बाटला हाउस इलाके में प्रस्तावित ध्वस्तीकरण कार्रवाई पर दिल्ली हाईकोर्ट ने 11 याचिकाकर्ताओं को अंतरिम राहत देते हुए फिलहाल कार्रवाई पर रोक लगा दी है. हाईकोर्ट ने यह अंतरिम रोक इस शर्त पर लगाई है कि याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका को वापस लेने के लिए शपथपत्र दाखिल करेंगे.
इन 11 याचिकाकर्ताओं में से दो की संपत्ति खासरा नंबर 279 के भीतर आती है. दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) ने हाईकोर्ट में इन याचिकाओं का विरोध किया और सवाल उठाया कि जिन्होंने पहले सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, वे अब हाईकोर्ट कैसे आ सकते हैं.
कुछ याचिकाकर्ताओं ने दावा किया है कि उन्हें ध्वस्तीकरण को लेकर कोई लिखित नोटिस नहीं मिला और सिर्फ मौखिक जानकारी दी गई. इसके अलावा उन्होंने कहा कि 9 जून को क्षेत्र में सिर्फ निशानदेही (demarcation) की गई थी.
नई दिल्ली के बाटला हाउस के खसरा नंबर 279 में डीडीए की संभावित विध्वंस कार्रवाई से कई परिवार चिंतित हैं, जिनमें उर्दू शायर मुजफ्फर हनफी का परिवार भी शामिल है. स्थानीय निवासियों का कहना है कि उन्होंने दशकों पहले जमीन खरीदी थी और डीडीए ने खसरा नंबरों की गलत पहचान की है.
इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह खान द्वारा बाटला हाउस क्षेत्र में हो रही ध्वस्तीकरण कार्रवाई के खिलाफ दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया था. अदालत ने इस याचिका में कोई राहत देने से इनकार कर दिया था.
जस्टिस गिरीश कथपालिया और जस्टिस तेजस कारिया की बेंच ने कहा था कि इस प्रकार की जनहित याचिका में सामान्य सुरक्षा आदेश पारित करना व्यक्तिगत याचिकाकर्ताओं के मामलों को नुकसान पहुंचा सकता है. अदालत की टिप्पणी को देखते हुए याचिकाकर्ता के वकील ने याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी.
कोर्ट ने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता के वकील ने याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी, ताकि याचिकाकर्ता बाटला हाउस क्षेत्र के स्थानीय निवासियों को उनके कानूनी अधिकारों की जानकारी दे सकें और वे उपयुक्त मंच पर तीन कार्यदिवसों के भीतर अपनी कार्यवाही दायर कर सकें.