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क्या सनस्क्रीन लगाकर गलती कर रहे हम? वायरल 'एंग्री' डॉक्टर ने बताई Vitamin-D से जुड़ी ये बड़ी सच्चाई

सोशल मीडिया पर डॉक्टर अंशुमन कौशल का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें वे लोगों को विटामिन-डी के बारे में अब तक की सबसे चौंकाने वाली सच्चाई बताते नजर आ रहे हैं. डॉक्टर का कहना है कि विटामिन-डी असल में कोई विटामिन नहीं, बल्कि एक स्टेरॉइड हार्मोन है, जिसे हम खाते नहीं बल्कि अपनी स्किन और धूप की मदद से खुद बनाते हैं.

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डॉ अंशुमान कौशल की वायरल क्लास ने खोला हेल्थ इंडस्ट्री का राज
डॉ अंशुमान कौशल की वायरल क्लास ने खोला हेल्थ इंडस्ट्री का राज

सोशल मीडिया पर इन दिनों एक डॉक्टर का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें वे लोगों को ‘विटामिन-डी’ की असली हकीकत समझाते नजर आ रहे हैं. द‍िल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के रोबोटिक, मिनिमली इनवेसिव (एम.आई.) और बेरियाट्रिक सर्जन डॉ. अंशुमन कौशल इंस्टाग्राम में ‘एंग्री डॉक्टर’ के तौर पर पहचाने जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि विटामिन-डी कोई साधारण विटामिन नहीं बल्कि एक स्टेरॉइड हार्मोन है, जिसे हम खाते नहीं बल्कि अपनी बॉडी में खुद बनाते हैं. aajtak.in ने डॉ अंशुमन कौशल से जाना व‍िटामिन डी से जुड़ा उनका पक्ष जो कि एक अलग सोच देता है. 

डॉ. कौशल कहते हैं कि ये सच है कि हार्मोन हमारी बॉडी का ‘इंटरनल सोलर पैनल’ है लेकिन आज आधे से ज्यादा लोग इसे लो बैटरी मोड में चला रहे हैं. मैंने वीड‍ियो में यही बताया है कि विटामिन-डी खाना नहीं, बनाना होता है. मैं अपने मरीजों को हाई एसपीएफ वाले सनस्क्रीन को लेकर भी बताता हूं कि हम इससे अपनी विटामिन डी प्रोड्यूस करने वाली फैक्ट्री ही ब्लॉक कर रहे हैं. 

वीडियो में डॉ अंशुमन ने क्या कहा 

उन्होंने कहा कि तुम विटामिन-डी खाते नहीं हो, बनाते हो. तुम्हारी स्किन सूरज की अल्ट्रावायलेट बी लाइट को लेती है और 7-डी हाइड्रोकॉलस्टेरॉल को प्री-विटामिन डी-3 में बदल देती है. फिर ये लिवर और किडनी के जरिए एक्टिव होकर हार्मोन बनती है. ये पूरा प्रोसेस तभी काम करता है जब धूप स्किन पर सीधे पड़े. लेकिन आजकल ज्यादातर लोग या तो SPF 30 सनस्क्रीन लगाकर या पूरी तरह कवर होकर धूप से खुद को बचा लेते हैं.

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कॉन्ग्रेचुलेशन्स, तुमने अपनी खुद की फैक्ट्री ब्लॉक कर दी

वीड‍ियो में उन्होंने तंज भरे लहजे में कहा कि तुमने अपनी खुद की फैक्ट्री ब्लॉक कर दी, कैल्शियम इकॉनमी चलाता है ये हार्मोन. डॉ. अंशुमन बताते हैं कि विटामिन-डी आपके शरीर की कैल्शियम इकॉनमी चलाता है यानी हड्डियां, दांत, मसल्स, नसें और यहां तक कि इम्यूनिटी तक इससे प्रभावित होती है.

वो कहते हैं कि अगर ये कम हो गया तो कैल्शियम कन्फ्यूज हो जाता है. इसका नतीजा कमजोर हड्डियां, थकान, मसल क्रैम्प्स, मूड स्विंग्स और वो फीलिंग कि ‘सोकर भी थकान क्यों है?’

कम विटामिन-डी के संकेत पहचानिए

डॉक्टर कहते हैं कि विटामिन-डी की कमी के लक्षण अक्सर हम गलत चीजों पर थोप देते हैं. हड्डियों में बिना वजह दर्द,  बाल झड़ना हुआ तो शैम्पू को दोष देते हैं. लगातार थकान है तो आप नौकरी या बॉस को कोसते हैं. मूड स्विंग्स पर आप रिश्तों को जिम्मेदार मानते हैं. शायद असली वजह ‘सनशाइन डेफिसिट’ है. वो कहते हैं कि जरा सोचो, आखिरी बार धूप में कब खड़े हुए थे?

धूप का असली डोज क्या है?

डॉ. अंशुमन सलाह देते हैं कि सुबह की हल्की धूप में हर दिन कुछ मिनट स्किन को सीधा एक्सपोज़ करें. आर्म्स और लेग्स अनकवर्ड रखो. सुबह के पहले हिस्से की धूप सबसे असरदार होती है. वो बताते हैं कि विटामिन-डी कुछ खाने की चीजों से भी मिल सकता है जैसे अंडे, मछली, और फोर्टिफाइड मिल्क, लेकिन असली स्रोत फिर भी धूप ही है.

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यहां देखें वो वीड‍ियो

डोज और ओवरडोज दोनों का ध्यान रखें

डॉक्टर के मुताबिक अगर ब्लड लेवल 20 ng/mL से नीचे हो तो हफ्ते में एक बार 60,000 IU की डोज छह हफ्ते तक ली जा सकती है. वरना रोजाना 1000-2000 IU का मेंटेनेंस डोज काफी है. वो सलाह देते हैं कि बिना जांच कराए अपनी तरफ से विटामिन डी का डोज नहीं लेना चाहिए. 

डॉ कौशल चेतावनी देते हैं कि विटामिन-डी कोई इंस्टेंट एनर्जी ड्रिंक नहीं है. ये फैट सॉल्युबल विटामिन है जो शरीर में जमा होता जाता है. इसे ज्यादा लेने पर ये किडनी डैमेज, उबकाई और हाइपरकैल्सीमिया जैसी दिक्कतें दे सकता है. डॉ. कौशल ने लोगों से अपील की कि बिना टेस्ट कराए सप्लीमेंट्स न लें और किसी क्वालिफाइड डॉक्टर से सलाह जरूर लें.

धूप लो, गमीज नहीं

डॉ अंशुमन का कहना है कि ‘इंस्टेंट ग्लो’ वाली विटामिन-डी गमीज सिर्फ शुगर और मार्केटिंग हैं. असली फायदा तो तब है जब तुम धूप में खड़े होते हो. टेस्ट करो, ट्रीट करो क्योंकि मेडिसिन साइंस है, अंधविश्वास नहीं. डॉ. अंशुमन कौशल खुद एक बैरिएट्रिक और ओबेसिटी सर्जन हैं और अक्सर विटामिन-डी की कमी वाले मरीजों का इलाज करते हैं. उनका ये वीडियो लाखों बार देखा जा चुका है और लोग इसे डॉक्टर की सबसे ईमानदार हेल्थ क्लास बता रहे हैं.

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