
बिहार का पटवा टोली गांव इंजीनियर्स का हब यूं ही नहीं कहा जाता है. गया जिले के मानपुर प्रखंड में स्थित पटवा टोली गांव के 40 छात्रों ने जेईई मेन्स सेशन-2 2025 क्रैक किया है. इनमें से 18 छात्र मई में होने वाली जेईई एडवांस्ड परीक्षा में हिस्सा लेंगे.
बुनकरों का गांव, इंजीनियर्स का हब
पटवा टोली गांव, जो पहले बुनकरों के गांव के नाम से जाना जाता था, अब इंजीनियर्स के हब के रूप में मशहूर है. बिहार के इस गांव की प्रसिद्धि इतनी है कि दूसरे राज्यों के छात्र भी यहां रहकर इंजीनियरिंग एंट्रेंस एग्जाम यानी जेईई मेन्स और जेईई एडवास्ड की तैयारी करते हैं और सफल होते हैं. हर साल 40 से 60 छात्र जेईई मेन्स पास करते हैं और अपने गांव का नाम रोशन करते हैं.
इन छात्रों ने जेईई मेन्स में किया बेहतर प्रदर्शन
इस साल जेईई मेन्स सेशन-2 में पटवा टोली के छात्रों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया. छात्रा शरण्या ने 99.64 अंक, अशोक ने 97.7, यश राज ने 97.38, शुभम कुमार और प्रतीक ने 96.55, केतन ने 96.00, निवास ने 95.7 और सागर कुमार ने 94.8 अंक हासिल किए.
सागर कुमार की प्रेरक कहानी
सागर कुमार ने भी इस परीक्षा में 94.8 अंक प्राप्त किए. सागर के पिता का निधन तब हो गया था, जब वे बहुत छोटे थे. इसके बाद उनकी मां ने पटवा टोली में रहकर सूत काटने का काम शुरू किया और सागर को पढ़ाया. मां की मेहनत रंग लाई और सागर ने जेईई मेन्स में सफलता पाई. सागर ने बताया कि वे इंजीनियर बनकर देश की सेवा करना चाहते हैं.
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वृक्ष संस्था का योगदान
पटवा टोली में वृक्ष संस्था बुनकरों के बच्चों को पढ़ाने में मदद करती है. इस संस्था के सहयोग से ही गांव के कई छात्रों ने जेईई मेन्स सेशन-2 में सफलता हासिल की है. इस बार 40 छात्रों की सफलता ने फिर साबित कर दिया कि पटवा टोली अब बुनकरों की नगरी नहीं, बल्कि इंजीनियर्स की बस्ती है. लोग इस गांव के प्रदर्शन को देखकर हैरान हैं और इसे इंजीनियर्स का कारखाना कहते हैं.