लड़कियों के हाथ में क़लम के साथ तलवार भी पकड़ाने की पैरवी से फ़ैज़ लुधियानवी की 'क़लम और तलवार’ की लाइनें बरबस याद आ जाती हैं, जिनसे आलोक की बात और स्पष्ट हो जाती है.
रंगमंच के शिक्षक और डॉक्यूमेंटरी निर्माता रितेश शर्मा ने अपनी फिल्म झीनी बीनी चदरिया के लिए न्यूयॉर्क इंडियन फिल्म फेस्टिवल (एनवाइआइएफएफ) में बेस्ट डेब्यू फीचर फिल्म का अवार्ड जीता है.
टीवी विज्ञापन की दुनिया की एक बड़ी शख्सियत पीयूष पांडेय ने इस किताब में अपने पेशे और उससे जुड़ी नैतिकता पर सवाल-जवाब शैली में खुलकर बात की है. यहां पेश है किताब का एक दिलचस्प अध्याय.
झगड़ू इंडिया का नहीं बल्कि उस भारत का प्रतिनिधित्व करता है जो हर चौक चौराहे पर अपने और अपने परिवार के लिए रोटी, कपड़ा जुटाने के लिए जद्दोजहद करता है.
ताइवान में मिले दस्तावेज बताते हैं कि अगस्त से अक्तूबर 1945 के बीच ताईपेई के पास युद्धबंदियों को ले जा रहा एक अमेरिकी विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ था, इसके अलावा वहां कोई हादसा हुआ ही नहीं.
इतिहास में आ जुड़े इन सियाह पन्नों की कल्पना किसे थी. वल्लभभाई पटेल जीवित होते तो सहज विश्वास कर पाते कि हमारी केंद्र सरकार तुष्टिकरण का पर्याय हो रही है.
‘’बाप-बेटे के बीच चल रही मौन प्रतियोगिता को बेटी दो घंटे से महसूस कर रही थी. उससे रहा नहीं गया. सूनी सड़क पर जैसे कोयल कूकी, 'मेडल नहीं मिलेगा किसी को. रुककर पानी तो पी लो. मुझे भी प्यास लगी है.”
कश्मीर से विस्थापन की पीड़ा को गहरी संवेदना और साहस के साथ व्यक्त करती आईं मशहूर लेखिका क्षमा कौल के नए उपन्यास मूर्ति-भंजन का एक अध्याय.
वरिष्ठ पत्रकार रामबहादुर राय की यह पुस्तक संविधान बनने से जुड़ी घटनाओं के पीछे की कहानियां दिलचस्प ढंग से कहती है. उक्त शीर्षक वाला एक अध्याय हम यहां छाप रहे हैं.
झारखंड में आदिवासियों के त्योहार सरहुल में आदिवासी मांदर, ढोल बजाते, नाचते, गाते शामिल होते हैं.
हांगकांग में स्कूली बच्चों के साथ रामायण मंचित करते हुए इस सत्य से परिचय हुआ कि महान कथाएं विभिन्न व्याख्याओं के जरिए खुद को उद्घाटित करती हैं.
शहर में हर पर्व का संबंध प्राय: किसी की जीत-हार, हत्या, अंधकार-प्रकाश से होता है लेकिन आदिवासी समाज में त्योहार प्रकृति के उत्सव के प्रतीक होते हैं. अंधकार बुराई का नहीं बल्कि नए जीवन की आस, मनुष्य की आस्था और समर्पण का चिन्ह है.
अनुक अरुदप्रगासम बुकर पुरस्कार के लिए नामांकन के बाद आई प्रशंसा की बौछार के फेर में आने वालों में से नहीं हैं.
कहानी में ट्रेन, ब्रिटिश कॉइन्स और एक जर्मन माउजर में छिपा है वह कोड जिसे डीकोड करने की जद्दोजदहद में छिपा है पूरा का पूरा सस्पेंस और थ्रिल.
1,900 सरकारी कंपनियों की सेल लगाई जाए क्योंकि ये कंपनियां करदाता के पैसे से चलती हैं और इनसे सरकार और शेयर बाजार के निवेशक को कुछ नहीं मिलता.
अ सुटेबल बॉय पर बीबीसी की ओर से तैयार सीरीज के चर्चाओं में रहने के बाद अब एक नए संग्रह की वजह से मशहूर लेखक विक्रम सेठ कवि के रूप में अपनी उपलब्धियों को लेकर खबरों में हैं. स्पीकिंग टाइगर से सात खंडों में छपे इस संग्रह में सेठ की विलक्षण प्रतिभा के व्यापक आयाम दिखते हैं. इंडिया टुडे से उनकी एक दुर्लभ बातचीत:
आलोचना सम्राट नामवर सिंह भी एक पुरानी टिप्पणी में उनकी कहानियों में ब्यौरे और तथ्यों के हावी होने की बात कहते हैं.
पुलिस उनसे इस धमाके की जिम्मेदारी लेने के लिए अड़ी हुई थी लेकिन डार 'नाकरदा गुनाह’ कबूल करने को तैयार नहीं थे.
भले उसकी उपस्थिति हमेशा से रही हो. लेकिन जिस रूप में यह संबंद्ध दो औरतों, मशहर तवायफ चपला बाई और शायरा नफीस बाई के माध्यम से उद्घाटित किया गया है.
अरुण कुकसाल की किताब चले साथ पहाड़ जहां पहाड़ों के सौंदर्य और विषमता बोध को एक साथ लक्षित करती है .
पिशाच की कहानी एक नामीगिरामी साहित्यकार, जनवादी कवि की क्रूर हत्या से शुरू होती है.