
धरती पर करीब तीन दशक का वक्त बिता चुकी जेनरेशन के लिए हाल ही में दिल तोड़ देने वाली एक खबर आई. MTV अब म्यूजिक पर फोकस करने वाले, अपने पांच चैनल दुनिया भर में बंद करने जा रहा है. इस खबर में तकनीकी पेंच ये है कि मुख्य चैनल MTV (HD) अभी भी चलता रहेगा, मगर ये अब रियलिटी शोज पर ही ज्यादा फोकस करेगा. म्यूजिक और आर्टिस्ट्स को जमकर बढ़ावा देने वाले MTV की विरासत में ये एक बहुत बड़ा ट्विस्ट है.
रिपोर्ट्स के अनुसार, इस शिफ्ट का सबसे बड़ा कारण लोगों की बदलती आदतें हैं. यूट्यूब और सोशल मीडिया की पॉपुलैरिटी, रील्स का चस्का कुछ ऐसी चीजें हैं जिनकी वजह से चैनलों की व्यूअरशिप घटी है. बीबीसी की एक रिपोर्ट बताती है कि ये कदम MTV के ग्लोबल ऑपरेशन्स के खर्च में बड़ी कटौती करने की स्ट्रेटेजी का हिस्सा है.
सोशल मीडिया पर दुनिया भर से इस खबर पर रिएक्शन आने लगे हैं. लोग नॉस्टैल्जिया में डूबकर वो दौर याद करने लगे हैं जब MTV उनके लिए ग्लोबल पॉप कल्चर में झांकने का झरोखा बना था. भारतीय सोशल मीडिया यूजर्स भी इस लहर में 90s और शुरुआती 2000s के MTV की यादें शेयर करते नजर आए.

दरअसल, पूरी दुनिया की तरह भारत में भी लेट 80s और 90s में जन्मे लोगों की एक पूरी पीढ़ी है जिसे MTV जेनरेशन कहा जाता है. आज के यूथ को शायद ये ना समझ आए कि एक पूरी पीढ़ी, एक टीवी चैनल के लिए इस कदर नॉस्टैल्जिया क्यों पाले हुए है? इस पीढ़ी को 'MTV जेनरेशन' नाम क्यों दिया गया? MTV की म्यूजिक पर फोकस्ड प्रोग्रामिंग का ऐसा क्या असर था? चलिए कहानी को थोड़ा रीवाइंड करते हैं...
म्यूजिक का माहौल बनाने वाला चैनल
भारत में म्यूजिक की जगह मोस्टली फिल्मों में ही रही है. हर हाथ में मोबाइल फोन आने से पहले, पॉपुलेशन के एक बड़े हिस्से को फिल्मों से बाहर का म्यूजिक कैसेट्स, सीडी और बाद में इंटरनेट से मिला. मगर 1995 से 2005 को वो दौर माना जा सकता है जब ये सब चीजें भी ठीकठाक खर्च मांगती थीं. ऐसे में केबल टीवी पर आने वाले MTV (इंडिया) चैनल ने, पॉप कल्चर में अपना हिस्सा खोजते टीनेजर्स और यूथ को फिल्मों से बाहर का म्यूजिक पहली बार दिखाया.
इंडिपेंडेंट पॉप म्यूजिक के मामले में आज भी हम जिस लेवल को छूने से चूक रहे हैं, वहां तक पहुंचाने में MTV का बहुत बड़ा रोल था. लकी अली, पलाश सेन का बैंड यूफोरिया, अलीशा चिनॉय, फाल्गुनी पाठक, नीरज श्रीधर का बॉम्बे वाइकिंग्स, हरिहरन और लेस्ली लुईस की म्यूजिकल जोड़ी 'कोलोनियल कजिन्स' और 'द आर्यन्स वगैरह का इंडी पॉप म्यूजिक MTV (और चैनल वी) से ही घर-घर पहुंचा.
इस केबल टीवी चैनल की मदद से एक ऐसा इंडी पॉप म्यूजिक सीन तैयार हुआ, जो अमेरिकन पॉप की तरह, इंडियन म्यूजिक का एक बड़ा हिस्सा था. ये सिर्फ इंडी पॉप गाने नहीं थे, इनके वीडियो में एक पूरी कहानी हुआ करती थी. गाने में किरदारों का कैरेक्टर आर्क होता था. ये पॉप, दुनियावी राग-रंग-रस का ककहरा पढ़ रही एक यंग जेनरेशन का म्यूजिक टेस्ट बन गया, जो आज भी यादों में उतना ही ताजा है. मगर MTV सिर्फ म्यूजिक प्ले करने तक ही नहीं रुका, इसने म्यूजिक क्रिएट भी किया. वो म्यूजिक जिसे फॉलो करने वालों की अपनी एक लीग है.

