दिल्लीवालों को आतंकवाद का मुद्दा रास नहीं औया और उन्होंने बीजेपी को सिरे से नकार दिया. दिल्लीवासियों ने लगातार तीसरी बार शीला दीक्षित के हाथों कमान सौंपी. हालांकि बसपा ने कुछ बढ़त बनाई है.
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