जनजाति समाज के विकास के लिए उनकी जरूरतों को समझना बेहद जरूरी है. वह क्या चाहते हैं? उनकी मूलभूत आवश्यकताएं क्या हैं? उन्हें किन चीजों की ज्यादा जरूरत है? उन्हें किस तरह का विकास चाहिए? यह समझे बिना उनके हित में बेहतर काम नहीं किए जा सकते हैं. हमें चाहिए कि हम इनोवेटिव स्ट्रेटजी का प्रयोग करें. यानी जनजाति समाज की जरूरतों अनुसार हम उनके विकास के लिए कार्य करें. जनजाति समाज के बीच काम करने के लिए फंडिंग एजेंसी जो पैसा देती हैं और जो एजेंसी उस पैसे का प्रयोग उनके हितों के लिए करती है दोनों के बीच बेहतर सामंजस्य का होना बेहद जरूरी है. ये बातें राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष हर्ष चौहान ने जनजाति समाज के लिए आयोजित एक दिवसीय संवाद में कही. दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में आयोजित सीएसआर यानी कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी पर इस संवाद का आयोजन किया गया.
संवाद में देशभर के विभिन्न पीएसयू जैसे, (ओएनजीसी) ऑयल एंड नैचुरल गैस कारपोरेशन लिमिटेड, गेल (इंडिया) लिमिटेड, एनएचपीसी ( नेशनल हाइड्रोइलैक्ट्रिक पावर कारपोरेशन लिमिटेड), एनटीपीसी (नेशनल थर्मल पॉवर कॉरपोरेशन), आइओसीएल (इंडियन आयल कॉरपोरेशन लिमिटेड) आदि सम्मिलित हुए. संवाद को आयोजित करने का उद्देश्य कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के तहत कॉरपोरेट सेक्टर द्वारा जनजाति समाज के लिए काम करने के तरीकों के बारे में जानना और उन तरीकों को समझना था. उदाहरण के तौर पर वे जनजाति समाज के लिए कैसे काम करते हैं? उनके अनुभव क्या हैं ? यदि इन क्षेत्रों में काम करने के दौरान उन्हें कुछ परेशानियां आती हैं तो वह क्या हैं आदि. इस दौरान विभिन्न पीएसयू से आए प्रतिनिधियों ने जनजाति समाज के बीच अपने काम करने के तरीके और अपने अनुभव साझा किए. संवाद में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के सदस्य श्री अनंत नायक, आयोग की सचिव अलका तिवारी समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे.
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