Triglycerides Levels: दिल से जुड़ी बीमारियां अब हर उम्र के लोगों के बीच आम है और इसकी सबसे बड़ी वजह खराब लाइफस्टाइल है. अगर आप अपने ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल पर नजर बनाए रखते हैं तो आपको एक और चीज हैं, जिस पर ध्यान देने की जरूरत है. कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर के अलावा ट्राइग्लिसराइड पर भी फोकस करने की जरूरत है. हाई ट्राइग्लिसराइड होने पर दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा दोगुना हो सकता है. अगर आपका ट्राइग्लिसराइड लेवल ज्यादा होता है तो इसका असर सीधे आपके दिल पर पड़ता है. इसलिए अपनी कोलेस्ट्रॉल रिपोर्ट में ट्राइग्लिसराइड लेवल के बारे समझना चाहिए और ये जानना भी जरूरी है कि ये कैसे बढ़ता है और इसे कैसे कंट्रोल किया जा सकता है.
कोलेस्ट्रॉल की तरह ट्राइग्लिसराइड एक तरह का लिक्विड फॉर्म में फैट होता है जो हमारे खून में पाया जाता है. इसके लेवल हाई होने पर ये एथेरोस्क्लेरोसिस के खतरे को बढ़ा सकता है, जिससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक का जोखिम बढ़ जाता है. अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी के अनुसार, हाई लेवल ट्राइग्लिसराइड्स पैंक्रियाटाइटिस और पैंक्रियाज की सूजन का कारण बन सकता है.
जब आप खाते हैं तो आपका शरीर उन सभी कैलोरी को ट्राइग्लिसराइड्स में बदल देता है जिनकी उसे फौरन जरूरत नहीं होती. ये ट्राइग्लिसराइड्स आपकी फैट सेल्स में जमा हो जाते हैं और बाद में, हार्मोन खाने के बीच एनर्जी के लिए ट्राइग्लिसराइड्स छोड़ते हैं. अगर आप जितनी कैलोरी बर्न करते हैं, उससे ज्यादा खाते हैं और हाई कार्बोहाइड्रेट फूड्स लेते हैं तो आपको हाई ट्राइग्लिसराइड्स हो सकता है.
नींद की कमी, शराब पीना और स्ट्रेस भी ट्राइग्लिसराइड बढ़ाने के छिपे कारण हो सकते हैं. डेनवर के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ.एंड्रयू फ्रीमैन के मुताबिक, ये सीधे कारण नहीं हैं, लेकिन इनका असर जरूर होता है. हालांकि जब ट्राइग्लिसराइड बढ़ते हैं तो ज्यादातर समय इसके पीछे खराब लाइफस्टाइल मुख्य कारण होता है. कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. डगलस जैकोबी (पेन मेडिसिन, फिलाडेल्फिया) कहते हैं कि डॉक्टर आपके साथ मिलकर इन्हें कम करने की प्लानिंग कर सकते हैं.
अगर आप सही डाइट से अपना हाई ट्राइग्लिसराइड को कम करना चाहते हैं तो आपको इन 5 चीजों को अपनी डाइट का हिस्सा जरूर बनाना लेना चाहिए.