दिल्ली सरकार ने कांवड़ यात्रा के लिए नई नीति की घोषणा की है. दरअसल, हर साल लाखों कांवड़ यात्री दिल्ली से होकर गुजरते हैं. उन्हीं की सुविधा के लिए दिल्ली सरकार ने नई नीति को कैबिनेट में पास किया है. दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने बताया कि सरकार कम से कम सरकारी हस्तक्षेप और अधिकतम जनता की सेवा के सिद्धांत पर काम कर रही है. इसी दिशा में आज मंगलवार को नई नीति को शुरू किया गया है.
हर साल श्रावण मास में कांवड़ यात्रा आयोजित होती है, जिसमें बड़ी संख्या में यात्री भाग लेते हैं. दिल्ली सरकार का दावा है कि पिछले वर्षों में इस यात्रा के नाम पर भ्रष्टाचार और दुरुपयोग की शिकायतें आम थीं. इससे जुड़ी टेंडर प्रणाली में केवल कुछ लोगों का दबदबा था और धनराशि सीधे आम जनता तक नहीं पहुंचती थी.
कैबिनेट में निर्णय लिया गया है कि इस बार कांवड़ यात्रा में भ्रष्टाचार बिल्कुल नहीं होगा. सरकार ने कांवड़ यात्रियों और संबंधित समितियों से फीडबैक लेकर इन समस्याओं को समझा है. पिछली सरकारों ने इस क्षेत्र में कोई ठोस सुधार नहीं किए थे.
डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर का मिलेगा लाभ
नई नीति के तहत, दिल्ली में कांवड़ यात्रा से जुड़े सभी संगठनों को डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर का लाभ मिलेगा. पंजीकृत समितियां सीधे जिला मजिस्ट्रेट कार्यालय में आवेदन कर सकते हैं, जहां एकल विंडो प्रणाली के माध्यम से 72 घंटे के भीतर सभी अनुमति प्रदान की जाएगी.
कांवड़ यात्रा के समितियों के तहत ठेकेदारों के बिल कई वर्षों से लंबित थे, उनका भुगतान भी बंद कर दिया गया है. अब चार श्रेणियों में भुगतान तय होगा, जो 50,000 रुपये से लेकर 10 लाख रुपये तक होंगे, जो टेंटिंग क्षेत्र और शिविर के दिनों पर निर्भर करेगा. 50% भुगतान यात्रा से पहले और 50% यात्रा के बाद दिया जाएगा. सभी भुगतान उपयोगिता प्रमाण पत्र प्राप्त होने के 3 महीने के भीतर किए जाएंगे.
सांसद और विधायक करेंगे रजिस्ट्रेशन की सिफारिश
सांसद और विधायक समितियों के रजिस्ट्रेशन के लिए सिफारिश करेंगे और समितियां 30 जुलाई से पहले अपना पंजीकरण करा सकेंगी. यह योजना 'मुख्यमंत्री धार्मिक उत्सव नीति' के नाम से जानी जाएगी. इसके अतिरिक्त कांवड़ शिविरों को 1200 यूनिट तक मुफ्त बिजली भी दी जाएगी. कांवड़ यात्रियों के सुरक्षित आवागमन के लिए दिल्ली पुलिस, सिविल डिफेंस और स्वयंसेवकों के साथ मिलकर काम किया जाएगा.