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20 साल बाद जेडीयू से छिन गया बड़े भाई का रोल, बराबरी की भूमिका में ऐसे आई बीजेपी

बिहार विधानसभा चुनाव के लिए एनडीए में सीट बंटवारा तय हो गया. बीजेपी और जेडीयू पहली बार बिहार में बराबर-बराबर सीट पर चुनाव लड़ेंगी. इस तरह जेडीयू से बड़े भाई का ओहदा छिन गया है तो बीजेपी छोटे भाई से बराबर के रोल में आकर खड़़ी हो गई है.

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नीतीश कुमार और पीएम मोदी की सियासी केमिस्ट्री (Photo-PTI)
नीतीश कुमार और पीएम मोदी की सियासी केमिस्ट्री (Photo-PTI)

बिहार में एनडीए में लंबे समय से चल रहे खींचतान के बाद आखिरकार रविवार को सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय हो गया है. बीजेपी और जेडीयू बराबर-बराबर सीटों पर चुनाव लड़ेंगी., इससे पहले तक जेडीयू, बीजेपी से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ती रही थी. इस तरह एनडीए में जेडीयू का कद 'बड़े भाई' का था, लेकिन सियासत ने ऐसी करवट ली कि बिहार का सीन बदल गया है. बीजेपी छोटे भाई से अब बराबरी की भूमिका में जेडीयू के सामने खड़ी है.

बीजेपी और जेडीयू की सियासी दोस्ती 25 सालों से चली आ रही है. बिहार की सत्ता की धुरी दो दशक से नीतीश कुमार के इर्द-गिर्द पूरी तरह से सिमटी हुई है. 2005 से लेकर 2020 तक बिहार में जितने भी चुनाव हुए हैं, उसमें नीतीश कुमार की जेडीयू ने बीजेपी से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ा है, लेकिन 2025 में मामला बराबरी पर आ गया है.

केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के बिहार चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान ने रविवार को एनडीए में सीट शेयरिंग का ऐलान किया. बिहार की कुल 243 सीटों में से बीजेपी और जेडीयू 101-101 सीट पर चुनाव लड़ने पर सहमति बनी. चिराग पासवान की एलजेपी (आर) 29 सीट पर तो उपेंद्र कुशवाहा और जीतनराम मांझी की पार्टी 6-6 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी.

जेडीयू से छिना 'बड़े भाई' का रोल

बिहार की सियासत में बीजेपी और जेडीयू की दोस्ती काफी लंबे समय से चली आ रही है. हालांकि, बीच में दो बार नीतीश ने ज़रूर पाला बदला है, लेकिन फिलहाल बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं. बिहार विधानसभा चुनाव के लिए एनडीए में आखिरकार सीटों के बंटवारे पर फाइनल मुहर लग गई. बीजेपी और जेडीयू 101-101 सीट पर चुनाव लड़ेंगी, जबकि बाकी बची सीटें अन्य दलों के हिस्से में गई हैं.

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सीट बंटवारे के ऐलान के बाद से ही सभी के मन में यह सवाल उठ रहा है कि आखिर एक-एक सीट पर अड़ने वाले नीतीश कुमार बीजेपी से बराबरी पर कैसे मान गए, क्योंकि अभी तक बीजेपी से ज्यादा सीट पर जेडीयू चुनाव लड़कर एनडीए में बड़े भाई का कद अपने पास बनाए रखा. इस बार दोनों दलों के बीच बराबर-बराबर सीट पर चुनाव लड़ने का फैसला हुआ है.

2005 में आरजेडी के नेतृत्व वाली सरकार के 15 साल के शासन को समाप्त करने के बाद यह पहला विधानसभा चुनाव है, जिसमें सीएम नीतीश कुमार की जेडीयू एनडीए गठबंधन में बीजेपी से ज्यादा सीट पर चुनाव नहीं लड़ेगी. जेडीयू और बीजेपी ने बिहार में अभी तक चार बार चुनाव लड़े हैं और हर बार सीट बंटवारे में नीतीश कुमार की पार्टी को बीजेपी से ज्यादा सीटें मिलीं, लेकिन इस बार पासा पलट गया है.

