उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले की एक सीट है गंगोलीहाट विधानसभा सीट (Gangolihat Assembly Seat).उत्तराखंड की स्थापना के बाद अस्तित्व में आई गंगोलीहाट विधानसभा का इतिहास रहा है कि यहां जिस दल के उम्मीदवार को जीत मिली, सूबे में उसी दल की सरकार बनी. यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है.
गंगोलीहाट विधानसभा क्षेत्र एक तरफ सरयू नदी से घिरा है तो दूसरी तरफ रामगंगा नदी से. मतदाताओं के लिहाज से गंगोलीहाट विधानसभा क्षेत्र पिथौरागढ़ के बाद जिले का दूसरा सबसे बड़ा विधानसभा क्षेत्र है. गंगोलीहाट ,बेरीनाग और गणाई गंगोली को मिलाकर इस विधानसभा क्षेत्र में 3 तहसील और दो विकासखंड आते हैं.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
गंगोलीहाट विधानसभा सीट के राजनीतिक अतीत की बात करें तो 2002 से 2017 तक विधानसभा चुनाव में यहां भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और कांग्रेस के उम्मीदवारों ने बारी-बारी से जीत दर्ज की है. हालांकि 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में इस सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार ने भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराई थी. 2002 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में गंगोलीहाट विधानसभा सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार नारायण राम आर्य ने बीजेपी के जोगाराम टम्टा को 470 वोट से हरा दिया था. 2007 में जोगाराम टम्टा ने कांग्रेस के नारायण राम आर्य को 2790 मतों से हरा दिया था. 2012 में कांग्रेस के नारायण राम आर्य दूसरी दफे विधानसभा पहुंचे थे.
2017 का जनादेश
गंगोलीहाट विधानसभा सीट से 2017 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस ने अपने पूर्व विधायक नारायण राम पर भरोसा जताते हुए उन्हें मैदान में उतारा था. तो भाजपा ने फिर एक बार चेहरा बदलते हुए 2017 में मीना गंगोला पर दांव खेला था. बीजेपी से टिकट न मिलने पर खजान चन्द्र गुड्डू निर्दलीय ही मैदान में उतर पड़े. बीजेपी की मीना गंगोला ने अपने प्रतिद्वंदी कांग्रेस के दिग्गज नारायण राम आर्य को करीबी मुकाबले में 805 वोट से हरा दिया. वहीं निर्दलीय उम्मीदवार खजान चंद्र गुड्डू इस चुनाव में 10,000 से अधिक वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे.
सामाजिक तानाबाना
गंगोलीहाट विधानसभा सीट के सामाजिक समीकरणों की बात करें तो इस सीट पर सबसे अधिक मतदाता अनुसूचित जाति वर्ग के हैं. अनुमान के मुताबिक यहां करीब 37 फीसदी मतदाता अनुसूचित जाति के हैं. ब्राह्मण और राजपूत मतदाता भी अच्छी तादाद में हैं. इस सीट का चुनाव परिणाम तय करने में अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाता भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं.
विधायक का रिपोर्ट कार्ड
गंगोलीहाट विधानसभा सीट से विधायक मीना गंगोला के 5 साल के कार्यकाल की करें. तो उन्होंने इन 5 सालों के भीतर क्षेत्र में कोई भी एक बड़ा काम नहीं करवाया है जिसको वह अपनी उपलब्धि बताकर लोगों से वोट मांग सके. स्थानीय विधायक ने अपनी निधि के साथ ही सरकार द्वारा अनेक गांवों को सड़क कटवाई तो है, लेकिन विधायक पर अधिकतर सड़कों का काम अपने पति को देने का आरोप भी लगता रहा है. इन कारणों से पिछले 5 सालों के अंदर विधायक की छवि भी धूमिल हुई है.