नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ दिल्ली के शाहीन बाग में पिछले एक महीने से प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों ने मांगें पूरी होने तक हटने से मना कर दिया है. इस बीच पुलिस ने उनसे वहां से हटने की अपील भी की, साथ ही इलाके के कुछ प्रमुख व्यक्तियों से मिलकर मामले को सुलझाने की कोशिश भी की जा रही है.
इस बीच दिल्ली पुलिस शाहीन बाग में प्रदर्शनकारियों को हटाने को लेकर एक बैठक भी कर रही है कि किस तरह से उन्हें वहां से हटाया जाए. इससे पहले शाहीन बाग-कालिंदी कुंज में सड़क को जाम करने के मामले की मंगलवार को सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने गेंद केंद्र और दिल्ली पुलिस के पाले में डाल दी.
हटाने की जबरन कोशिश नहींः पुलिस
मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि संबंधित विभाग यानी कि पुलिस इस मामले में कानून के तहत काम करे.
शाहीन बाग से प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए दिल्ली पुलिस जबरन कोशिश नहीं कर रही है. पुलिस नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों को समझाने की कोशिश कर रही है. जानकारी के मुताबिक, पुलिस क्षेत्र के कुछ प्रमुख व्यक्तियों से मिलकर मामले को सुलझाने की कोशिश में जुटी है.
मांग माने जाने तक जारी रहेगा प्रदर्शन
हालांकि पिछले एक महीने से प्रदर्शन कर रहे लोगों ने वहां से हटने से साफ-साफ मना कर दिया है. शाहीन बाग में मौजूद महिलाओं का कहना है कि जब तक सरकार की ओर से यह नहीं कहा जाएगा कि सीएए लागू नहीं होगा तब तक प्रदर्शन जारी रहेगा.
प्रदर्शन कर रही एक महिला ने कहा कि CAA और NRC लागू नहीं करने के ऐलान करने के साथ ही हम भी यहां से उठ जाएंगे. एक अन्य महिला का कहना है कि हमें पता है कि आम लोगों की इस प्रदर्शन से दिक्कत हो रही है, लेकिन हमारी दिक्कत उनकी दिक्कत से कहीं ज्यादा है.
स्थानीय व्यापारियों से भी संपर्क में पुलिस
इस बीच दिल्ली पुलिस स्थानीय व्यापारियों से भी संपर् क में है. व्यापारियों से उनकी दुकानें खोलने का अनुरोध किया गया है. दिल्ली पुलिस का कहना है कि हमें उम्मीद है कि प्रदर्शनकारी हाई कोर्ट के आदेश को समझेंगे. एक बेहतर समझ पैदा होगी और दिल्ली और नोएडा को जोड़ने वाले रास्ते को खोला जाएगा.
नागरिकता संशोधन एक्ट (CAA) और नेशनल रजिस्टर फॉर पॉपुलेशन (NRC) के विरोध में एक महीने से शाहीन बाग में विरोध प्रदर्शन चल रहा है. इस प्रदर्शन की वजह से दिल्ली से नोएडा जाने वाला रास्ता जाम है और इसी समस्या पर दिल्ली हाई कोर्ट में जब मामले की सुनवाई हुई तो अदालत ने प्रशासन को कानून के मुताबिक काम करने का निर्देश दिया.
सीएए के खिलाफ इस प्रदर्शन में महिलाओं की संख्या पुरुषों के मुकाबले कहीं ज्यादा है. छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक विरोध-प्रदर्शन में शामिल हैं. नागरिकता कानून के खिलाफ भीड़ डटी हुई है और मांगें माने जाने तक प्रदर्शन करने की बात कही जा रही है.