निजीकरण को केंद्र में रखकर तैयार किए गए बजट ने शेयर बाजार को भरोसा दिया है. विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफपीआइ) की ओर से की गई जबरदस्त खरीदारी इस बात का प्रमाण है. एफपीआइ ने फरवरी में अब तक 22,038 करोड़ रुपए की शुद्ध खरीदारी की है. विदेशी निवेशकों ने शेयरों बाजार में कुल 20,593 करोड़ रुपए की और डेट मार्केट में 1,445 करोड़ रुपए की खरीदारी की है. गौरतलब है कि जनवरी में एफपीआइ ने कुल 14,649 करोड़ रुपए का शुद्ध निवेश किया था.
एनएसई में सूचीबद्ध कंपनियों में एफपीआइ की हिस्सेदारी दिसंबर 2020 में बढ़कर पांच साल के उच्चतम स्तर 22.74 प्रतिशत पर पहुंच गई. दिसंबर में खत्म हुई चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के दौरान बाजार में 1.42 लाख करोड़ रुपए का विदेशी निवेश आया. प्राइम डेटाबेस ग्रुप के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआइ) की एनएसई में सितंबर 2020 में 21.51 प्रतिशत हिस्सेदारी थी.
आंकड़ों के मुताबिक, सितंबर 2020 एफपीआइ का कुल निवेश बढ़कर 41.83 लाख करोड़ रुपए हो गया, जो इससे पिछली तिमाही के 32.47 लाख करोड़ रुपए के मुकाबले 29 प्रतिशत अधिक है. दूसरी ओर घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआइआइ), जिसमें घरेलू म्यूचुअल फंड, बीमा कंपनियां, बैंक, वित्तीय संस्थान, पेंशन फंड शामिल हैं, की हिस्सेदारी दिसंबर 2020 तक घटकर 13.55 फीसद रह गई, जो सितंबर 2020 के अंत में 13.94 फीसद थी.
शेयर बाजार में पिछले सप्ताह तेजी का सिलसिला बने रहने के साथ देश की टॉप दस में से सात कंपनियों के कुल बाजार पूंजीकरण में 1,40,430.45 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी हुई. इनमें सबसे ज्यादा लाभ रिलायंस इंडस्ट्रीज को हुआ. जिन कंपनियों का बाजार पूंजीकरण बढ़ा उनमें रिलायंस इंडस्ट्रीज, टीसीएस, इन्फोसिस, एचडीएफसी, आइसीआइसीआइ बैंक, भारतीय स्टेट बैंक और बजाज फाइनेंस शामिल है. वहीं, एचडीएफसी बैंक, हिंदुस्तान यूनिलीवर और कोटक महिंद्रा में गिरावट रही.
इस हफ्ते शेयर बाजार की चाल ग्लोबल संकेतों से तय हो सकती है. बाजार विशेषज्ञ राजेश शर्मा कहते हैं, "कंपनियों के तिमाही परिणामों की घोषणा का दौर करीब करीब पूरा होने को है, ऐसे में बाजार में कुछ समायोजन (गिरावट) भी देखने को मिल सकता है.’’ इसके अलावा रुपए की चाल और विदेशी संस्थागत निवेशकों के रुझान भी बाजार की दिशा तय करने में अहम भूमिका सकते हैं.
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