सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (CBSE) ने 13 मई 2025 को 10वीं और 12वीं के रिजल्ट्स जारी किए. इस बार कॉन्सेप्ट और लॉजिकल बेस्ड पढ़ाई का असर साफ नजर आ रहा है क्योंकि इस साल एग्जाम पैटर्न में बदलाव के बावजूद रिजल्ट प्रतिशत में पिछले साल से बढ़ोत्तरी ही देखी गई है. कहीं न कहीं नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (NEP) 2020 ने जो छात्रों को रटने की बजाय समझने की बात की थी. उस दिशा में चेंज साफ नजर आ रहा है, आइए-एक्सपर्ट से समझते हैं.
विशेषज्ञों का मानना है कि 12वीं में इस साल कैपेसिटी आधारित सवालों (Competency-Based Questions) की संख्या 40% से बढ़ाकर 50% की गई थी.माउंट आबू स्कूल की प्रिंसिपल ज्योति अरोड़ा कहती हैं कि इन बदलावों का मकसद छात्रों की कॉन्सेप्ट बेस्ड और लॉजिकल थिंकिंग को बढ़ावा देना था. हालांकि अभी यह कहना जल्दी होगा क्योंकि अभी इस दिशा में लंबा रास्ता तय करना बाकी है.
वैसे देखा जाए तो इस रिजल्ट में कॉन्सेप्ट बेस्ड पढ़ाई करने वाले छात्रों को फायदा तो हुआ ही है. बता दें कि इस साल 10वीं में पिछले साल की तरह 50% सवाल स्किल बेस्ड रखे गए. इनमें भी कॉन्सेप्ट को समझने और लागू करने वाले सवालों पर फोकस रहा, लेकिन इस साल का दसवीं का रिजल्ट भी बीते साल की तुलना में अच्छा रहा है. हां, ये जरूर कहा जाता है कि इस साल गणित और फिजिक्स में टाइट मार्किंग ने शत-प्रतिशत स्कोर को मुश्किल बना दिया.
रिजल्ट में दिखा कॉन्सेप्ट बेस्ड पढ़ाई का प्रभाव
सीबीएसई रिजल्ट 2025 में 10वीं की पास परसेंटेज 93.66% और 12वीं की 88.39% रही. इस बार के एग्जाम पैटर्न में NEP 2020 के तहत बड़े बदलाव किए गए थे. 12वीं में 50% सवाल कैपेसिटी आधारित थे, वहीं 10वीं में भी 50% स्किल बेस्ड सवाल शामिल किए गए. इसका नतीजा यह हुआ कि जिन छात्रों ने रटने की बजाय कॉन्सेप्ट को समझने पर ध्यान दिया, खासकर एनसीईआरटी पाठ्यक्रम पर आधारित तैयारी की, उन्हें बेहतर नंबर मिले.
विशेषज्ञों ने क्या कहा?
इस नए ट्रेंड को लेकर एल्कॉन इंटरनेशनल स्कूल के गणित शिक्षक राजीव झा का कहना है कि गणित में इस बार टाइट मार्किंग ने छात्रों के लिए मुश्किलें खड़ी कीं. लेकिन जिन्होंने कॉन्सेप्ट्स को गहराई से समझा और एनसीईआरटी सिलेबस पर फोकस किया, उनके नंबर बेहतर आए. NEP का यह तरीका भविष्य में छात्रों को ज्यादा मजबूत बनाएगा.
शिक्षा जगत के विशेषज्ञ इस नए दृष्टिकोण की तारीफ कर रहे हैं. ज्योति अरोड़ा कहती हैं कि NEP का कॉन्सेप्ट बेस्ड पढ़ाई पर जोर एक सकारात्मक कदम है. इस साल के रिजल्ट्स में यह साफ दिखा कि जिन छात्रों ने समझने पर ध्यान दिया उन्हें फायदा हुआ. शिक्षाविद अमित निरंजन कहते हैं कि कॉन्सेप्ट बेस्ड पढ़ाई का असर धीरे-धीरे दिख रहा है. लेकिन इसका पूरा फायदा तभी मिलेगा, जब स्कूलों में पाठ्यक्रम और शिक्षण पद्धति में भी नया बदलाव आए. रिजल्ट्स से यह शुरुआती संकेत जरूर मिला है कि हम सही दिशा में बढ़ रहे हैं.
चुनौतियां अभी बाकी हैं
भले कॉन्सेप्ट बेस्ड पढ़ाई ने कुछ छात्रों को फायदा पहुंचाया लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि अभी कई चुनौतियां बाकी हैं. गणित और फिजिक्स में टाइट मार्किंग ने यह दिखाया कि मूल्यांकन प्रक्रिया में संतुलन की जरूरत है. साथ ही, ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षकों की ट्रेनिंग और संसाधनों की कमी इस दृष्टिकोण को लागू करने में बड़ी बाधा है. विशेषज्ञों का सुझाव है कि शिक्षकों को इस नई पद्धति के लिए बेहतर ट्रेनिंग दी जाए और मूल्यांकन प्रक्रिया में भी बदलाव किया जाए ताकि कॉन्सेप्ट बेस्ड समझ को सही मायने में बच्चों में उतारा जा सके.
गौरतलब है कि NEP 2020 का लक्ष्य साल 2030 तक शिक्षा व्यवस्था को पूरी तरह बदलना है. कॉन्सेप्ट और लॉजिकल बेस्ड पढ़ाई इस दिशा में बड़ा कदम है. इस साल का रिजल्ट एक शुरुआती संकेत भर है कि यह दृष्टिकोण काम कर रहा है, लेकिन इसका पूरा असर देखने में अभी समय लगेगा.
जानिए कैसा रहा इस साल का रिजल्ट
सीबीएसई 12वीं 2025 के रिजल्ट में इस साल का कुल उत्तीर्ण प्रतिशत 88.39% रहा जो पिछले वर्ष 2024 के 87.98% की तुलना में थोड़ी बढ़ोतरी दर्शाता है. वहीं कक्षा 10वीं में इस साल 93.66% स्टूडेंट्स पास हुए हैं वहीं साल 2024 में ये 93 फीसदी कुल छात्र पास हुए थे. भले ही ये बदलाव बहुत बड़ा नहीं है लेकिन कॉन्सेप्ट बेस्ड पढ़ाई बच्चों के लिए काम कर रही है, इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता.