3 साल, मोदी सरकार 2.0
अल्पसंख्यक मामले
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की देखरेख में छह समुदाय हैं—मुसलमान, ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन और पारसी. मंत्रालय के पास उनके सामाजिक-आर्थिक उत्थान की जिम्मेदारी है और यह अल्पसंख्यक कल्याण के लिए प्रधानमंत्री के 15-सूत्री कार्यक्रम के कार्यान्वयन के लिए नोडल मंत्रालय है. इस कार्यक्रम का मकसद चार व्यापक लक्ष्यों को हासिल करना है—शिक्षा के अवसर बढ़ाना, आर्थिक गतिविधियों/रोजगार में एक समान हिस्सेदारी सुनिश्चित करना, रहन-सहन के स्तर में सुधार और सांप्रदायिक वैमनस्य तथा हिंसा को रोकना.
इसके अलावा, यह मंत्रालय प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम को कार्यान्वित करता है, जिसका मकसद अल्पसंख्यक बहुल चिन्हित क्षेत्रों में सामाजिक बुनियादी ढांचे को बढ़ाना है. 2013-14 से 2022-23 में मंत्रालय के बजट में 60 फीसद की वृद्धि हुई है. इस दौरान यह 3,130 करोड़ से बढ़कर 5,020 करोड़ रुपए हो गया है. हालांकि आलोचकों का कहना है कि यह आवंटन देश की 19 फीसद आबादी के लिए कुल बजट का महज 0.15 फीसद है. सरकार का तर्क है कि इन समुदायों को अन्य कल्याणकारी योजनाओं का भी लाभ प्राप्त होता है.
क्या-क्या किया
प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम का विस्तार सभी जिलों तक किया गया
शिक्षा फंड 2,351 करोड़ (2020-21) से बढ़कर 2,515 (2021-22) करोड़ रुपए हुआ
आगे की चुनौतियां
महामारी की वजह से 2021-22 में अल्पसंख्यकों के शैक्षिक सशक्तिकरण की आठ योजनाओं के लिए निर्धारित फंड का केवल 40 फीसद ही खर्च किया जा सका