अटलांटिस की किंवदंती के बारे में अक्सर में कई सारी किस्से-कहानियां सुनने को मिलते हैं. इनके अनुसार अटलांटिस एक ऐसा शहर था जो हजारों साल पहले फल-फूल रहा था और किसी बड़े प्राकृतिक आपदा की वजह से यह समुद्र के नीचे अतल गहराईयों में चला गया. इसका जिक्र प्राचीन यूनानी गाथाओं में होता है. (Photo - AI Generated)
आज भी जब कहीं समुद्र के नीचे किसी खोई हुई बस्ती या शहर के अवशेष मिलते हैं, तो इस उम्मीद में इसकी जांच की जाती है कि कहीं यह प्राचीन अटलांटिस के अवशेष तो नहीं हैं. ऐसा ही कुछ अब किर्गिस्तान के एक झील के नीचे मिला है. यह खोज बताती है कि दुनिया में खोई हुई बस्तियां हो सकती हैं - और हो सकता है कि वैज्ञानिकों ने उनमें से एक को खोज लिया हो. (Photo - AI Generated)
डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, रूसी विज्ञान अकादमी के खोजकर्ताओं को किर्गिस्तान में इस्सिक कुल झील के नीचे 'एक डूबे हुए शहर के निशान' मिले हैं. इस विशाल नमक के झील की अधिकतम गहराई 2,192 फीट (668 मीटर) है, जो इसे विश्व की आठवीं सबसे गहरी झील बनाती है, लेकिन इसके अवशेष उल्लेखनीय रूप से उथले हैं. (Photo - AI Generated)
इन महत्वपूर्ण साक्ष्यों में मध्ययुगीन कब्रिस्तान के अवशेष, बड़े चीनी मिट्टी के बर्तन और पकी हुई ईंटों से बनी इमारत के हिस्से शामिल हैं. ऐसा माना जाता है कि इस शहर में मुस्लिम प्रार्थना घर, स्कूल, स्नानघर और संभवतः रोटी बनाने के लिए अनाज पीसने का कारखाना भी था. (Photo - AI Generated)
किर्गिज गणराज्य के राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी के शोधकर्ता एवं अभियान के नेता वालेरी कोलचेंको ने कहा कि यह एक 'महत्वपूर्ण' वाणिज्यिक समझौता था.15वीं शताब्दी में यह एक भयानक त्रासदी का शिकार हो गया, जिसकी तुलना 'पोम्पेई' आपदा से की जा सकती है. यानी करीब 700 साल बाद खो चुके इस शहर के अवशेष फिर से मिले हैं. (Photo - AI Generated)
कोलचेंको ने कहा कि जिस स्थान का हम अध्ययन कर रहे हैं, वह एक शहर या प्रमुख व्यापारिक केंद्र था. अंतरिक्ष से एक आश्चर्यजनक नीले शून्य के रूप में दिखाई देने वाली इस्सिक कुल झील लगभग 500,000 फीट (182 किमी) लंबी और लगभग 200,000 फीट (60 किमी) चौड़ी है. रहस्यमय इस्सिक-कुल का कोई ज्ञात बहिर्वाह नहीं है, हालांकि कुछ विशेषज्ञों का दावा है कि यह भूमिगत एक चैनल द्वारा स्थानीय नदी से जुड़ा हुआ है. (Photo - AI Generated)
यहां तियानशान पर्वतों से घिरा एक मंदिर प्राचीन और मध्यकालीन समय से नाटकीय रूप से बाहर निकला हुआ है. यही कारण है कि इसके खंडहर अब पानी के नीचे स्थित हैं. हेरिटेज डेली की रिपोर्ट के अनुसार , झील के उत्तर-पश्चिम में बाढ़ग्रस्त टोरू-अयगीर परिसर में खुदाई की गई है, जो प्राचीन व्यापार मार्ग का एक महत्वपूर्ण बिंदु है. (Photo - AI Generated)
पुरातत्वविदों ने झील के तटरेखा के निकट तीन फीट से 13 फीट (एक से चार मीटर) की उथली गहराई पर चार जलगत क्षेत्रों का सर्वेक्षण किया. पहले में, उन्होंने कई पकी हुई ईंटों की संरचनाओं की खोज की. इनमें से एक में चक्की का पत्थर भी था - एक विशाल गोलाकार पत्थर जिसका उपयोग अनाज को कुचलने और पीसने के लिए किया जाता होगा. इसके अलावा पानी के नीचे ढही हुई पत्थर की संरचनाएं और लकड़ी के बीम भी थे. (Photo - AI Generated)
शोधकर्ताओं का मानना है कि उन्होंने एक सार्वजनिक इमारत के अवशेष खोज निकाले हैं, जो संभवतः मस्जिद, स्नानागार या स्कूल (जिसे मदरसा कहा जाता है) के रूप में काम करती रही होगी. अन्य तीन क्षेत्रों में भी प्रारंभिक कब्रिस्तान, 13वीं शताब्दी के मुस्लिम कब्रिस्तान तथा मिट्टी की ईंटों से बनी गोल और आयताकार संरचनाओं के साक्ष्य मिले हैं. (Photo - AI Generated)
इस खोज को संचालित करने वाली रूसी भौगोलिक सोसायटी के अनुसार, यह खोज सब इस बात की पुष्टि करता है कि यहां वास्तव में कभी एक प्राचीन शहर था. इसके अलावा, नमूनों को पहले ही विश्लेषण स्पेक्ट्रोमेट्री डेटिंग के लिए भेजा जा चुका है - एक अत्यधिक सटीक विधि जो कार्बनिक पदार्थों की आयु निर्धारित कर सकती है. (Photo - AI Generated)
तोरु-अयगीर में यह खोई हुई बस्ती सिल्क रोड के महत्वपूर्ण खंडों में से एक पर स्थित एक 'शहर या एक बड़ा वाणिज्यिक समूह' था, जो यूरोप और एशिया को जोड़ने वाला ऐतिहासिक नेटवर्क था. दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व से 15वीं शताब्दी के मध्य तक सक्रिय रेशम मार्ग ने चीन और भूमध्य सागर के बीच रेशम, मसालों, कीमती धातुओं और विचारों के आदान-प्रदान को सुगम बनाया तथा उद्योग, कला और धर्म के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. (Photo - AI Generated)
कोलचेंको के अनुसार, इस्सिक-कुल झील के पास स्थित शहर 15वीं शताब्दी की शुरुआत में एक भयानक भूकंप' से तबाह हो गया था, जिसके कारण यह बस्ती नष्ट हो गई थी. उन्होंने कहा कि हमारे आकलन के अनुसार, आपदा के समय, निवासी पहले ही बस्ती छोड़ चुके थे. भूकंप आपदा के बाद, क्षेत्र की जनसंख्या में भारी परिवर्तन आया और समृद्ध मध्ययुगीन सभ्यता का अस्तित्व समाप्त हो गया. (Photo - AI Generated)
एक बार सभ्यता का पतन हो गया, तो खानाबदोश लोगों ने इसका स्थान ले लिया और आज झील के किनारे छोटे-छोटे गांव बसे हुए हैं. भूमि का समुद्र तल में धंस जाना कोई असामान्य बात नहीं है. वास्तव में ब्रिटेन भी पूर्व द्वीपों और तटीय स्थानों से घिरा हुआ है, जो अब जलमग्न हो चुके हैं, जिनमें से कई तो मौसम की प्रतिकूल घटनाओं के कारण डूब गए हैं. (Photo - AI Generated)
इनमें से एक है रेवेन्सर ओड, जो हंबर नदी के मुहाने पर स्थित एक द्वीप पर स्थित एक अल्पकालिक मध्ययुगीन शहर है, जिसे दुनिया के सबसे प्रसिद्ध काल्पनिक द्वीप के संदर्भ में 'यॉर्कशायर का अटलांटिस' कहा गया है. आम तौर पर यह माना जाता है कि अटलांटिस की कहानी सबसे पहले 2,300 वर्ष पहले यूनानी दार्शनिक प्लेटो द्वारा कही गई थी, जिन्होंने इसे गढ़ा था, लेकिन कुछ प्रशंसक इस विचार पर कायम हैं कि यह वास्तव में अस्तित्व में था. (Photo - AI Generated)