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कभी पूरी दुनिया में प्रकोप था 'हैजा', भारत बायोटेक ने बनाई वैक्सीन, जानें- इसका क्या फायदा होगा? 

भारत ने हैजा जैसी घातक बीमारी के खिलाफ वैक्सीन बना ली है. इस वैक्सीन ने दुनिया के सामने नई उम्मीद जगा दी है. 18 हजार लोगों पर इसका ट्रायल सफल रहा है. आइए इस बीमारी की गंभीरता, वैक्सीन की खासियत और विशेषज्ञों के बचाव के टिप्स जानते हैं. 

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Cholera vaccine (Photo Credit: Getty Images)
Cholera vaccine (Photo Credit: Getty Images)

हैजा जिसे कॉलरा भी कहते हैं, कभी ये बीमारी एक प्रकोप की तरह पूरी दुनिया को हिला चुकी है. इस बीमारी से लाखों लोगों की जान जा चुकी है. आज भी खराब स्वच्छता और दूषित पानी के कारण ये बीमारी खतरा बनी हुई है. लेकिन, अब भारत ने इस घातक बीमारी के खिलाफ वैक्सीन बना ली है. इस वैक्सीन ने दुनिया के सामने नई उम्मीद जगा दी है. 18 हजार लोगों पर इसका ट्रायल सफल रहा है. आइए इस बीमारी की गंभीरता, वैक्सीन की खासियत और विशेषज्ञों के बचाव के टिप्स जानते हैं. 

18000 पर सफल रहा ट्रायल 

हैदराबाद की कंपनी भारत बायोटेक ने ओरल वैक्सीन 'हिलकोल' विकसित की है जिसके थर्ड फेज ट्रायल में शानदार परिणाम सामने आए हैं. 18,000 लोगों पर किए गए परीक्षणों में इस वैक्सीन ने एंटीबॉडी को चार गुना तक बढ़ाने में सफलता हासिल की है.  यह वैक्सीन सस्ती, सुरक्षित और बच्चों व वयस्कों दोनों के लिए प्रभावी है.  WHO द्वारा प्रमाणित वैक्सीन जैसे डुकोरल, शंचोल और यूविचोल पहले से उपलब्ध हैं लेकिन हिलकोल भारत की अपनी पहल है जो लागत प्रभावी होने के साथ-साथ स्थानीय जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाई गई है. 

हिलकोल की खासियत यह है कि यह मुंह के जरिए ली जाती है जिससे इसे लोगों को देना आसान है. ट्रायल में इसकी प्रभावशीलता पहले छह महीनों में 85% और पहले साल में 50-60% तक देखी गई है. यह वैक्सीन न केवल व्यक्तिगत सुरक्षा प्रदान करती है बल्कि सामूहिक टीकाकरण के जरिए 'हर्ड इम्युनिटी' को बढ़ावा देती है जिससे उन लोगों को भी सुरक्षा मिलती है जिन्हें वैक्सीन नहीं लगी. 

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जान‍िए कितना खतरनाक है यह रोग

हैजा एक संक्रामक बीमारी है जो विब्रियो कॉलेरा बैक्टीरिया के कारण फैलती है. ये दूषित पानी, खाना या खराब स्वच्छता के जरिए तेजी से फैलती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार हर साल दुनिया भर में हैजा के 13 से 40 लाख मामले सामने आते हैं, जिनमें लाखों लोग अपनी जान गंवा देते हैं. कई देशों में जहां स्वच्छ पानी और बेहतर स्वच्छता की कमी कई जगहों पर है, यह बीमारी खास तौर पर खतरनाक हो सकती है. 

क्या होते हैं इस बीमारी के लक्षण 

हैजा के लक्षण अचानक शुरू होते हैं. इसमें पानी जैसे दस्त, उल्टियां, तेज प्यास, मांसपेशियों में ऐंठन और कमजोरी महसूस होती है. अगर समय पर इसका इलाज न हो तो कुछ ही घंटों में डिहाइड्रेशन के कारण मरीज की मौत तक हो सकती है. विशेषज्ञों का कहना है कि हैजा का सबसे बड़ा खतरा डिहाइड्रेशन है जो किडनी फेलियर, कोमा और डेथ तक ले जा सकता है. 

हैजा का इतिहास, कैसे ये बीमारी बनी थी प्रकोप

19वीं सदी में हैजा ने पूरी दुनिया में तबाही मचाई थी. सात बड़ी महामारियों ने लाखों लोगों की जान ली. भारत में भी यह बीमारी गंगा के किनारे बसे शहरों और ग्रामीण इलाकों में कहर बनकर टूटी थी. खराब सीवेज सिस्टम और दूषित पानी इसके फैलने का प्रमुख कारण था. फिर आधुनिक जल उपचार और स्वच्छता प्रणालियों ने विकसित देशों में इसे लगभग खत्म कर दिया है लेकिन भारत, अफ्रीका और दक्षिण पूर्व एशिया जैसे क्षेत्रों में यह आज भी खतरा बना हुआ है. 

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कैसे करें कॉलरा से बचाव 

हमेशा स्वच्छ पानी का उपयोग करें. आरओ नहीं है तो हमेशा उबला हुआ या क्लोरीनयुक्त पानी पिएं. दूष‍ित पानी या स्ट्रीट वेंडर्स के खाने से परहेज करें. 
कच्चे या अधपके समुद्री भोजन, बिना छिलके वाले फल और सब्जियां खाने से बचें. खाना हमेशा ताजा और अच्छी तरह पकाकर खाएं. 
खाना खाने और शौचालय जाने के बाद साबुन से अच्छी तरह हाथ धोएं. हाथों के जरिये कई बार हानिकारक बैक्टीरिया शरीर में पहुंच जाते हैं. 
हैजा प्रभावित क्षेत्रों में यात्रा करने से पहले हिलकोल या WHO की वैक्सीन (जैसे शंचोल) की दो खुराक लें. ये वैक्सीन बच्चों और वयस्कों दोनों के लिए सुरक्षित है. 
अगर दस्त या उल्टी के लक्षण दिखें तो तत्काल ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन (ORS) पीना शुरू कर दें और डॉक्टर से संपर्क करें. 
हैजा के गंभीर मामलों में IV फ्लूइड्स और एंटीबायोटिक्स जरूरी हो सकते हैं, ये डॉक्टरी सलाह पर ही लें. 

बहुत मुश्क‍िल नहीं है हैजा का इलाज

पुराने समय में जब एंटीबायोट‍िक्स दवाएं बड़ी मात्रा में व‍िकस‍ित नहीं थी तब हैजा का इलाज बहुत मुश्किल होता था. आज के समय अगर समय पर डिहाइड्रेशन को रोकने के लिए ORS और IV फ्लूइड्स द‍िए जाएं तो मरीज को आराम मिल जाता है. वहीं सीर‍ियस केसेज में एंटीबायोटिक्स दी जा सकती हैं. वहीं, बच्चों में जिंक सप्लीमेंट्स लक्षणों की गंभीरता को कम करने में मदद करते हैं. 

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