scorecardresearch
 

Mission Impossible 8 Review: टॉम क्रूज ने सिर्फ दुनिया ही नहीं, फिल्म बचाने में भी झोंकी पूरी मेहनत, थ्रिलिंग है एक्सपीरियंस

30 सालों में ईथन ने हर मिशन पर जो फैसले लिए, सामने आए विकल्पों में से जो चुना, उसकी वजह से आज पूरी दुनिया एक दोराहे पर खड़ी है. सामने जो सच है उसपर विश्वास करते हुए इस संसार को तबाह होने दिया जाए? या फिर ईथन हंट पर इस सच को बदलने का विश्वास दिखाया जाए?

Advertisement
X
Mission Impossible 8 Review: टॉम क्रूज ने सिर्फ दुनिया ही नहीं, फिल्म भी बचाई
Mission Impossible 8 Review: टॉम क्रूज ने सिर्फ दुनिया ही नहीं, फिल्म भी बचाई
फिल्म:मिशन इम्पॉसिबल: फाइनल रेकनिंग
3.5/5
  • कलाकार : टॉम क्रूज, हेली ऐटवेल, साइमन पेग, विंग रेम्स
  • निर्देशक :Christopher McQuarrie

‘हमारी जिंदगियां, हमारे सारे चुनावों का कुल जोड़ होती हैं…’ ईथन हंट को पहचानते हुए हमें 30 साल हो चुके हैं. इस आदमी को जब 1996 में पहली बार मिशन पर भेजा गया था तब भी इसपर कोई दबाव नहीं था. वो चाहता तो मिशन पर न जाना भी चुन सकता था, उसके पास हर मिशन से पहले ये चॉइस थी- ‘अगर तुम इसे चुनना स्वीकार करते हो…’ मगर ईथन ने हर बार मिशन पर जाना ही स्वीकार किया. 

30 सालों में ईथन ने हर मिशन पर जो फैसले लिए, सामने आए विकल्पों में से जो चुना, उसकी वजह से आज पूरी दुनिया एक दोराहे पर खड़ी है. सामने जो सच है उसपर विश्वास करते हुए इस संसार को तबाह होने दिया जाए? या फिर ईथन हंट पर इस सच को बदलने का विश्वास दिखाया जाए? ये ईथन हंट है, टॉम क्रूज का जिंदा किया हुआ वो किरदार जो सच से भी ऊपर है, विश्वास से भी ऊपर, दुनिया से भी ऊपर. और यही ‘मिशन इम्पॉसिबल’ का संसार है... ‘अगर तुम इसे चुनना स्वीकार करते हो.’ 

हां, इस बात पर पूरा यकीन रखिए कि इस संसार में अगर आप एक आखिरी बार विश्वास दिखाना चुनेंगे तो वो पूरा एंटरटेनमेंट मिलेगा जो आपके टिकट का एक-एक पैसा वसूल करवा देगा. ‘मिशन इम्पॉसिबल: फाइनल रेकनिंग’ का टिकट खरीदना ऐसा लगता है जैसे ये टॉम क्रूज के आइकॉनिक किरदार को एक फाइनल ट्रिब्यूट है. मगर फिल्म देखने के बाद महसूस होता है कि खुद टॉम ने भी इस फिल्म के जरिए ईथन हंट के पक्के फैन्स को ट्रिब्यूट दिया है, जो आज भी उनकी फिल्म का पहला शो देखने के लिए तड़के उठकर थिएटर जा पहुंचते हैं. ‘मिशन इम्पॉसिबल: फाइनल रेकनिंग’ की अपनी कुछ समस्याएं जरूर हैं, मगर वो किसी भी तरह से बिग-स्क्रीन एंटरटेनमेंट के आड़े नहीं आतीं. 

Advertisement

संभावनाओं को असंभव बनाने वाला प्लॉट
पिछली फिल्म ‘मिशन इम्पॉसिबल: डेड रेकनिंग’ ने इस कहानी का विलेन सेट कर दिया था. एक परजीवी AI प्रोग्राम ‘एंटिटी’ दुनिया भर के इनफॉर्मेशन सिस्टम को ना सिर्फ करप्ट कर रहा है, बल्कि नए सिरे से क्रिएट भी कर रहा है. एक इंटरनेट बेस्ड संसार में अब ‘सत्य’ जैसा कुछ नहीं बचा है क्योंकि सारी इन्फॉर्मेशन नए सिरे से गढ़ी गई है. इस इनफॉर्मेशन के गलत इस्तेमाल से एंटिटी ने दुनिया को एक परमाणु युद्ध के मुहाने पर खड़ा कर दिया है. 

एंटिटी एक कंप्यूटर प्रोग्राम है तो उसका सोर्स कोड भी होगा ही, जहां से उसे खत्म किया जा सकता है, या फिर उसपर काबू पाया जा सकता है. ईथन का ऑरिजिनल मिशन था कि उसे ये सोर्स कोड लाकर अपनी सरकार को देना है, जो एंटिटी का इस्तेमाल अपनी ताकत बढ़ाने के लिए करना चाहती है. दूसरी तरफ ईथन के अतीत से निकला गैब्रिएल नाम का विलेन है, जो एंटिटी को काबू करके दुनिया पर राज करना चाहता है. लेकिन उसे ये नहीं पता कि एंटिटी का सोर्स कोड कहां है, इसलिए वो ईथन के पीछे है.

