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Exit Poll में जन सुराज पार्टी को बड़ा झटका, भीड़ को वोटों में तब्दील नहीं कर सके प्रशांत किशोर?

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के एग्जिट पोल के अनुमानों में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की स्पष्ट जीत का संकेत मिला है. वहीं, चुनावी राजनीति में कदम रखने वाले रणनीतिकार प्रशांत किशोर (PK) की पार्टी जन सुराज (JSP) का बहुचर्चित डेब्यू चुनावी नतीजों में तब्दील होता नहीं दिख रहा है.

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एग्जिट पोल्स में प्रशांत किशोर को झटका लगता दिख रहा है (Photo: ITG)
एग्जिट पोल्स में प्रशांत किशोर को झटका लगता दिख रहा है (Photo: ITG)

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के एग्जिट पोल्स में साफ संकेत मिल रहे हैं कि सत्ता एक बार फिर एनडीए (NDA) के हाथ में जा रही है. वहीं, चुनाव से पहले चर्चाओं में रही प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी (JSP) अपनी पहली ही परीक्षा में बुरी तरह फेल होती दिख रही है.

प्रमुख पोलस्टर्स के संकलन (पोल ऑफ पोल्स) के अनुसार, NDA 243 सदस्यीय सदन में 122 के बहुमत के आंकड़े को आसानी से पार कर सकता है. महागठबंधन (MGB) 70 से 108 सीटों के आसपास सिमट सकता है. वहीं जन सुराज पार्टी (JSP) व्यापक प्रचार उपस्थिति के बावजूद, केवल 0 से 5 सीटों तक सीमित दिख रही है.

कभी बीजेपी और जेडीयू के चुनावी रणनीतिकार रहे प्रशांत किशोर ने ऐलान किया था कि उनकी पार्टी या तो “अर्श पर होगी या फर्श पर”, बीच का रास्ता नहीं होगा. एग्जिट पोल्स के जो आंकड़े सामने आए हैं, उसके अनुसार इस बार PK की पार्टी ‘फर्श पर’ ही नज़र आ रही है.

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बिहार विधानसभा की हर सीट का हर पहलू, हर विवरण यहां पढ़ें

एजेंसी का नाम सीटों का अनुमान (JSP)
चाणक्य स्ट्रैटेजीज़ 0
TIF रिसर्च 0
DV रिसर्च 2–4
JVC 0–1
मैट्रिज़ 0–2
पीपुल्स पल्स 0–5 (सबसे अधिक)

सभी प्रमुख सर्वे एजेंसियों-चाणक्य, डिवी रिसर्च, पी-मार्क, मेट्राइज़, पीपल्स इनसाइट, जेवीसी और टीआईएफ रिसर्च ने JSP को 0 से 5 सीटों के बीच सीमित बताया है. वहीं, एनडीए को 147 सीटों तक का बहुमत मिल सकता है, जबकि महागठबंधन (MGB) को 70 से 108 सीटों तक सिमटने का अनुमान है.

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प्रशांत किशोर ने तीन साल की पदयात्रा और 238 विधानसभा सीटों पर सक्रिय प्रचार के बाद जन सुराज को "नए बिहार" की आवाज बताया था. उनके भाषण वायरल हुए, रैलियों में भीड़ उमड़ी, लेकिन वोटिंग बूथों तक वह जनसमर्थन नहीं पहुंच पाया.

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विश्लेषकों का मानना है कि PK ने मुद्दों और नीतियों की बात तो की, पर बिहार की जटिल जातीय राजनीति और गठबंधनों की हकीकत ने उनकी अपील को कमजोर कर दिया. फिलहाल, एग्जिट पोल्स यही इशारा कर रहे हैं कि बिहार में “फिर से नीतीश” की वापसी लगभग तय है और प्रशांत किशोर का सफर राजनीति के कठोर यथार्थ से टकरा गया है.

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