आज यानी 17 मई को वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे (विश्व उच्च रक्तचाप दिवस) है. इस खास दिन हमें थोड़ी देर थमकर अपने शरीर की उन तमाम रक्त वाहिकाओं के बारे में सोचना चाहिए. कैसे वो दिन रात हमारे लिए काम कर रही हैं. क्या हम उनसे उनका हाल पूछ पाते हैं. कहीं न कहीं इस हाल पूछने की ही उम्मीद से शायद इस बार वर्ल्ड हाइपरटेंशन का थीम 'अपने ब्लड प्रेशर को सही तरीके से मापें, इसे कंट्रोल करें, और लंबा जीवन जिएं (Measure Your Blood Pressure Accurately, Control It, Live Longer)' रखा गया है.
आज की आपाधापी भरे जीवन में जब भारत में हाई ब्लड प्रेशर (हाइपरटेंशन) एक न्यू नॉर्मल बन गया है. यह चुपचाप लोगों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है. ऐसे में आपाधापी भरी जिंदगी में अपने लिए कुछ समय निकालकर ब्लड प्रेशर को अपने कंट्रोल में रखने का तो सोच ही सकते हैं. थीम में ब्लड प्रेशर को सही तरीके से मापने का अर्थ इस पर कंट्रोल करने को लेकर ही है. आइए जानते हैं कि हाइपरटेंशन से बचने के लिए विशेषज्ञ डॉक्टर क्या सलाह दे रहे हैं.
पहले देखिए क्या हैं हाइपरटेंशन के आंकड़े
एक हालिया स्टडी के अनुसार हर 3 में से 2 भारतीय प्री-हाइपरटेंसिव हैं, यानी उनका बीपी सामान्य से अधिक है लेकिन अभी तक हाइपरटेंशन की श्रेणी में नहीं आया है. मुंबई जिसे मायानगरी कहा जाता है, यहां हाइपरटेंशन की प्रचलन दर 26% है. एक स्टडी बताती है कि 20% से 45% विवाहित जोड़ों में दोनों को हाई बीपी होता है. ये लोग हैं जो साथ में रहकर एक जैसी लाइफस्टाइल जी रहे हैं.
क्यों हाई बीपी बन रहा'साइलेंट किलर'?
सर गंगाराम अस्पताल दिल्ली के सीनियर कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ अश्विनी मेहता का कहना है कि हाइपरटेंशन को 'साइलेंट किलर' कहना गलत नहीं होगा. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह यह है कि यह अक्सर बिना किसी स्पष्ट लक्षण के होता है लेकिन यह हार्ट अटैक, स्ट्रोक और किडनी फेल्योर जैसे गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है.
प्राइमरी एल्डोस्टेरोनिज्म (PA) भी है वजह
प्राइमरी एल्डोस्टेरोनिज्म (PA) एक हार्मोनल विकार है जिसमें एड्रिनल ग्रंथियां अत्यधिक एल्डोस्टेरोन हार्मोन का उत्पादन करती हैं, जिससे नमक का प्रतिधारण और पोटेशियम की कमी होती है जो हाई बीपी का कारण बनता है. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार मुंबई के किंग एडवर्ड मेमोरियल (KEM) अस्पताल मुंबई में अनुमानित 8-10% हाइपरटेंशन मरीजों में PA पाया गया है.
क्या हैं हाई बीपी के रिस्क फैक्टर्स
ज्यादा नमक का सेवन
तनाव और चिंता
शारीरिक निष्क्रियता
मोटापा
परिवार में हाइपरटेंशन का इतिहास
ऐसे कर सकते हैं बचाव
डेली या हफ्ते में तीन से चार दिन बीपी चेक करने की आदत डालें.
हाई बीपी से संतुलित आहार और व्यायाम बचाने में मदद करता है.
जीवन में तनाव प्रबंधन तकनीकों का उपयोग करें.
नमक और प्रोसेस्ड फूड या डिब्बा बंद खाने का सेवन कम से कम करें
हमेशा डॉक्टर की सलाह अनुसार ही दवाएं लें
डॉ अश्विनी मेहता कहते हैं कि आज की आपाधापी भरी जिंदगी में हाई बीपी को नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है. अगर समय रहते उचित उपचार किया जाए तो इस 'साइलेंट किलर' को मात दी जा सकती है.