'गैंग्स ऑफ वासेपुर' का अद्भुत और एक्स्परिमेंटल म्यूजिक बनाने वालीं स्नेहा खानवलकर को सिनेमा लवर्स शायद ही कभी भूलें. मगर MTV जेनरेशन को स्नेहा का नाम याद आता है 'MTV साउंड ट्रिपिन' शो से. स्नेहा ट्रेवल करती थीं और जहां जाती थीं वहां के नेटिव साउंड को गानों की शक्ल देती थीं. MTV ने ऐसे ही कई शोज दिए जिनमें 'MTV अनप्लग्ड', 'द देवारिस्ट्स', 'MTV रॉक ऑन' और सबसे पॉपुलर 'MTV कोक स्टूडियो' जैसे शोज थे.
MTV बीट्स चैनल ने रैप म्यूजिक को डेडिकेटेड 'MTV हसल' जैसा शो दिया है जो जेन जी ऑडियंस के लिए भी रैप का इंडियन स्वैग लेकर आया. ये चैनल भी इसी साल मार्च में बंद हो गया. MTV के छोटे-छोटे ऐसे भी शो थे जिनमें आर्टिस्ट्स और म्यूजिक आइकॉन्स के इंटरव्यू होते थे. जैसे- शेहनाज ट्रेजरीवाला का 'MTV मोस्ट वांटेड'. इन शोज ने म्यूजिक का एक पूरा कल्चर तैयार किया है.
MTV मतलब 'कूल'
बात सिर्फ म्यूजिक की नहीं है, बात उन वीडियो जॉकी यानी वीजे की भी है जो MTV पर आए और आइकॉन बन गए. इन आइकॉन्स के साथ इंडियन यूथ को डिक्शनरी में एक नई भाषा आई 'हिंग्लिश', जो आज इंडियन इंटरनेट की जुबान है. निखिल चिन्नप्पा, अनुषा दांडेकर, सायरस ब्रोचा, होज़े कोवैको, मलायका अरोड़ा, आयुष्मान खुराना, बानी जे और मिनी माथुर जैसे नाम एक समय इंडियन यूथ के लिए 'कूल' की डेफिनिशन थे. ये जब इंटरव्यूज लेते थे तो वो स्क्रिप्टेड नहीं लगते थे. इनकी बैकस्टेज बकबक प्रोग्राम्ड नहीं थी.

इनकी जुबान में स्वैग था, इनके स्टाइल में एटिट्यूड था और इनका फैशन ट्रेंडी था. जहां म्यूजिक एक तरफ से यूथ को बदल रहा था, वहीं ये 'कूल' फैक्टर दूसरी तरफ से. इंडियन यूथ का एक दौर वो भी था जब आप किसी को देखकर, उससे बात करके बता सकते थे कि वो MTV देखता है या नहीं.
कंटेंट का किंग 'MTV'
ये कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा कि आज जिस 'वायरल कंटेंट' के पीछे सोशल मीडिया पागल है, उसकी जड़ें MTV से निकली हैं. MTV ने म्यूजिक के बीच में जो फिलर शोज शुरू किए उन्हें अलग लेवल की पॉपुलैरिटी मिली. सायरस ब्रोचा का प्रैंक शो 'MTV बकरा' अपने दौर का सबसे पॉपुलर प्रैंक शो था.

MTV ने फिल्मों की पैरोडी के लिए एक पूरा अलग सेक्शन बना दिया 'फुल्ली फालतू फिल्म्स'. 'धूम' की पैरोडी बनी 'घूम, 'जोधा अकबर' बनी 'जादू एक बार'. शाहरुख खान की 'चक दे इंडिया' को 'चेक दे इंडिया' बना दिया गया, तो आमिर खान की 'तारे जमीन पर' से निकली 'बेचारे जमीन पर'. इस मजेबाजी की इन्तेहा ये थी कि बाकायदा 'फुल्ली फालतू फिल्म फेस्टिवल' भी हुआ था.
रियलिटी टीवी शोज के मामले में 'MTV रोडीज' और 'स्प्लिट्सविला' कितने आइकॉनिक हैं ये तो किसी को बताने की भी जरूरत नहीं है. मगर MTV के रियलिटी शोज की रेंज एक अलग लेवल की थी. सेलेब्रिटी पार्टीज के अंदर की झलक 'गेट क्रैश' में दिखती थी, तो F1 कार रेसिंग से जुड़ा 'द फास्ट एंड द गॉर्जियस' भी था. यंग महिला ऑडियंस का दिल जीतने वाले 'टीन दीवाज' और 'गर्ल्स नाईट आउट' जैसे शोज तो थे ही. 'MTV स्टंटमेनिया' बाइक स्टंट्स के क्रेज को अलग लेवल पर ले गया था.

यानी म्यूजिक ही नहीं, फैशन, लाइफस्टाइल, डेटिंग, घुमक्कड़ी और मौज-मस्ती-मटरगश्ती तक, MTV यूथ की लाइफ के हर पहलू पर असर छोड़ रहा था. जब आज की तरह इंटरनेट पर कंटेंट की सुनामी नहीं आई थी तब भी, और लगभग 2015-16 तक इस सुनामी की शुरुआत में भी. इसके बाद कंटेंट की दुनिया बहुत विस्तृत हो गई, कभी जो चीजें MTV का कंटेंट थीं, वो अब तमाम यूट्यूब चैनल्स और फिर रील्स में बिखर गईं. वीजे की जगह इन्फ्लुएंसर आ गए. म्यूजिक के लिए यूट्यूब और फिर म्यूजिक ऐप्स पहली चॉइस हो गए.
मगर सोशल मीडिया पर फैले इस सारे कंटेंट की सबसे बड़ी ऑडियंस आज भी शायद वही है, जो MTV की खाद पानी पर पली. 'ब्रेनरॉट' जिसका एंटरटेनमेंट है, जिसे हर पल कुछ नया चाहिए और ये नए कंटेंट के लिए भूखी है. ये भूख, ये बेचैनी ही MTV से आई थी और इसी ने एक पूरी पीढ़ी को बना दिया था 'MTV जेनरेशन.'