लोकसभा चुनावों (Loksabha Election 2024) का ऐलान किसी भी वक्त हो सकता है लेकिन अभी कुछ पार्टियां ऐसी हैं, जिन्होंने अपने सभी उम्मीदवारों का ऐलान नहीं किया है. महाराष्ट्र में भी MVA के अंदर सीट शेयरिंग का पेच फंसा हुआ है. इस बीच वंचित बहुजन आघाड़ी के नेता प्रकाश आंबेडकर के ओपन लेटर की वजह से यह सवाल खड़ा हुआ है कि क्या MVA के अंदर नए समीकरण जन्म लेने जा रहे है? और इसके पीछे की वजह से प्रकाश आंबेडकर का नया प्रपोजल, जिसमें उन्होंने कांग्रेस के साथ अलग से बातचीत करने का प्रपोजल रखा है. MVA के अंदर जिन सीटों पर कांग्रेस अड़ी है, उन पर बातचीत कर बीजेपी-आरएसएस को सत्ता से दूर करने के लिए साथ आने का आवाहन किया है.
MVA मे सीटों के बटवारे को लेकर 6 मार्च को मुंबई के फाइव स्टार होटल में एक मीटिंग हुई थी, जिसमें शरद पवार, उद्धव ठाकरे, बाला साहेब थोरात, प्रकाश आंबेडकर, संजय राऊत और जयंत पाटील मौजूद थे. इस मीटिंग के बाद प्रकाश आंबेडकर ने यह साफ कर दिया था कि कांग्रेस और शिवसेना के बीच कुछ सीटों को लेकर अनबन चल रही है. इसके चलते हम 9 तारीख को फिर एक बार मिलकर बात करेंगे. लेकिन इसके बाद ना तो MVA की कोई मीटिंग हुई और ना ही प्रकाश आंबेडकर की किसी से बात हुई. इसी मुद्दे को लेकर चिंतत प्रकाश आंबेडकर ने ओपन लेटर लिखकर MVA की पोलखोल की है.
प्रकाश आंबेडकर ने पत्र में क्या कहा है?
ओपन लेटर में प्रकाश आंबेडकर ने कहा है कि कांग्रेस और शिवसेना के बीच 10 सीटों पर समझौता नहीं हो रहा है. इसके अलावा कांग्रेस, एनसीपी (SP) और शिवसेना (UBT) के बीच अलग से 5 सीटों पर भी तनाव कायम है. इसी वजह से MVA का सीट शेयरिंग फाइनल नहीं हो रहा है.
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MVA में सीट शेयरिंग पर कोई बातचीत ना होने की वजह से प्रकाश आंबेडकर ने कांग्रेस इन-चार्ज रमेश चेन्नीथला से फोन पर बातचीत की. इसी दौरान चेन्नीथला ने आंबेडकर से बात करते हुए कहा की पिछली बार शिवसेना ने 18 सीटें जीती थी और इस बार ठाकरे 18 से एक भी कम सीट पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार नही हैं.
इसके बाद आंबेडकर ने चेन्नीथला को एक प्रपोजल भी दिया, जिसमें यह कहा गया है कि कांग्रेस को महाराष्ट्र में जिन सीटों पर चुनाव लड़ना है, उस पर हम बैठकर बात कर सकते हैं. बाला साहेब थोरात अगर मीटिंग की तारीख और समय तय करते हैं, तो कांग्रेस और वंचित बहुजन आघाड़ी मिलकर बीजेपी और आरएसएस को सत्ता से दूर फेंकने के लिए साथ में काम करने पर चर्चा कर सकती है.
कांग्रेस और शिवसेना में किन सीटों को लेकर तनाव?
महाराष्ट्र में कांग्रेस और शिवसेना के बीच 10 सीटों को लेकर तनाव जारी है. इसमें उत्तर पश्चिम मुंबई, दक्षिण मध्य मुंबई, रामटेक, सांगली, कोल्हापूर, शिर्डी, हिंगोली, अमरावती, यवतमाल और वर्धा की सीटें शामिल हैं. इन सीटों में से कोल्हापुर, शिर्डी, हिंगोली, यवतमाल, उत्तर पश्चिम मुंबई, दक्षिण मध्य मुंबई... ये छह सीटें 2019 में शिवसेना ने जीती थी. लेकिन यहां के सभी सांसद एकनाथ शिंदे के साथ चले गए है और कांग्रेस यह मानती है कि जो सांसद ठाकरे के साथ नही हैं, उन पर दावा करना गलत है, क्योंकि यहां पर उनकी ताकत कम हुई है.
कई सीटों पर उम्मीदवारों के ऐलान से नाराजगी
सीट शेयरिंग पर कोई भी फाइनल डील होने से पहले ही उद्धव ठाकरे ने उत्तर पश्चिम मुंबई से अमोल किर्तीकर को मैदान में उतार दिया है. उद्धव के इस फैसले पर कांग्रेस ने आपत्ति जताई थी. मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष वर्षा गायकवाड ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि उत्तर पश्चिम मुंबई की सीट पर अभी कोई फाइनल फैसला नहीं हुआ है. इसके अलावा संजय निरुपम ने भी शिवसेना की इस चाल की आलोचना की थी.
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कोल्हापुर सीट के लिए कांग्रेस अडिग
कोल्हापुर लोकसभा सीट से श्रीमंत शाहू महाराज लड़ना चाहते हैं लेकिन कांग्रेस के सिंबल पर. दूसरी तरफ शिवसेना उन्हें मशाल पर लड़ाने के लिए मना रही है. शिवसेना ने इसका विकल्प तलाशते हुए सांगली लोकसभा सीट पर दावा मजबूत किया है. जबकि सांगली महाराष्ट्र के दिवंगत मुख्यमंत्री और कद्दावर कांग्रेस नेता वसंतदादा पाटील के घराने का गढ रहा है और वह सीट कांग्रेस छोडना नहीं चाहती.
अगर कोल्हापुर के बदले सांगली की सीट नहीं मिलती है, तो शिवसेना का पश्चिमी महाराष्ट्र मे कोई उम्मीदवार नहीं रहेगा और यह बात शिवसेना के नेताओं को रास नहीं आ रही है. इसिलिए शिवसेना ने डबल महाराष्ट्र केसरी चंद्रहार पाटील को अपने खेमे में शामिल कर लिया और चंद्रहार ने ठाकरे को वचन दिया कि सबसे अच्छा रिजल्ट सांगली से आएगा.