दर्द होने पर लोग दवा लेते हैं और कुछ दवाइयों के नाम तो लोगों के लिए आम हो जाते हैं. जैसे बुखार होते ही लोग सबसे पहले पैरासिटामोल लेने भागते हैं. वैसे ही सिरदर्द में एक दवाई अक्सर लोगों को खाते देखा जाता है. मगर लोग इस बात से बेखबर है कि ये दवा दर्द को ठीक से कम नहीं करती है और इसके साथ ही दिल की बीमारियों के खतरे को दोगुना करने का काम करती है. इस दवा का नाम ट्रामाडोल है, जिसे लेकर हाल ही में एक हुई रिसर्च में यही सामने आया है.
ट्रामाडोल एक आम प्रिस्क्रिप्शन पेनकिलर है, इसे अक्सर मरीजों को मध्यम या तेज दर्द के लिए दिया जाता है. लोग इसे मजबूत ओपिओइड्स की तुलना में सुरक्षित ऑप्शन मानते हैं, लेकिन नई रिसर्च बताती है कि यह दर्द को कम करने में ज्यादा असरदार नहीं है और इसके इस्तेमाल से दिल की बीमारी होने का जोखिम बढ़ जाता है.
ब्रिटिश मेडिकल जर्नल बीएमजे एविडेंस बेस्ड मेडिसिन में पब्लिश हुई एक हालिया सिस्टेमैटिक रिव्यू और मेटा-एनालिसिस नाम की दवा पर फोकस किया है.
रिसर्च के मुताबिक, अमेरिका में लगभग 51.6 मिलियन यानी 5 करोड़ 16 लाख वयस्क यानी हर पांचवें व्यक्ति को लगातार दर्द की समस्या है. इनमें से 17.1 मिलियन यानी 1 करोड़ 71 लाख लोगों का रोजमर्रा का काम इफेक्ट होता है. इस स्टडी में 19 क्लिनिकल ट्रायल्स और 6,506 मरीजों का डेटा देखा गया, जिनमें ऑस्टियोआर्थराइटिस, फाइब्रोमायल्जिया, न्यूरोपैथिक दर्द और कमर दर्द जैसी दिक्कतें शामिल थीं.
ट्रामाडोल को अक्सर ओवर-द-काउंटर दवाओं और मजबूत ओपिओइड्स के बीच सुरक्षित माना जाता है. लेकिन यह नई रिसर्च दिखाती है कि लंबे समय तक लेने पर यह सुरक्षित नहीं हो सकता. दुनिया भर में करोड़ों लोग लगातार दर्द निवारक दवाओं पर निर्भर हैं, लोग ट्रामाडोल को लंबे समय तक इस्तेमाल कर रहे हैं. मगर उन्हें इसके दिल से जुड़े खतरे का पता नहीं है तो ये गंभीर समस्या बन सकती है.
ट्रामाडोल दर्द के लिए अक्सर इस्तेमाल की जाने वाली दवा है, लेकिन यह पूरी तरह सुरक्षित नहीं है. मरीज और डॉक्टर दोनों को इसके जोखिम और लाभ को ध्यान से समझना होगा और जरूरत पड़ने पर सुरक्षित ऑप्शन अपनाने चाहिए.