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हरियाणा: BJP नेता रामनिवास सुरजाखेड़ा को ED ने किया गिरफ्तार, 72 करोड़ के वैट घोटाले का है आरोप

ईडी ने 72 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी में पूर्व अधिकारी सुनील बंसल और पूर्व विधायक रामनिवास सुरजाखेड़ा को गिरफ्तार किया है. फिलहाल ईडी की टीम ने दोनों आरोपियों को पंचकूला में अतिरिक्त जिला न्यायाधीश की अदालत में पेश किया और पांच दिन की रिमांड हासिल की. ​​

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फाइल फोटो
फाइल फोटो

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) से जुड़े 72 करोड़ रुपये के वैट रिफंड घोटाले के सिलसिले में पूर्व अधिकारी सुनील कुमार बंसल और पूर्व विधायक रामनिवास सुरजाखेड़ा को गिरफ्तार किया. हुडा में पूर्व अधीक्षक सुरजाखेड़ा स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) लेने के बाद राजनीति में आए थे. चंडीगढ़ से आई ईडी की टीम ने दोनों आरोपियों को पंचकूला में अतिरिक्त जिला न्यायाधीश की अदालत में पेश किया और पांच दिन की रिमांड हासिल की. ​​जांच में आरोप लगाया गया है कि अधिकारियों और बिल्डरों ने फर्जी कंपनियों को बड़ी रकम वापस करने के लिए मिलीभगत की. यह मामला 7 मार्च, 2023 को पंचकूला के सेक्टर-7 थाने में दर्ज एफआईआर से शुरू हुआ.

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शिकायत HSVP के तत्कालीन मुख्य लेखा अधिकारी चमन लाल ने दर्ज की थी. जिन्होंने पंजाब नेशनल बैंक की चंडीगढ़ शाखा में HSVP के खाते से धन की वित्तीय धोखाधड़ी की रिपोर्ट की थी. 2015 और 2019 के बीच, बिना किसी वैध औचित्य के लगभग 72 करोड़ निकाले गए और विभिन्न पक्षों को हस्तांतरित किए गए.

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प्रारंभिक जांच से पता चलता है कि घोटाला 72 करोड़ से काफी बड़ा हो सकता है. इस मामले में ED ने पहले ही तीन अंतरिम कुर्की आदेश जारी किए हैं, जिसमें लगभग 21 करोड़ की संपत्ति जब्त की गई है. घोटाले के समय सुनील बंसल आहरण एवं संवितरण अधिकारी (DDO) थे और HSVP के आधिकारिक ईमेल पर उनका नियंत्रण था.

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ED के अनुसार उन्होंने अलग-अलग बैंक खातों में भुगतान का अनुरोध करते हुए कम से कम 50 ईमेल भेजे. जांचकर्ताओं ने इन भुगतानों का पता लगाया है जो लगभग 18 व्यक्तियों के खातों में थे. जिनमें से कुछ बिल्डर हैं, जबकि अन्य कथित तौर पर वंचित पृष्ठभूमि से हैं. यह घोटाला गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत, रेवाड़ी, करनाल, पंचकूला और हिसार में काम करने वाले बिल्डरों से जुड़ा है.

धोखाधड़ी का सबसे बड़ा हिस्सा गुरुग्राम में हुआ है, जहां लवी नामक बिल्डर का काफी प्रभाव बताया जाता है. रिपोर्ट्स बताती हैं कि HSVP के अधिकारियों ने बिल्डरों के साथ मिलीभगत करके अपने सहयोगियों के लिए रियायती दरों पर प्लॉट खरीदने में मदद की, जिन्होंने बाद में उन्हें बढ़े हुए बाजार मूल्यों पर बेच दिया.

HSVP के खातों से बिना वैध दस्तावेजों के निजी खातों में पैसे जाने का भी पता चला. इसने तत्कालीन मुख्य प्रशासक अजीत बालाजी जोशी को एक आंतरिक जांच शुरू करने के लिए प्रेरित किया. इसमें पता चला कि लगभग 72 करोड़ रुपये ऐसे व्यक्तियों को वितरित किए गए थे, जिनके दस्तावेज HSVP के रिकॉर्ड से गायब थे. बाद में मामले की सूचना तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को दी गई.

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