गुजरात के पूर्व गृह मंत्री विपुल चौधरी को भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार किया गया है. 700 करोड़ से ज्यादा के घोटाले के आरोप में 14 सितंबर की रात अहमदाबाद क्राइम ब्रांच ने उन्हें उनके घर से गिरफ्तार किया था. इसके बाद जांच के लिए एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) को सौंप दिया गया. एसीबी उनसे विपुल चौधरी के जरिए सख्त पूछताछ कर रही है.
पूर्व गृहमंत्री की गिरफ्तारी से गुजरात में राजनीति गरमा गई है. विपुल चौधरी के समर्थन वाली अर्बुदा सेना उनकी गिरफ्तारी का विरोध कर रही है. बीजेपी की सरकार में विपुल चौधरी को गृहमंत्री बनाया गया था. कांग्रेस में भी उनकी उतनी ही धाक थी. जानते हैं करोड़ों के घोटाले के आरोपी के बारे में-
मिल्क कूलर की खरीद में भ्रष्टाचार का है आरोप
विपुल चौधरी ने 2008 से 2012 के बीच में अलग-अलग सहकारी मंडली को लेकर करीब 700 से ज्यादा मिल्क कूलर खरीदे थे. मिल्क कूलर की खरीदी में 80% सरकार सब्सिडी देती है. कृषि विभाग के जरिए योजना निकाली गई थी. इसी मिल्क कूलर को खरीदने में विपुल चौधरी पर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार करने के आरोप भी लगे हैं.
विपुल के पिता ने स्थापित की थी दूधसागर डेयरी
विपुल चौधरी के पिता मानसीभाई चौधरी ने दूधसागर डेयरी की स्थापना की थी. चौधरी समाज में वह बहुत बड़ा नाम थे. विपुल चौधरी उस वक्त अहमदाबाद की LD इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ते थे. उस वक्त वह विद्यार्थी नेता के तौर पर काफी एक्टिव थे, जिसके बाद वह LD इंजीनियरिंग कॉलेज के जनरल सेक्रेटरी बने. वह यूनिवर्सिटी सीनेट के सदस्य भी बने. इसी दौरान वह शंकरसिंह वाघेला की नजर में आए.
मेहसाणा का बीजेपी युवा मोर्चा का अध्यक्ष बनाया
शंकरसिंह वाघेला ने विपुल को बीजेपी जॉइन करा दी. माना जाता है कि मानसीभाई चौधरी और शंकरसिंह वाघेला दोनों दोस्त थे. विपुल को बीजेपी युवा मोर्चा के मेहसाणा का अध्यक्ष बनाया गया. वाघेला के कहने पर 1995 में बीजेपी ने विपुल चौधरी को विधानसभा चुनाव का टिकट दिया. केशुभाई की सरकार में वह ग्रामीण विकास मंत्री बने.
वाघेला की सरकार में विपुल को बनाया था गृह मंत्री
शंकर सिंह वाघेला ने जब हजूरिया-खजूरिया किया, तो उस वक्त भी विपुल चौधरी ने उनका साथ दिया. विपुल चौधरी के जरिए विधायकों को शंकरसिंह वाघेला के साथ लाने के लिए काफी मदद भी की, जिसके बाद जब वाघेला की सरकार बनी तो विपुल चौधरी को गृह मंत्री बनाया गया.
मालूम हो कि जब गुजरात बीजेपी में बड़ी बगावत हुई तब विरोधियों ने बीजेपी का साथ देने वाले विधायकों के लिए ‘हजूरिया’ शब्द का इस्तेमाल किया, वहीं बगावत कर खजुराहो ले जाए गए विधायकों के लिए खजूरिया शब्द प्रयोग हुआ.
2002 में वाघेला के खिलाफ ही खोल दिया मोर्चा
जब शंकर सिंह वाघेला कांग्रेस पार्टी के साथ जुड़े तो विपुल चौधरी भी उनके साथ कांग्रेस में आ गए. इसके बाद 2002 में विपुल चौधरी ने शंकर सिंह वाघेला के खिलाफ ही बगावत कर दी. शंकरसिंह वाघेला जब गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष थे, तब विपुल चौधरी को टिकट नहीं दिया गया, जिसके बाद लगातार विपुल चौधरी दूधसागर डेयरी के साथ जुड़े रहे.
2013 में जब गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी थे, तब मंच पर उनके पैर छूकर आशीर्वाद लिए थे. हालांकि इसके तुरंत बाद ही राहुल गांधी के साथ उन्होंने मीटिंग भी की थी. इसके बाद जब केंद्र में प्रधानमंत्री मोदी की सरकार बनी तो 2018 से ही दूधसागर डेयरी के खिलाफ जांच शुरू की गई और अब उनकी गिरफ्तारी हो गई है.