राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के लिए मई का महीना आमतौर पर सबसे शुष्क महीनों में से एक है, जिसमें अत्यधिक उच्च तापमान और शुष्क यानी सूखा-सूखा मौसम होता है. हालांकि, सोमवार के मौसम ने गर्म और उमस भरे मौसम के साथ परिपाटी को तोड़ दिया, जिससे दिन विशेष रूप से इस तरह हो गया, जैसा आम तौर पर नहीं होता है.
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के मुताबिक, ह्यूमिडिटी का लेवल 74 फीसदी तक बढ़ गया, जो दिल्ली में साल के इस समय के लिए असामान्य रूप से ज्यादा है.
मौसम में बदलाव के सुर
आमतौर पर, दिल्ली एनसीआर इलाके में मई में तापमान में बढ़ोतरी के साथ-साथ ह्यूमिडिटी में कमी देखी जाती है, लेकिन इस साल स्थिति अलग है. कई पश्चिमी विक्षोभ इस इलाके को प्रभावित कर रहे हैं, जिससे लगातार बारिश और गरज के साथ छींटे पड़ रहे हैं. मौजूदा वक्त में एक और पश्चिमी विक्षोभ एक्टवि है, जो दिल्ली के मौसम पर काफी असर डाल रहा है.
IMD ने बताया कि यह पश्चिमी विक्षोभ मध्य क्षोभमंडलीय पश्चिमी हवाओं में औसत समुद्र तल से करीब 5.8 किमी ऊपर एक गर्त के रूप में नजर आता है, जो मोटे तौर पर देशांतर 72°E से अक्षांश 32°N के उत्तर तक फैला हुआ है. इसके अलावा, दक्षिणी हरियाणा और उत्तर-पूर्वी राजस्थान पर ऊपरी हवा का चक्रवाती परिसंचरण, साथ ही पंजाब से मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों और पूर्व की ओर बांग्लादेश की ओर फैली हुई गर्त, विभिन्न वायुमंडलीय स्तरों पर बनी हुई है.
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क्यों हो रही है उमस?
अरब सागर के ऊपर एक बड़ा साइक्लोन जैसा सर्कुलेशन है, जो नमी को दिल्ली की तरफ ला रहा है. इसका संयुक्त प्रभाव उमस भरा वातावरण है, तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के आसपास है, लेकिन बढ़ी हुई नमी के कारण गर्मी और ज्यादा महसूस हो रही है.
ह्यूमिडिटी बढ़ने की वजह से बिजली गिरने और गरज के साथ 40 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से तेज़ हवाएं चलने की संभावना बढ़ जाती है. हालांकि, आगामी बारिश से तापमान में अस्थायी रूप से कमी आ सकती है, लेकिन ह्यूमिडिटी के हाई लेवल पर बने रहने की उम्मीद है. मॉनसून आमतौर पर जून के आखिरी हफ्ते में ही आता है. दिल्ली के निवासियों को कुछ समय तक असहज मौसम की स्थिति से जूझना पड़ सकता है.