तीसरी तरफ एंटिटी खुद है जो ईथन को नचा रहा है क्योंकि वो इस दुनिया के तबाह होने के बाद भी अस्तित्व में रहना चाहता है. एंटिटी अपने बचने का इंतजाम एक ऐसे डेटा सेंटर में करना चाहता है जो दुनिया तबाह होने की सूरत में, इंसानियत का सबसे महत्वपूर्ण डेटा सुरक्षित रखने के लिए बनाया गया है. इसका नाम डूम्सडे वॉल्ट है. इसलिए एंटिटी, ईथन से अपना सोर्स कोड निकलवाकर डूम्सडे वॉल्ट में पहुंचाना चाहता है. 

Advertisement

पिछली फिल्म में हमने देखा था कि एंटिटी का सोर्स कोड एक रशियन सबमरीन के वॉल्ट में था, जो सागर की तलहटी में कहीं पड़ी है. वॉल्ट की चाभी खोजने का मिशन ईथन और उसकी टीम ने पिछली फिल्म में पूरा कर लिया था. अब ईथन को पनडुब्बी की लोकेशन खोजनी है. मगर लोकेशन मिलने के बाद उसके सामने तीन बड़े सवाल होंगे- एंटिटी का सोर्स कोड अगर डूम्स डे वॉल्ट में नहीं पहुंचा तो दुनिया में परमाणु युद्ध हो जाएगा. सोर्स कोड अगर गैब्रिएल तक नहीं पहुंचा तो वो ईथन की टीम को खत्म कर देगा. और अगर ईथन ने एंटिटी का सोर्स कोड अपनी सरकार को नहीं डिलीवर किया तो भी इसके खतरनाक परिणाम होने हैं. 

'मिशन इम्पॉसिबल' के फैन्स जानते हैं कि यहां सवाल ये नहीं है कि यहां क्या होना पॉसिबल है और क्या नहीं. असली सवाल ये है कि ईथन ये करेगा कैसे? इस सवाल के जवाब के लिए आपको टॉम क्रूज पर 'एक आखिरी बार' पूरा भरोसा दिखाना है. और ईथन के साथ उसकी काबिल टीम तो है ही, जिसमें उसके पुराने तीन दोस्तों के अलावा, पिछली फिल्म में करिश्माई तरीके से जेब काटने वाली एक लड़की ग्रेस (हेली ऐटवेल) की एंट्री हुई है. इस काबिल टीम को अब सिर्फ दुनिया ही नहीं बचानी, बल्कि दुनिया बचाते हुए आपको एंटरटेन भी करना है. यहां देखें 'मिशन इम्पॉसिबल: फाइनल रेकनिंग' का ट्रेलर:

Advertisement

मिशन एंटरटेनमेंट- पॉसिबल या इम्पॉसिबल?
हर 'मिशन इम्पॉसिबल' फिल्म के साथ मेकर्स और टॉम क्रूज ने एक्शन और स्टंट्स का एक नया लेवल जनता को दिखाया है. लेटेस्ट फिल्म भी इस मामले में कुछ अद्भुत सीक्वेंस लेकर आई है. रशियन सबमरीन में टॉम का अंडरवॉटर सीक्वेंस और प्लेन वाला सीक्वेंस देखते हुए आपको सच में अपनी सांस भारी होती महसूस होगी. मगर ये दोनों चीजें जबतक फिल्म में आपको नजर आती हैं उससे पहले भी फिल्म में बहुत कुछ है. लेकिन दिक्कत ये है कि इसमें से सबकुछ पचा जाने लायक नहीं लगता.

ईथन हंट के किरदार में सबसे दिलचस्प बात ये लगती थी कि कोई भी उसके बारे में नहीं जानता. खुद उसकी सरकार के बड़े अधिकारी भी नहीं. ये एंगल 'मिशन इम्पॉसिबल' की हर फिल्म में कुछ दिलचस्प सीन्स की वजह बन चुका है. ईथन की कहानी अबतक, लोगों की नजरों से दूर रहे एक हीरो की कहानी रही है. मगर इस बार ईथन की पहचान बाहर आ चुकी है और बहुत सारे लोग उसे चेहरे से पहचानते हैं. ऐसा होना 'मिशन इम्पॉसिबल: फाइनल रेकनिंग' को थोड़ा कम मजेदार बना देता है. हालांकि, पिछली फिल्मों से नई कहानी को जोड़ने वाले कनेक्शन मजेदार हैं और पक्के 'मिशन इम्पॉसिबल' फैन्स को तो बहुत मजेदार लगेंगे. 

