'जान है तो जहान है' से होते हुए हमारी लड़ाई 'जान भी, जहान भी' तक पहुंच गई है. कोविड—19 के खिलाफ इस लड़ाई में सरकारी एवं गैर-सरकारी संस्थाओं ने एकजुट होकर इस महामारी पर काबू करने में जो क्रियाशीलता दिखाई है वह अपने आप में प्रशंसनीय है.
ऐसे में आइसीएमआर की भूमिका स्वतः ही महत्त्वपूर्ण हो गयी है और संस्थान अपनी पूरी शक्ति से इस प्रयास में लगा हुआ है कि कम से कम मौतें हों.
प्रारम्भ में बीमारी का संक्रमण पूरी तरह काबू में था लेकिन पहले तब्लीगी और फिर श्रमिकों की पैदल घर वापसी की वजह से मामलों में बढ़ोत्तरी हो गयी. इसके लिए जो रणनीति बनायी गयी उसका मकसद यही था कि दूरदराज के इलाकों में चिकित्सा और जांच की सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं. यदि संक्रमण एवं मौतों के आकंड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि हम काफी हद तक इस प्रयास में सफल भी रहे.
चूंकि वापसी महाराष्ट्र, गुजरात आदि राज्यों से उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़ पश्चिम बंगाल आदि की ओर हो रही थी इस कारण इन प्रदेशों में निगरानी, जांच और उपचार की व्यवस्था बनाने की रणनीति बनाई गयी. इसमें आइसीएमआर ने राज्य सरकारों के साथ मिलकर अधिक से अधिक परिक्षणशालाएं बनाने पर जोर दिया और स्वास्थ्य कर्मचारियों को इन जांचों को करने के लिए प्रशिक्षित किया.
आइसीएमआर लगातार इसी दिशा में काम कर रहा है कि प्रभावित और संक्रमित हुए लोगों को सही समय पर सही उपचार मिले और बीमारी की वजह से कम से कम मौतें हों.
इसमें कोई दो राय नहीं है कि कोरोना ने गांव, गरीब, और मजदूर को सबसे अधिक प्रभावित किया है. जिसके कारण प्रवासियों का जो पलायन शुरू हुआ उसमें कामगार, श्रमिकों की संख्या काफी अधिक रही.
हालांकि, यह भी देखा गया कि प्रवासियों के कारण संक्रमण का दायरा और संक्रमितों की संख्या, दोनों ही बढ़े. ऐसे में जरूरी था कि देश के हर शहर में कोरोना का टेस्ट हो. जिससे संक्रमितों को चिन्हित कर उन्हें बेहतर इलाज उपलब्ध कराया जा सके तो वहीं कम से कम से लोगों को संक्रमित होने से बचाया जा सके.
इन हालात का संज्ञान लेकर प्रधानमंत्री ने शीघ्र फैसला लेते हुए एक के बाद एक राहत पैकेजों की न केवल घोषणा की बल्कि उन्हें वास्तविकता के धरातल पर उतारकर देशवासियों को राहत पहुंचाई.
प्रधानमंत्री के इस राहत अभियान को राज्य सरकारों ने अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण और निर्णायक भूमिका दी. उदाहरण के रूप में, उत्तर प्रदेश सरकार की कार्य नीति को देखा जा सकता है. उत्तर प्रदेश के अलावा अन्य राज्यों की सरकारों ने मामले की नज़ाकत को समझते हुए पूरी जिम्मेदारी के साथ काम किया और लोगों को सुरक्षित रखने में हर सम्भव कदम उठाए.
मध्य प्रदेश सरकार ने भी इन योजनाओं को अभियान का रूप देकर कोरोना के खिलाफ जंग में अहम योगदान दिया है.
उत्तर प्रदेश में अब हर रोज 10 हजार से अधिक टेस्ट हो रहे हैं. जिससे अब इच्छुक व्यक्ति अपने इलाके में ही संक्रमण की जांच करा सकता है. जिससे संक्रमण को एक दायरे में ही समेटने का सार्थक प्रयास शुरू हुआ है. परिणाम के रूप में संक्रमित कम और उपचारित लोगों की संख्या में इज़ाफा होने लगा. बड़ी बात यह भी दिखी की कोरोना से होने वाली मौतों पर भी लगाम लगाने में काफी हद तक सफलता मिलने लगी.
आइसीएमआर ने कोविड—19 के खिलाफ जंग लड़ने के लिए देश को मजबूत बनाया, यह स्पष्ट तौर पर इस संस्था के प्रयासों से परिलक्षित होता है. देश के सुदूर इलाकों तक कोरोना टेस्टिंग लैब की स्थापना कर दी गई है.
आइसीएमआर ने लेह में 18 हजार फीट ऊंचाई पर कोरोना टेस्टिंग लैब की स्थापना कर अपनी कार्यक्षमता का बेहतर नमूना भी पेश कर दिया. इस संस्था ने देश में अब तक 771 कोरोना टेस्टिंग लैब की स्थापना की है. इनमें वो इलाके भी शामिल है कि जहां पर यात्रा करना काफी कठिन है. हर जिले में कोरोना टेस्टिंग लैब स्थापित किए जाने के लक्ष्य को आइसीएमआर का साथ मिलने से अब प्रदेश स्तर पर टेस्टिंग क्षमता में भी विस्तार हुआ है.
(डॉ. बलराम भार्गव आइसीएमआर के महानिदेशक हैं)
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