उत्तर प्रदेश में पिछले 9 सालों से अपनी नियुक्ति को लेकर भटक रहे कैंडिडेट्स ने लखनऊ में धरना प्रदर्शन किया. आवेदन, परीक्षा और इंटरव्यू देने के बाद भी अभ्यर्थी 2016 से अब तक सरकारी नौकरी की राह देख रहे हैं. डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन हो जाने के बावजूद भी आज तक UPSSSC ने नियुक्ति नहीं दी है. ऐसे में किसी कैंडिडेट की उम्र 50 से 53 हो गई है या किसी के माता-पिता बेटे की नौकरी की आस लिए ही गुजर गए हैं. अभ्यर्थियों का कहना है कि अब और इंतजार नहीं होता, सरकार से गुजारिश है कि जल्द से जल्द भर्ती दी जाए.
जानकारी के मुताबिक यूपी में UPSSSC ने विज्ञापन संख्या 23 परीक्षा/2016 के तहत साम्मलित तकनीकी सेवा परीक्षा 2016 के लिए आवेदन मांगे लिए गए थे. इस परीक्षा के माध्यम से विभागों में रिक्त 248 पदों पर भर्ती होनी थी. आयोग ने मार्च 2023 में परीक्षा आयोजित की और लगभग एक साल बाद 11 मार्च 2024 को लिखित परीक्षा का परिणाम घोषित किया. इसके बाद अप्रैल में परीक्षा में सफल अभ्यर्थियों का इंटरव्यू और डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन भी हो गया, लेकिन 9 साल से अधिक समय बीत जाने के बावजूद आयोग अभी तक इस भर्ती प्रक्रिया को पूरा नहीं कर पाया है.
लेकिन आयोग ने अभी तक इन पदों पर 9 सालों से अभी तक रिजल्ट जारी नहीं किया है.
जिसमें 133 पदों के अंतिम परिणाम अभी भी लंबित हैं. इन पदों में शामिल हैं:
- कारागार प्रशासन एवं सुधार सेवा में X-ray टेक्नीशियन
- पावरलूम मशीन अनुरक्षण अनुदेशक, फार्मासिस्ट (कम्पाउंडर)
- निदेशक उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण में प्रयोगशाला सहायक के विभिन्न पद
- महिला कल्याण विभाग में फार्मासिस्ट, विकलांग जन विकास विभाग में हॉस्टल वार्डन
- होमगार्ड विभाग में डिप्टी कमांडेंट और हवलदार इंस्ट्रक्टर
- सूचना एवं जनसंपर्क विभाग में सिनेमा ऑपरेटर
हालांकि आयोग ने अभी कुछ पदों पर भर्ती के परिणाम परिणाम घोषित किए हैं.
अभ्यर्थियों का छलका दर्द
गोरखपुर के रहने वाले राम जी करण की उम्र 52 साल हो गई है. 8 साल और इंतजार करना पड़ा तो उनकी उनकी उम्र 60 साल हो जाएगी. उन्होंने 9 साल पहले इस नौकरी के लिए आवेदन किया था. इसके बाद परीक्षा और इंटरव्यू भी दिया. अभी तक उनका रिजल्ट और नियुक्ति नहीं दी. सभी पात्रताएं और परीक्षाएं पास करने के बाद भी उन्हें घर का खर्च चलाने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है.
प्रतापगढ़ के रहने वाले अजीत यादव की मां चाहती थी कि इकलौता बेटा सरकारी नौकरी पाकर कुछ बन जाए. अब उनकी मांग की मृत्यु हो चुकी है. मां की इच्छा अधूरी ही रह गई जिसमें कि अजीत का कोई दोष भी नहीं है. उनके सामने मुसीबत का पहाड़ पड़ा है क्योंकि अब वे घर में कमाने वाले अकेले हैं. पिछले 9 सालों से अपनी नौकरी का इंतजार कर रहे अजीत यादव ने यूपीएसएसएससी भर्ती 2016 में फार्मासिस्ट के पद के लिए आवेदन किया था.
अंबेडकर नगर के रहने वाले नितेश कुमार की कहानी भी कुछ ऐसी है. उन्होंने कहा कि वे बीते नौ सालों से नौकरी पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. अब उम्मीद भी खत्म होने लगी है. नितेश कहते हैं, 'बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. सरकार आखिर क्यों नहीं रिजल्ट जारी कर रही है हमदर्द की ठोकरे खा रहे हैं.'
प्रयागराज के रहने वाली नीरज कुमारी अपने बच्चों को छोड़कर लखनऊ में धरना प्रदर्शन में शामिल होने आई हैं, क्योंकि उन्हें लग रहा है कि अब यही करने से इंसाफ मिल सकता है. उनकी सरकार से अपील है कि नौ साल से जो नियुक्तियां अटकी हुई हैं, उन्हें पूरा करें वरना उसके बच्चों का भविष्य बर्बाद हो जाएगा.