Advertisement

'फाइनल रेकनिंग' पहले एक घंटे में प्लॉट के सारे पंगों और गंभीरता को सेट करने में बहुत वक्त लगाती है. फिल्म का स्क्रीनप्ले आपको सबकुछ ओवर-एक्सप्लेन करने की कोशिश करता है. पूरे नैरेटिव में ये एक सवाल जरूरत से ज्यादा बार घूमकर आता रहता है कि किरदार जिस तरह बिहेव कर रहे हैं वो उनका नेचुरल बिहेवियर है या जो एंटिटी चाहता है वैसा है. फिल्म की बेसिक थीम ये थी कि इंसानों के बिहेवियर पैटर्न को कोई AI कितनी भी बारीकी से नोट कर ले मगर इंसानों में हमेशा इस पैटर्न से हटकर कुछ अलग कर देने की गुंजाइश रहती है, इसीलिए हमपर राज करना किसी मशीन के लिए संभव नहीं है. 

लेकिन स्क्रीनप्ले का फोकस इस एंगल से हटकर ईथन को किसी सुपरहीरो जैसा दिखाने पर चला जाता है. हर किरदार उसपर अपना दांव लगाने के लिए तैयार है और कोई ऐसा मजबूत किरदार नहीं है जो ईथन के फेल होने की स्थिति में होने वाले भयानक नुकसानों का चेहरा है. ऐसा होने से कहानी बहुत रेगुलर सी लगने लगती है. जबकि ईथन का एक नॉर्मल इंसान होना और उसके एक्शन्स में फेलियर की गुंजाइश होना ही अभी तक की सारी 'मिशन इम्पॉसिबल' फिल्मों को दमदार बनाता आया है. 

Advertisement

शुरुआत में फिल्म के स्लो नैरेटिव की भरपाई उन एक्शन सीक्वेंस से होती है जो एक एजेंट के तौर पर ईथन की काबिलियत दिखाते हैं. दिक्कत बस इतनी है कि इमोशनल या मोरल डेप्थ की कमी से ये सबकुछ बहुत मैकेनिकल लगता है. एक मजबूत विलेन और काउंटर आईडिया ना होने से सारा भार सिर्फ इस बात पर है कि हीरो कितने करिश्मे कर सकता है. यहीं पर टॉम क्रूज ने फिल्म को बचाया है.

टॉम क्रूज के जलवे पर टिकी फिल्म
टॉम क्रूज ने एक बार फिर साबित किया है कि उन्हें दुनिया का सबसे बड़ा फिल्म स्टार क्यों कहा जाता है. जब 'फाइनल रेकनिंग' का नैरेटिव स्ट्रक्चर ढहता हुआ लगता है तब टॉम अपने करिश्मे दिखाने लगते हैं और एक शानदार अंडरवॉटर सीक्वेंस आपकी अटेंशन पूरी तरह बांध लेता है. 'मिशन इम्पॉसिबल' फिल्मों में सिर्फ टॉम की एक्शन परफॉर्म करने की मास्टरी ही आपको नहीं बांधती. बल्कि उन एक्शन सीक्वेंस में उनका एफर्ट जिस तरह उनके चेहरे और बॉडी लैंग्वेज में दिखता है, वो उनके हीरो ईथन हंट की सबसे बड़ी खूबी है. 

ये इफेक्ट इस बार एक अलग लेवल पर जाता है. कई सीन्स में उनके चेहरे की टेंशन, एफर्ट और घबराहट के साथ उनकी जिद भी आपको भरपूर दिखती है. लूथर के रोल में विंग रेम्स अपने लिमिटेड सीन्स में भी आपको एक बार फिर इम्प्रेस करते हैं और बेंजी बने साइमन पेग भी इस फ्रैंचाइजी में अपना रोल एक बार फिर ईमानदारी से निभाते हैं. हेली ऐटवेल भी टॉम क्रूज के शो में अपने हिस्से की वाहवाही बटोरने में कामयाब हुई हैं. बाकी एक्टर्स भी अपने-अपने रोल में पूरा योगदान देते हैं जो अधिकतर यही है कि उन्हें टॉम क्रूज के ईथन हंट को ऊपर उठाना है. 

Advertisement

कुल मिलाकर 'मिशन इम्पॉसिबल: फाइनल रेकनिंग' पूरी तरह से टॉम क्रूज और उनके आइकॉनिक किरदार ईथन हंट की वीरगाथा वाले मोड में रहने वाली फिल्म है. मेकर्स ने दावा तो किया है कि ये इस सीरीज की आखिरी फिल्म है मगर फिल्म की एंडिंग इस पॉइंट को पूरी तरह सपोर्ट नहीं करती, शायद अभी कुछ बाकी हो.  

हर बड़ी फ्रैंचाइजी की फेयरवेल फिल्मों में ये प्रवृत्ति पाई जाती है कि वो हीरोज को एलिवेट करने के लिए नैरेटिव में कुछ ऐसी कमी छोड़ देती हैं कि एक पक्का सिनेमा थोड़ा सा असंतुष्ट रह जाता है. मगर इस एक समस्या को किनारे रखने पर ये फाइनल 'मिशन इम्पॉसिबल' फिल्म, थिएटर्स में फील करने लायक एक दमदार बिग-स्क्रीन एक्सपीरियंस जरूर देती है. 

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement