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कैसे नाटो की फ्रंट लाइन में आ गया राजस्थान से भी छोटा पोलैंड! रूस को दिखा रहा आंखें

रूस से मिल रही चुनौतियों के बीच पोलैंड ने अपने सैन्य संसाधनों का तेज विस्तार शुरू किया है. अत्याधुनिक हथियारों व रक्षा उपकरणों की खरीद से वह नाटो की फ्रंट लाइन में आ गया है.

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पोलैंड रूस को भी धमकी दे रहा है और डिफेंस सिस्टम को मजबूत कर रहा है. (Photo: Pixabay)
पोलैंड रूस को भी धमकी दे रहा है और डिफेंस सिस्टम को मजबूत कर रहा है. (Photo: Pixabay)

रूस और पोलैंड की सीमा पर हलचल बढ़ गई है. दुनियाभर में अलग-अलग देशों के बीच हो रहे तनाव के बीच अब पोलैंड की चर्चा है. माना जा रहा है कई बार विभाजन और दो बड़े युद्ध झेल चुका पोलैंड अब विश्वयुद्ध में अहम भूमिका में नजर आ सकता है. माना जा रहा है कि अगर दुनिया तीसरे विश्व युद्ध के पायदान तक जाती है तो उसमें पोलैंड अहम हो सकता है.

हाल ही में रूस ने पोलैंड को भी धमकी है और पोलैंड के इस कॉन्फिडेंस की वजह से पोलैंड की कुछ सालों की रणनीति. दरअसल,  यूक्रेन में रूस की सैन्य कार्रवाई के बाद, पोलैंड ने अपनी डिफेंस पॉलिसी को पूरी तरह से बदल लिया है और खुद को नाटो की फ्रंट डिफेंस लाइन के रुप में मजबूत किया है.

पोलैंड ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को एक सीधी धमकी दी थी. पोलैंड के विदेश मंत्री राडोस्लाव सिकोरस्की ने कहा कि अगर रूसी राष्ट्रपति उनके क्षेत्र से उड़ान भरने की हिम्मत करते हैं तो पोलैंड उनकी सुरक्षा की गारंटी नहीं दे सकता. इसके बाद पोलैंड के डिफेंस सिस्टम की काफी चर्चा हो रही है.

लगातार बढ़ा रहा है अर्थव्यवस्था

बता दें कि इतिहास के कई मोड़ पर पोलैंड को रूस के हमलों का सामना करना पड़ा है. लेकिन, अब पोलैंड पुराने दर्द पीछे छोड़कर खुद को मजबूती दे रहा है. द सन की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2004 में यूरोपीय संघ में शामिल होने के बाद पोलैंड की अर्थव्यवस्था हर साल औसतन 4% की गति से बढ़ी है. इस आर्थिक स्थिरता के बलबूते, पोलैंड ने सेना पर बड़ा निवेश किया. मौजूदा दौर में नाटो में तुर्की और अमेरिका के बाद पोलैंड की सेना तीसरे नंबर पर है.

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डिफेंस में हो रहा मजबूत

नतीजा ये है कि अब पोलैंड के पास दो लाख से अधिक सक्रिय सैनिक हैं. छह मैकेनाइज्ड, बख्तरबंद और घुड़सवार डिवीजन गठित हैं और लगातार इसमें बढ़ावा हो रहा है. सैनिक अब नाटो मानकों के हिसाब से ट्रेन किए जा रहे हैं. यूक्रेन को समर्थन देते हुए पोलिश सेना ने हाल में हाइब्रिड युद्ध पर भी काम किया है. लगातार बढ़ती जीडीपी के बाद देश ने सीधे टैंक, विमान और सैन्य बल पर खर्च किया है. मजबूत अर्थव्यवस्था और सशक्त सेना की वजह से पोलैंड नाटो के भीतर शक्तिशाली यूरोपीय देशों में शुमार हो रहा है.

वैसे रूस के पास आंकड़ों पर भारी सैन्य ताकत है, मगर उसकी सेना 12 टाइम जोन में फैली है. लेकिन, यूक्रेन संघर्ष में रूस की बेहतरीन टुकड़ियां बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुई हैं. प्रशिक्षित सैनिकों की कमी और रसद संबंधी दिक्कतें मौजूद हैं, जिससे बॉर्डर इलाकों तक सैनिक पहुंचाने में अधिक समय लगता है. पोलैंड को इससे रणनीतिक बढ़त मिलती है.

खरीदे कई टैंक, मिसाइल

अब पोलैंड डिफेंस उपकरणों और सैन्य तकनीक के आधुनिकीकरण की दिशा में बड़ी तेजी दिखाई है. इसके साथ ही सीमाओं की रक्षा नाटो के पूर्ण समर्थन से की जा रही है. पोलैंड यूक्रेन को सैन्य संसाधनों की आपूर्ति भी जारी रख रहा है. हाल ही में अमेरिका से 250 अब्राम्स टैंक का करार हुआ है और जल्द ही 116 टैंक और मिल जाएंगे, जिससे संख्या 336 तक हो जाएगी. कोरिया से 1,000 K-2 टैंक का आदेश भी शामिल है, जिससे पोलैंड यूरोप में सबसे बड़ा टैंक बेड़ा तैयार कर रहा है.

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अमेरिका से 500 HIMARS सिस्टम की मांग की गई, लेकिन जब अमेरिका ने 200 देने की बात कही तो 288 K239 चनमू रॉकेट लॉन्चर कोरिया से मंगवाए गए. इसके अलावा, पोलैंड ने 48 FA-50 और 32 F-35 फाइटर जेट्स अपने बेड़े में जोड़े हैं. इतना ही नहीं, अमेरिका से छह पैट्रियट एंटी-एयर बैटरियों की मांग के साथ, पोलैंड ने 96 अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर भी खरीदे हैं. सिर्फ हथियारों की खरीद ही नहीं, घरेलू रक्षा उत्पादन भी तीव्रता से बढ़ाया गया है. फैक्ट्रियों में टैंक, मिसाइल और गोला-बारूद का उत्पादन उस दर से हो रहा है, जो यूरोप में लंबे समय से नहीं देखा गया.

पोलैंड से डिफेंस मजबूती सिर्फ अपनी सीमाओं तक सीमित नहीं है जबकि पूरे नाटो और यूरोप की सामूहिक सुरक्षा को मजबूत करती है. अगर कभी रूस ने नाटो सीमा पार की, तो बड़ा संघर्ष पोलैंड की धरती से शुरू हो सकता है. ऐसे में पोलैंड यूरोपीय सुरक्षा का प्रमुख आधार बनता जा रहा है.

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