कानपुर के ग्वालटोली इलाके में रहने वाले 40 वर्षीय फतेह अली पिछले साल तक सब्जी बेचते थे. अब उन्होंने ग्वालटोली के खलासीलाइन के शूटरगंज में आसपास बसे कई अन्य परिवारों की तरह मछली बेचने का धंधा शुरू कर दिया है. सब्जी बेचने से पहले उनको जितनी कमाई होती थी अब वह उससे दोगुना कमा लेते हैं.
आखिर मछली पकडऩा उनके लिए आय का वैकल्पिक स्रोत कैसे बन गया है? इसका मूल कारण स्वच्छ गंगा है, जिसकी वजह से मछलियां पानी की सतह पर फिर से वापस आने लगीं और उन्हें पकडऩा आसान हो गया. सबसे जरूरी सवाल यह है कि गंगा साफ कैसे हुई? अंग्रेजों ने 1892 में कानपुर के गंदे पानी की निकासी के लिए सीसामऊ नाले का निर्माण कराया था. देश के सबसे बड़े इस खुले नाले की टैपिंग करके ऐसा संभव हो पाया है.
करीब 15 लाख लोगों के आवास वाले 40 मोहल्लों से गुजरता हुआ सीसामऊ नाला 12 किलोमीटर लंबा और 6 मीटर चौड़ा था जिससे हर रोज करीब 140 एमएलडी (प्रति दिन मिलियन लीटर) प्रदूषित जल और सीवेज कानपुर में 'रिवर साइड पावर हाउस’ के पीछे गंगा में गिरता था. लेकिन मार्च 2017 में योगी आदित्यनाथ की सरकार के सत्ता में आने के बाद 27 जुलाई, 2017 को इस नाले के टैपिंग पर काम शुरू हुआ.
इसे पूरा करने के लिए नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत दो-स्तरीय रणनीति की योजना बनाई गई थी. इस प्रोजेक्ट से जुड़े रहे जल निगम के एक जूनियर इंजीनियर बृजेंद्र पुष्पाकर कहते हैं, ''कानपुर के बकरमंडी में एक टैपिंग पॉइंट बनाने के बाद सीसामऊ नाले का 80 एमएलडी पानी बिंगवान सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) में भेजा गया. यहां पानी को साफ किया जाता और पांडु नदी में छोड़ दिया जाता.
इसके अलावा 60 एमएलडी पानी को सीसामऊ नाले के बहाव की ओर एक टैपिंग पॉइंट बनाकर नदी के किनारे स्थित पावर हाउस के पास नवनिर्मित पंपिंग स्टेशन भेजा गया. यहां से पानी को पंप करके जाजमऊ एसटीपी में भेजा जाता. इस तरह शुद्ध किए गए पानी को जाजमऊ नहर में छोड़ दिया जाता था.’’ 28 करोड़ रुपए की लागत के बाद दिसंबर 2018 को सीसामऊ नाला पूरी तरह बंद हो गया. कानपुर के आठ अन्य छोटे नालों को भी इसी तरह टैप कर दिया गया है.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने गंगा के पानी की गुणवत्ता की जांच करने के लिए अब कानपुर के गंगा बैराज और बिठूर में रियल.टाइम सेंसर स्थापित किए हैं. दिसंबर 2020 में प्रकाशित बोर्ड की डेटा रिपोर्ट के मुताबिक, अब कानपुर में बहने वाली गंगा नदी में डिजाल्वड ऑक्सीजन (डीओ) का अनुमानित स्तर 8.51 है, जो चार साल पहले की तुलना में पांच लेवल पर बहुत बड़ा इम्प्रूवमेंट था. डीओ के लिए मानक स्तर पांच से ऊपर है. कानपुर के कमिश्नर राजशेखर कहते हैं, ''अब लोग गंगा का पानी पीते भी हैं. वास्तव में यह एक बड़ा बदलाव है.’’
बड़ी तस्वीर
समस्या करीब 15 लाख लोगों के निवास वाले 40 मोहल्लों से गुजरता हुआ सीसामऊ नाला 12 किमी लंबा और 6 मीटर चौड़ा था जिससे रोजाना करीब 140 एमएलडी प्रदूषित जल गंगा में बहता था
समाधान कानपुर के बकरमंडी में एक टैपिंग पॉइंट बनाने के बाद सीसामऊ नाले का 80 एमएलडी पानी बिंगवान एसटीपी भेजा गया
140 एमएल
सीवेज सीसामऊ नाला से गंगा में प्रवाहित होता है.