अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की इजरायल के साथ मिलकर ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों पर हमले की योजना स्पष्ट दिखाई दे रही है. अभी तक इस लड़ाई में पड़ोसी देश पाकिस्तान की एंट्री नहीं हुई है, लेकिन ईरान को लगता है कि पाकिस्तान उसका साथ दे सकता है. लेकिन, अगर अमेरिका पाकिस्तान से कुछ मदद मांग ले तो पाकिस्तान के लिए मुश्किल हो सकती है कि आखिर करें तो करें क्या? आखिर अमेरिका को पाकिस्तान भला मना भी कैसे कर सकता है, क्योंकि ट्रंप ने हाल ही में पाकिस्तान को पसंदीदा देश बताया है और पाकिस्तान के आर्मी चीफ आसिम मुनीर व्हाइट हाउस में ट्रंप के साथ लंच भी करके आए हैं.
अब सवाल है कि आखिर अगर ट्रंप पाकिस्तान से कुछ मदद मांगते हैं तो अमेरिका की ओर से क्या-क्या मांग की जा सकती है. अगर ऐसा होता है तो पाकिस्तान के लिए मुश्किल हो सकती है कि वो किसका साथ दे...
अमेरिका का बन रहा है खास?
हाल ही में डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि मैंने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध रुकवाया. मुझे पाकिस्तान से प्यार है. इसके साथ ही 18 जून 2025 को व्हाइट हाउस में ट्रंप और पाकिस्तानी सेना के जनरल आसिम मुनीर के बीच लंच बैठक हुई है. अब माना जा रहा है कि ट्रंप इस मुलाकात के जरिए पाकिस्तान को ईरान के खिलाफ अपनी रणनीति में शामिल करना चाहते हैं.
ईरान के खिलाफ सैन्य अड्डों का उपयोग?
बता दें कि पाकिस्तान ईरान के साथ करीब 900 किलोमीटर का बॉर्डर साझा करता है, ऐसे में इस वॉर में पाकिस्तान काफी निर्णायक हो सकता है. सैन्य अड्डों का उपयोग अमेरिका को ईरान की पूर्वी सीमा पर निगरानी और संभावित जमीनी कार्रवाइयों के लिए एक मजबूत आधार प्रदान कर सकता है. वैसे अफगानिस्तान युद्ध के वक्त भी पाकिस्तान ने अमेरिका को काफी आर्मी सपोर्ट किया था.
ईरान पर हमले के लिए एयरस्पेस का उपयोग
पाकिस्तान का एयरस्पेस ईरान पर हमलों के लिए अहम साबित हो सकता है, ऐसे में अमेरिका की ओर से ईरान पर अटैक के लिए पाकिस्तान के एयर स्पेस की मांग की जा सकती है. पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में अमेरिकी अभियानों के लिए भी अपने एयर स्पेस को खोला था और अब एक बार इसका यूज ईरान के लिए किया जा सकता है. अगर ऐसा होता है तो अमेरिका को मिडिल ईस्ट में मजबूती मिल सकती है.
ईरान युद्ध से पाकिस्तान को दूर रखना
एक पहलू तो ये है कि अमेरिका पाकिस्तान से उनकी जमीन या एयरस्पेस मांग सकता है, लेकिन एक पहलू यह भी है कि अमेरिका पाकिस्तान को इस जंग से दूर भी रखना चाह सकता है. ऐसा इसलिए ताकि पाकिस्तान ईरान को किसी तरह का सपोर्ट ना दे सके. अमेरिका चाहेगा कि पाकिस्तान ईरान-इजरायल युद्ध में तटस्थ रहे और ईरान का समर्थन न करे.
ईरानी परमाणु कार्यक्रम से पाकिस्तान को दूर रखना
पाकिस्तान के पास प्लस पॉइंट ये है कि वो एक परमाणु बम वाला मुल्क है. ऐसे में अगर अमेरिका और इजरायल ये कभी नहीं चाहेंगे कि पाकिस्तान का परमाणु ज्ञान और पावर ईरान तक ना पहुंचे. ईरान के मुस्लिम देश होने की वजह से और आसिम मुनीर की कट्टर इस्लामिक छवि को देखते हुए अमेरिका पाकिस्तान को ईरान से दूर रखना चाहेगा. अगर पाकिस्तान ईरान का साथ देता है तो परमाणु सेक्टर में ईरान की काफी मदद हो सकती है जबकि दूसरी ओर अमेरिका उसके परमाणु ठिकानों को बर्बाद कर रहा है.
ईरान भी कर रहा मदद की उम्मीद
ईरान की ओर से कहा गया था कि उसे पाकिस्तान ने खास परिस्थितियों में परमाणु बम इस्तेमाल करने का भरोसा दिया है.जहां पाकिस्तान एक दूसरे देशों की रक्षा के लिए अपने परमाणु बम का इस्तेमाल करने को राजी था. मगर बाद में इस्लामाबाद इस बयान से पीछे हट गया. पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने ईरान के दावे को पूरी तरह खारिज कर दिया.
आसिम मुनीर के सामने ये हैं चुनौतियां
आसिम मुनीर के लिए इन मांगों को स्वीकार करना या अस्वीकार करना एक जटिल रणनीतिक चुनौती है. जहां एक तरह पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति कमजोर है और अमेरिका, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से वित्तीय सहायता पर निर्भर है. ट्रंप ने पाकिस्तान को अत्याधुनिक सैन्य तकनीक और वित्तीय सहायता की पेशकश की है, ऐसे में अमेरिका का साथ देने का दबाव लगातार बढ़ रहा है. लेकिन मुस्लिम देश होने की वजह से ईरान से भी किनारा किया जाना इतना आसान नहीं है. पाकिस्तान इस्लामिक दुनिया में अपनी स्थिति को मजबूत रखने का भी प्रयास करेगा.