
'या अली' सिंगर जुबिन गर्ग अब हमारे बीच नहीं हैं. उनकी सिंगापुर में अचानक स्कूबा डाइविंग करते वक्त मौत हो गई. जुबिन के निधन से उनके फैंस पूरी तरह टूट गए. जब सिंगर को वापस असम, उनके शहर लाया गया, तब उनकी एक झलक पाने के लिए पूरा जन सैलाब उमड़ पड़ा. अब जुबिन गर्ग की मौत के बाद उनकी आखिरी फिल्म 'रोई रोई बिनाले' रिलीज हुई है.
रिलीज हुई जुबिन गर्ग की आखिरी फिल्म
जुबिन गर्ग की फैन फॉलोइंग असम में काफी ज्यादा है. उन्होंने वहां के कल्चर को पूरे देश में बढ़ाने का जो काम किया, उसका हर कोई एहसानमंद है. जब जुबिन की मौत हुई, तो सबसे ज्यादा दुख उनके फैंस को हुआ. पूरे प्रदेश में शोक की लहर दौड़ी. ऐसे में अब, जब उनकी आखिरी फिल्म रिलीज हुई है, तो इसमें भी उनके फैंस अपने 'हीरो' को आखिरी बार देखने का मौका नहीं छोड़ रहे.
वो गुवाहाटी के थिएटर्स में भारी संख्या में पहुंच रहे हैं. फिल्म एडवांस बुकिंग के मामले में पहले ही रिकॉर्ड्स तोड़ चुकी है. जुबिन की फिल्म असम समेत करीब 46 लोकेशन्स में रिलीज हुई है. दिल्ली-एनसीआर और मुंबई के कुछ थिएटर्स में इसके शोज भी लगे हैं. ऐसे में पूरी उम्मीद की जा रही है कि असम के अलावा देशभर में मौजूद जुबिन के फैंस थिएटर्स में उनकी आखिरी फिल्म देखने जरूर जाएंगे.
वहीं NRD ग्रुप के CMD और मैट्रिक्स सिनेमैक्स के मालिक नृपेन दास ने बताया कि रोई रोई बिनाले का देश का गुवाहाटी में सबसे पहला शो सुबह 4 बजकर 25 मिनट पर शुरू हुआ. और यह बुकिंग शुरू होते ही हाउसफुल हो गया. सारे टिकट बिक गए. यह असम के इतिहास में एक रिकॉर्ड है. उन्होंने बताया कि जो भी दर्शक थिएटर में फिल्म देखने आ रहे हैं, उन्हें जुबीन गर्ग की याद स्वरूप एक-एक पौधा भी उपहार में दिया जा रहा है.
आखिरी फिल्म से पहले वायरल हुआ जुबिन का नोट
जुबिन गर्ग की फिल्म 'रोई रोई बिनाले' की रिलीज से पहले, सिंगर का अपने फैंस के लिए आखिरी नोट भी खूब वायरल हो रहा है. उनकी फिल्म की टीम ने सोशल मीडिया पर एक फोटो पोस्ट की, जिसमें जुबिन ने अपनी भाषा में फैंस के लिए एक मैसेज लिखा. ये नोट जुबिन ने सिंगापुर जाने से पहले लिखा था, जिसकी जानकारी फिल्म के मेकर्स ने दी.

जुबिन ने अपने नोट में लिखा था, 'रुको, थोड़ा रुको, मेरी नई फिल्म रोई रोई बिनाले आ रही है. जरूर आओ और देखो. प्यार, जुबीन दा.' बता दें कि जुबिन गर्ग की मौत 19 सितंबर के दिन हुई थी. वो सिर्फ 52 साल के थे. उनका अंतिम संस्कार 23 सितंबर के दिन हुआ, जहां उन्हें 21 तोपों की सलामी के साथ राजकीय सम्मान से अलविदा कहा गया. कुछ दिनों पहले 29 सितंबर के दिन, उनकी अस्थियों को ब्रह्मपुत्र नदी में विसर्जित किया गया.