पोप फ्रांसिस अब दुनिया में नहीं रहे. उनके निधन की खबर से पूरी दुनिया में शोक की लहर फैल गई है. भारत ने 22 से 24 अप्रैल तक तीन दिवसीय राजकीय शोक की घोषणा की है. पोप फ्रांसिस की तबीयत पिछले कुछ समय से ठीक नहीं थी. उन्हें निमोनिया का डबल अटैक आया था, जिसके चलते वे कई दिनों तक ICU में भर्ती रहे.
अब जब पोप नहीं रहे हैं, तो सवाल उठता है—जब तक नया पोप नहीं चुना जाता, तब तक वेटिकन की जिम्मेदारी कौन संभालेगा? क्या उस व्यक्ति को पोप का दर्जा मिलता है? उस पद को आखिर कहते क्या हैं? आइए समझते हैं.
बता दें वेटिकन सिटी की बागदौर फिलहाल आयरिश-अमेरिकन कार्डिनल केविन फैरल के हाथ में है. यही वो शख्स हैं जिन्होंने सबसे पहले पोप फ्रांसिस के निधन की आधिकारिक पुष्टि की. उन्होंने कहा कि वो पिता के घर लौट चुके हैं.”
कार्डिनल फैरल वेटिकन के एक बेहद अहम पद कैमरलेन्गो (Camerlengo) की भूमिका निभा रहे हैं. कैमरलेन्गो यह वही व्यक्ति होता है जो पोप के निधन या इस्तीफे के बाद वेटिकन की पूरी जिम्मेदारी संभालता है. उन्हें 2019 में खुद पोप फ्रांसिस ने इस पद पर नियुक्त किया था. अब नए पोप के चयन तक वेटिकन के सभी प्रशासनिक फैसलों की निगरानी उन्हीं के हाथ में है.
क्या करते हैं कैमरलेन्गो
कैमरलेन्गो के तौर में उनकी भूमिका बेहद अहम होती है. वे तय करते हैं कि पोप की अंतिम यात्रा कब शुरू होगी, उनका पार्थिव शरीर जनता के अंतिम दर्शन के लिए कब सेंट पीटर्स बेसिलिका ले जाया जाएगा, और अंतिम संस्कार कब होगा. कैथोलिक परंपरा के मुताबिक, पोप की मृत्यु के 4 से 6 दिन बाद नौ दिनों तक चलने वाली शोक विधियां शुरू होती हैं.
कैमरलेन्गो का एक और अहम कर्तव्य है. पोप की अंगूठी और आधिकारिक सील को नष्ट करना, ताकि उनका कोई दुरुपयोग न कर सके. वे तीन अन्य वरिष्ठ कार्डिनल्स के साथ मिलकर पूरे शोक कार्यक्रम का शेड्यूल तैयार करते हैं.
कार्डिनल फैरल का जीवन
अब बात करते हैं कार्डिनल फैरल के जीवन की. उनका जन्म 1947 में डबलिन, आयरलैंड में हुआ था. उन्होंने स्पेन की सलामांका यूनिवर्सिटी और रोम की पोंटिफिकल ग्रेगोरियन यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की. उन्होंने अमेरिका, मैक्सिको और स्पेन में कई अहम पदों पर काम किया. अमेरिका में उन्होंने 30 साल से ज्यादा वक्त तक सेवा दी. 2007 में वे डलास के बिशप बने. 2016 में पोप फ्रांसिस ने उन्हें वेटिकन के परिवारों के लिए बने नए विभाग का प्रमुख बनाया और उसी साल उन्हें कार्डिनल की उपाधि दी गई. 2023 में वे वेटिकन सुप्रीम कोर्ट के अध्यक्ष और कॉन्फिडेंशियल मैटर्स कमीशन के भी प्रमुख बने.
क्या कैमरलेन्गो कभी पोप बने हैं?
इतिहास में अब तक सिर्फ दो बार ऐसा हुआ है जब कोई कैमरलेन्गो बाद में पोप बना हो. पहली बार 1878 में पोप लियो XIII और 1939 में पोप पायस XII. ऐसे में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है कि क्या कार्डिनल फैरल भी भविष्य में पोप बन सकते हैं?
फिलहाल पूरी दुनिया की नजरें वेटिकन पर टिकी हैं. कुछ ही दिनों में कॉन्क्लेव की तारीख तय की जाएगी, और फिर दुनिया को नया पोप मिलेगा.