
तमिलनाडु: समग्र रूप से श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाला बड़ा राज्य
समावेशी विकास और शिक्षा लंबे समय से तमिलनाडु की एक के बाद एक आने वाली सरकारों की प्राथमिकता में शुमार रहा है. ऐसे में यह कोई आश्चर्य की बात नहीं कि तमिलनाडु सतत विकास लक्ष्यों के डैशबोर्ड पर हिमाचल प्रदेश के साथ तीसरे स्थान पर खड़ा है.
राज्य की आर्थिक सेहत ने महामारी के दौरान इसे अच्छी स्थिति में खड़ा किया. तमिलनाडु उन कुछ राज्यों में से एक था, जिन्होंने इस अवधि में नकारात्मक वृद्धि दर्ज नहीं की थी. 290 अरब डॉलर या 21.6 लाख करोड़ रुपए के सकल राज्य घरेलू उत्पाद के साथ तमिलनाडु भारत की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन का सपना अब इसे दस खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना है.
उस लक्ष्य की तलाश में राज्य ने विश्वप्रसिद्ध अर्थशास्त्रियों के साथ एक आर्थिक सलाहकार परिषद की स्थापना की है. राज्य विशिष्ट क्षेत्रों की पहचान करने, उनकी विकास क्षमता का विश्लेषण करने और किसी भी आर्थिक झटके का सामना करने के लिए उन्हें मजबूत बनाने की योजना बना रहा है. राज्य ने 28,508 करोड़ रुपए के निवेश और 83,000 लोगों को रोजगार देने की क्षमता वाली 49 संभावित परियोजनाओं के लिए सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं.
किसानों की मदद करने के लिए राज्य सामुदायिक भागीदारी के साथ जल संरक्षण को लेकर कई तरह की पहलकदमियों को लागू कर रहा है. यहां विशेष रूप से नदियां और अन्य जल निकाय अतिक्रमण या दूसरी वजहों से खत्म हो रहे हैं.
राज्य के समक्ष चुनौतियां भी हैं. राज्य के वित्त मंत्री पी. त्यागराजन इस बात पर जोर देते हैं कि किस तरह 2.07 करोड़ परिवारों में से हरेक 2.6 लाख रुपए के कर्ज में है. राज्य कल्याणकारी योजनाओं को लागू करते समय धन के कुशल प्रबंधन में मदद के लिए अपना भुगतान बैंक स्थापित करने के लिए उत्सुक है. जैसा कि मुख्यमंत्री स्टालिन कहते हैं, ''विकास और आर्थिक तरक्की इस बात को पक्का करने को लेकर है कि विकास हासिल करने के प्रयासों से पीड़ित और हाशिये पर रहने वाले लोगों को लाभ मिले. द्रविड़ दर्शन उस समावेशी सामाजिक न्याय मॉडल पर आधारित है.''