांत सरीन को पीएमएलए के तहत हिरासत में लिया गया है. अपराध से हुई अतिरिक्त आय का पता लगाने और मामले में शामिल सभी लाभार्थियों के नेटवर्क की पहचान करने के लिए आगे की जांच जारी है.