2005 से 2020 तक जेडीयू का रोल

फरवरी 2005 में हुए चुनाव में बीजेपी-जेडीयू पहली बार एक साथ लड़ी थीं. बिहार की कुल 243 सीटों में से जेडीयू ने 138 सीटों पर और बीजेपी 105 सीटों पर चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में किसी दल को बहुमत नहीं मिला और राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया था. इसके बाद अक्टूबर 2005 में दोबारा से विधानसभा चुनाव हुए। ऐसे में राज्य की 243 सीटों में से बीजेपी 104 सीटों पर चुनाव लड़ी जबकि जेडीयू ने 139 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे. इस तरह से जेडीयू बीजेपी से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ी थी.

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साल 2010 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू-बीजेपी एक साथ लड़े थे. इस चुनाव में बिहार की 243 सीटों में से जेडीयू 141 और बीजेपी 102 सीटों पर चुनावी मैदान में उतरी थी, जिनमें से जेडीयू 115 और बीजेपी 91 सीटें जीतने में सफल रही थी. बिहार में जेडीयू-बीजेपी गठबंधन का यह सबसे बेहतर नतीजा रहा था.

बीजेपी और नीतीश की दोस्ती में 2013 में दरार पड़ी, जब बीजेपी ने प्रधानमंत्री पद के लिए नरेंद्र मोदी के नाम पर मुहर लगाई थी. ऐसे में नीतीश कुमार ने बीजेपी से नाता तोड़ लिया था और 2015 का चुनाव जेडीयू ने आरजेडी-कांग्रेस के साथ मिलकर लड़ा. इस चुनाव में जेडीयू-आरजेडी बराबर 101-101 सीट पर चुनाव लड़ी थीं, जबकि 41 सीटें कांग्रेस को दी गई थीं.

2020 के चुनाव में बीजेपी और जेडीयू एक बार फिर से गठबंधन कर चुनाव मैदान में उतरीं. नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली पार्टी जेडीयू ने 115 सीट पर और बीजेपी ने 110 सीट पर चुनाव लड़ा था. इस तरह बीजेपी से पांच सीटें ज्यादा पर जेडीयू मैदान में उतरी थी. जेडीयू ने बड़े भाई का रोल अपने पास रखा था, लेकिन इस बार सीन बदल गया है. 20 साल में पहली बार है जब सीट शेयरिंग में बीजेपी को बिहार में जेडीयू के बराबर सीट मिली है.

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बीजेपी और जेडीयू का बदला सीन

बिहार में एनडीए गठबंधन में 20 साल बाद जेडीयू और बीजेपी का सीन बदल गया है. इसका आग़ाज़ 2024 के चुनाव में हो गया था, जब जेडीयू से एक सीट ज्यादा पर बीजेपी चुनाव लड़ी थी. अब विधानसभा चुनाव में दोनों दल बराबर-बराबर यानि 101-101 सीट पर चुनाव लड़ने की सहमति बनाई है. इसका जवाब 2020 के विधानसभा चुनाव के नतीजों में छिपा है, जहां बीजेपी की तुलना में जेडीयू पिछड़ गई थी.

2020 में जेडीयू 115 सीटों पर चुनाव लड़कर 43 सीट पर जीत दर्ज की थी, जबकि बीजेपी 110 सीट पर लड़कर 74 सीटें जीती थी. इस तरह जेडीयू से ज्यादा सीटें बीजेपी जीतने में सफल रही. हालांकि, उस समय की जेडीयू की हार का ठीकरा चिराग पासवान की बगावत पर फोड़ा गया था. यह पहला मौका है जब बिहार में जेडीयू और बीजेपी बराबर सीट पर चुनाव लड़ेंगी.

यह माना जा रहा है कि एनडीए गठबंधन के भीतर बीजेपी का राजनीतिक प्रभाव बढ़ा है और क्षेत्रीय सहयोगी जेडीयू का वर्चस्व कुछ कम हुआ है. हालांकि, नीतीश कुमार ही एनडीए का चेहरा होंगे. एनडीए नीतीश के नाम पर चुनाव लड़ेगी, लेकिन क्या 2020 की तरह कम सीटें आने पर नीतीश को सत्ता की कमान क्या बीजेपी सौंपेगी, यह बड़ा सवाल है.

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एनडीए में बीजेपी और जेडीयू अभी बराबरी के रोल में हैं, लेकिन क्या चुनाव के बाद बीजेपी की भूमिका बड़े भाई की होगी? अगर चिराग को ज्यादा सीटें मिलती हैं तो बीजेपी सियासी खेला भी कर सकती है. इसीलिए अब निगाहें चुनाव नतीजों पर टिकी हैं. देखना है कि कौन कितनी सीटें एनडीए में जीतकर आता है.

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