यूनेस्को की रिपोर्ट के मुताबिक किताबों में लड़कियों के रोल कहीं न कहीं कमजोर हैं. इन्हें पढाई में जहां कहीं भी शामिल किया गया है, वहां की भूमिका को पारंपरिक दिखाया गया है. पुरुषों की तुलना में इनकी छवि हल्की रखी जाती है और दब्बू दिखाया जाता है.
वार्षिक रिपोर्ट के चौथे संस्करण में कहा गया है कि किताबों में महिलाओं को ‘कम प्रतिष्ठित’ पेशों में दर्शाया गया है. इन कामों को करते हुए भी वो स्वभाव में अंतर्मुखी और दब्बू दिखाई जाती हैं. यूनेस्को ने इसका उदाहरण देते हुए कहा है कि जहां किताबों में पुरुषों को डॉक्टर दिखाया जाता है, वहीं महिलाएं नर्स की भूमिका में प्रदर्शित की जाती हैं.
कोरोना कमांडोज़ का हौसला बढ़ाएं और उन्हें शुक्रिया कहें
महिलाओं के रोल केवल फूड, फैशन या एंटरटेनमेंट से संबंधित विषयों में दिखाए जाते हैं. महिलाओं को स्वैच्छिक भूमिकाओं में और पुरुषों को वेतन वाली नौकरियों में दिखाया जाता है. UNESCO रिपोर्ट के अनुसार कुछ देश किताबों से लड़कियों की इस पुरानी इमेज में संतुलन लाने के प्रयास कर रहे हैं.
देश-दुनिया के किस हिस्से में कितना है कोरोना का कहर? यहां क्लिक कर देखें
अफगानिस्तान का उदाहरण लें तो यहां 1990 में छपी ग्रेड 1 की किताबों से आधी आबादी तकरीबन नदारद रही. फिर 2001 में बदलाव के बाद उनकी किताबों में आमद हुई लेकिन बहुत दब्बू और घरेलू भूमिकाओं जैसे मां, परिचारिका, बेटी या बहन के रोल में. अगर आत्मनिर्भर रोल के बारे में बात करें तो ये सबसे ज्यादा टीचर के पेशे में दिखाई गईं. ठीक ऐसे ही इस्लामी गणराज्य ईरान की 90 फीसदी पाठ्यपुस्तकों की समीक्षा में महिलाओं की केवल 37 प्रतिशत भूमिका दिखी.
यूनेस्को रिपोर्ट के अनुसार फारसी व विदेशी भाषा की 60, विज्ञान की 63 और सामाजिक विज्ञान की 74 फीसदी किताबों में महिलाओं की कोई तस्वीर नहीं है. रिपोर्ट में महाराष्ट्र के Maharashtra State Bureau of Textbook Production and Curriculum Research द्वारा 2019 में लैंगिक रूढ़िवादों को हटाने के लिए कई पाठ्यपुस्तक छवियों में सुधार का भी संज्ञान लिया गया.
कोरोना कमांडोज़ का हौसला बढ़ाएं और उन्हें शुक्रिया कहें
इसमें दूसरी कक्षा की पाठ्यपुस्तकों में महिला और पुरुष दोनों घर के काम करते दिख रहे हैं, वहीं एक महिला डॉक्टर और पुरुष शेफ की भी तस्वीर थी. विद्यार्थियों से इन तस्वीरों पर गौर करने और इन पर बात करने के लिए कहा गया था.
क्या है The Global Education Monitoring Report (GEM Report)
एक स्वतंत्र टीम, ग्लोबल एजुकेशन मॉनीटरिंग रिपोर्ट (जीईएम रिपोर्ट) तैयार करती है. फिर यूनेस्को इसे प्रकाशित करता है. इसे शिक्षा पर सतत विकास लक्ष्य पूरा करने में हुई प्रगति की निगरानी का आधिकारिक आदेश प्राप्त है. इस रिपोर्ट में इटली, स्पेन, बांग्लादेश, पाकिस्तान, मलेशिया, इंडोनेशिया, कोरिया, अमेरिका, चिली, मोरक्को, तुर्की और युगांडा में भी पाठ्यपुस्तकों में महिलाओं के साथ जुड़ी इन रूढ़ियों का उल्लेख है.
कोरोना का एजुकेशन पर प्रभाव
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस बीमारी से स्कूल बंद होने से दुनियाभर में 154 करोड़ बच्चे प्रभावित हुए. इनमें भी लड़कियों पर इसका सबसे अधिक प्रभाव पड़ रहा है. कोरोना महामारी का सबसे बुरा प्रभाव शिक्षा जगत पर पड़ेगा. बच्चों की सीखने की क्षमता बुरी तरह प्रभावित होगी और इसका दूरगामी नुकसान होगा. यूनेस्को ने सरकारों से इस मामले में विशेष ध्यान देने और शिक्षा प्रणालियों के पुनर्निर्माण के लिए समावेशी चुनौतियों पर कड़ी नजर रखने पर जोर दिया.